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स्पेशल रिपोर्ट: बेटियों के काम नहीं आ रही सरकारी की ओर से मिलने वाली साइकिलें, ये है बड़ी वजह - Rajasthan hindi news

सरकार की ओर से दी जाने वाली साइकिलें बेटियों के काम नहीं आ रही है. चूरू के सादुलपुर कस्बे में कुछ ऐसा ही हाल है. जहां राऊ टिब्बा गांव में घर से स्कूल तक जाने को सड़क नहीं है, ऐसे में पैदल स्कूल जाने को बेटियां मजबूर है, देखिए सादुलपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

Sadulpur Churu, Churu news
चूरू के सादुलपुर में सरकारी स्कूल की छात्राओं की पीड़ा
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Published : Dec 18, 2019, 11:07 PM IST

सादुलपुर (चूरू). सरकार भले ही बालिकाओं की सुविधाओं को लेकर सजग हो लेकिन बात जब धरातल पर उपलब्ध संसाधनों की जाए तो कुछ और ही नजर आता है. कुछ ऐसी ही विशेष परिस्थितियों से होनहार बेटियां जूझ रही है. ऐसा ही एक मामला राऊ टिब्बा के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक स्कूल से जुड़ा हुआ है. कहने तो इस विद्यालय में समस्त संसाधन उपलब्ध है, लेकिन इन बेटियों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है. समस्या है स्कूल तक सड़क की. राज्य सरकार ने बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल तो प्रदान कर दी, लेकिन इस विद्यालय की छात्राओं के साइकिल से स्कूल पहुंचना उनके नसीब में नहीं है. सड़क नहीं होने से बालिकाएं साइकिल नहीं चला पा रही. इस मार्ग पर पैदल चलना मुश्किल है, चार वर्षों से कक्षा 9 की छात्राओं को साइकिल प्रदान की जा रही है, लेकिन साइकिल बेटियों के काम नहीं आ रही है.

चूरू के सादुलपुर में सरकारी स्कूल की छात्राओं की पीड़ा

सन् 1965 में खुला था स्कूल
यह विद्यालय 1965 राऊटिब्बा गांव में खोला गया था, लेकिन जगह के अभाव में गांव के जोहड़ में 2001 में स्थानांतरित कर दिया. 2003 में उप्रावि में क्रमोन्नत किया गया. 2013 में माध्यमिक व 2015 में इसे उमावि में क्रमोन्नत किया. इस विद्यालय में 2018 -19 में छात्र-छात्राओं की संख्या 254 थीं. जो वर्तमान में घटकर 213 रह गई है. विद्यालय के संस्था प्रधान चन्द्रपाल डारा ने बताया कि गांव से विद्यालय के बीच कच्चा रास्ता है. रास्ते के दोनों तरफ अतिक्रमण है. जिससे दुर्घटना की आशंका रहती है.

पढ़ें- सरकारी विद्यालय की छात्राओं को मौसम की मार से मिलेगी राहत, विधायक कोटे से होगा टीन शेड का निर्माण

छात्राओं ने सुनाई अपनी पीड़ा
वहीं स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि गांव से विद्यालय के बीच 800 मीटर की दूरी पार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मार्ग पर सड़क निर्माण करवाकर राहत प्रदान की जानी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को परेशानी ना हो. वहीं नौवीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा नीलम का कहना है कि राज्य सरकार की योजना से निशुल्क साइकिल तो मिली लेकिन सड़क नही होने से साइकिल काम नहीं आ रही है. सरकार को शीघ्र सड़क निर्माण करवाना चाहिए ताकि साइकिल काम में ली जा सके.

पढ़ें- उदयपुर: सांसद अर्जुन लाल मीणा की नई पहल, 80 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्राएं पीएम से करेंगी मुलाकात

छात्रा नेहा राठौड़ ने बताया कि विद्यालय में निशुल्क साइकिल मिली तब खुशी हुई, लेकिन गांव से विद्यालय के बीच कच्चे मार्ग की दूरी ने हमारी खुशियां छीन ली. इस मार्ग पर सड़क बनानी चाहिए ताकि कोई परेशानी ना हो. वहीं छात्रा अनिता ने कहा कि कच्चा मार्ग होने से धूल उड़ती रहती है, जिससे कपड़े भी खराब हो जाते है और पैदल चलने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इस मार्ग पर सड़क निर्माण हो जाता है आने जाने में राहत मिलेगी.

सादुलपुर (चूरू). सरकार भले ही बालिकाओं की सुविधाओं को लेकर सजग हो लेकिन बात जब धरातल पर उपलब्ध संसाधनों की जाए तो कुछ और ही नजर आता है. कुछ ऐसी ही विशेष परिस्थितियों से होनहार बेटियां जूझ रही है. ऐसा ही एक मामला राऊ टिब्बा के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक स्कूल से जुड़ा हुआ है. कहने तो इस विद्यालय में समस्त संसाधन उपलब्ध है, लेकिन इन बेटियों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है. समस्या है स्कूल तक सड़क की. राज्य सरकार ने बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल तो प्रदान कर दी, लेकिन इस विद्यालय की छात्राओं के साइकिल से स्कूल पहुंचना उनके नसीब में नहीं है. सड़क नहीं होने से बालिकाएं साइकिल नहीं चला पा रही. इस मार्ग पर पैदल चलना मुश्किल है, चार वर्षों से कक्षा 9 की छात्राओं को साइकिल प्रदान की जा रही है, लेकिन साइकिल बेटियों के काम नहीं आ रही है.

चूरू के सादुलपुर में सरकारी स्कूल की छात्राओं की पीड़ा

सन् 1965 में खुला था स्कूल
यह विद्यालय 1965 राऊटिब्बा गांव में खोला गया था, लेकिन जगह के अभाव में गांव के जोहड़ में 2001 में स्थानांतरित कर दिया. 2003 में उप्रावि में क्रमोन्नत किया गया. 2013 में माध्यमिक व 2015 में इसे उमावि में क्रमोन्नत किया. इस विद्यालय में 2018 -19 में छात्र-छात्राओं की संख्या 254 थीं. जो वर्तमान में घटकर 213 रह गई है. विद्यालय के संस्था प्रधान चन्द्रपाल डारा ने बताया कि गांव से विद्यालय के बीच कच्चा रास्ता है. रास्ते के दोनों तरफ अतिक्रमण है. जिससे दुर्घटना की आशंका रहती है.

पढ़ें- सरकारी विद्यालय की छात्राओं को मौसम की मार से मिलेगी राहत, विधायक कोटे से होगा टीन शेड का निर्माण

छात्राओं ने सुनाई अपनी पीड़ा
वहीं स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि गांव से विद्यालय के बीच 800 मीटर की दूरी पार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मार्ग पर सड़क निर्माण करवाकर राहत प्रदान की जानी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को परेशानी ना हो. वहीं नौवीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा नीलम का कहना है कि राज्य सरकार की योजना से निशुल्क साइकिल तो मिली लेकिन सड़क नही होने से साइकिल काम नहीं आ रही है. सरकार को शीघ्र सड़क निर्माण करवाना चाहिए ताकि साइकिल काम में ली जा सके.

पढ़ें- उदयपुर: सांसद अर्जुन लाल मीणा की नई पहल, 80 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्राएं पीएम से करेंगी मुलाकात

छात्रा नेहा राठौड़ ने बताया कि विद्यालय में निशुल्क साइकिल मिली तब खुशी हुई, लेकिन गांव से विद्यालय के बीच कच्चे मार्ग की दूरी ने हमारी खुशियां छीन ली. इस मार्ग पर सड़क बनानी चाहिए ताकि कोई परेशानी ना हो. वहीं छात्रा अनिता ने कहा कि कच्चा मार्ग होने से धूल उड़ती रहती है, जिससे कपड़े भी खराब हो जाते है और पैदल चलने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इस मार्ग पर सड़क निर्माण हो जाता है आने जाने में राहत मिलेगी.

Intro:सादुलपुर- सरकार भले ही बालिकाओं की सुविधाओं को लेकर सजग हो लेकिन बात जब धरातल पर उपलब्ध संसाधनों की जाए तो कुछ और ही नजर आता है। कुछ ऐसी ही विशेष परिस्थितियों से जूझ रही है हमारी होनहार बेटियां। मामला राऊ टिब्बा के राजकीय आदर्श उमावि से जुड़ा हुआ है। कहने तो इस विद्यालय में समस्त संसाधन उपलब्ध है। लेकिन इन बेटियों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। चुनावों के समय विकास के बड़े- बड़े वादे किए गए लेकिन चुनाव के बाद सब भूल गए। समस्या है। स्कूल तक सड़क की। राज्य सरकार ने बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिलें तो प्रदान कर दी लेकिन इस विद्यालय की छात्राओं के साइकिल से स्कूल पहुंचना उनके नसीब में नहीं है। सड़क नहीं होने से बालिकाएं साइकिल नहीं चला पा रही। इस मार्ग पर पैदल चलना मुश्किल है। चार वर्षों से कक्षा 9 की छात्राओं को साइकिल प्रदान की जा रही है। लेकिन साइकिल बेटियों के काम नहीं आ रही है।

Body:1965 में खुला था स्कूल
यह विद्यालय 196 5 राऊटिब्बा गांव में खोला गया था लेकिन जगह के अभाव में गांव के जोहड़ में 2001 में स्थानांतरित कर दिया। 2003 में उप्रावि में क्रमोन्नत किया गया। 2013 में माध्यमिक व 2015 में इसे उमावि में क्रमोन्नत किया। इस विद्यालय में 2018 -19 में छात्र-छात्राओं की संख्या 254 थीं । वर्तमान में घटकर 213 रह गई है। विद्यालय के संस्था प्रधान चन्द्रपाल डारा ने बताया कि गांव से विद्यालय के बीच कच्चा रास्ता है। रास्ते के दोनों तरफ अतिक्रमण है। जिससे दुर्घटना की संभावना रहती है। सड़क बनाई जानी चाहिए।


Conclusion:बाइट-तनुश्री, छात्र कक्षा 9
गांव से विद्यालय के बीच 8 00 मीटर की दूरी पार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । इस मार्ग पर सड़क निर्माण करवाकर राहत प्रदान की जानी चाहिए। ताकि विद्यार्थियों को परेशानी ना हो।

बाइट-नीलम, कक्षा 9
राज्य सरकार की योजना से निशुल्क साइकिल तो मिली लेकिन सड़क नही होने से साइकिल काम नहीं आ रही है। सरकार को शीघ्र सड़क निर्माण करवाना चाहिए ताकि साइकिल काम में ली जा सके।

बाइट-नेहा राठौड़, कक्षा 12
विद्यालय में निशुल्क साइकिल मिली तब खुशी हुई लेकिन गांव से विद्यालय के बीच कच्चे मार्ग की 8 00 मीटर की दूरी ने हमारी खुशियां छीन ली। इस मार्ग पर सड़क बनानी चाहिए ताकि कोई परेशानी ना हो। साइकिल का भी उपयोग हो सके।

अनिता, कक्षा 12
कच्चा मार्ग होने से धूल उड़ती रहती है जिससे कपड़े भी खराब हो जाते है और पैदल चलने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इस मार्ग पर सड़क निर्माण हो जाता है आने जाने में राहत मिलेगी। साइकिल भी काम आ सकेगी।

बाइट-चन्द्रपाल डारा, संस्था प्रधान
यह विद्यालय 196 5 राऊटिब्बा गांव में खोला गया था लेकिन जगह के अभाव में गांव के जोहड़ में 2001 में स्थानांतरित कर दिया। 2003 में उप्रावि में क्रमोन्नत किया गया। 2013 में माध्यमिक व 2015 में इसे उमावि में क्रमोन्नत किया। इस विद्यालय में 2018 -19 में छात्र-छात्राओं की संख्या 254 थीं । वर्तमान में घटकर 213 रह गई है। विद्यालय के संस्था प्रधान चन्द्रपाल डारा ने बताया कि गांव से विद्यालय के बीच कच्चा रास्ता है। रास्ते के दोनों तरफ अतिक्रमण है। जिससे दुर्घटना की संभावना रहती है। सड़क बनाई जानी चाहिए।
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