चूरू. प्रदेश में प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार मिल रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों से लौटे प्रवासी मजदूर मनरेगा में काम कर रहे हैं. जिला परिषद के सीईओ रामस्वरूप चौहान के मुताबिक पिछले साल मई से मुकाबले इस बार मनरेगा में श्रमिकों की संख्या 32 हजार ज्यादा है.
पिछले साल मई महीने में जिले में 93 हजार व्यक्तियों को मनरेगा में रोजगार मिला था. इस बार यह संख्या बढ़कर 1.25 लाख तक पहुंच गई है. बढ़ी हुई श्रमिकों की संख्या में ज्यादातर अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिक हैं. अधिकारियों का कहना है कि मनरेगा में काम के दौरान कार्यस्थल पर कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए जारी की गई गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है.
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मई में राजगढ़ सबसे अव्वल
चूरू जिले में मई महीने में मनरेगा में श्रमिकों को काम दिलाने में राजगढ़ ब्लॉक पहले स्थान पर रहा. बीदासर ब्लॉक में सबसे कम श्रमिकों ने काम किया. बता दें कि राजगढ़ में 25 हजार 446, बीदासर में 9976, तारानगर में 21033, सरदारशहर में 24351, सुजानगढ़ में 17056, चूरू में 13960 और रतनगढ़ में 13426 श्रमिकों को रोजगार मिला.
महिला श्रमिकों की संख्या ज्यादा
जिला परिषद के अधिकारियों के मुताबिक जिले में पुरुष श्रमिकों के मुकाबले महिला श्रमिकों को मनरेगा में काम करना पसंद है. जिले में मनरेगा में काम कर रहे श्रमिकों में 60 फीसदी महिलाएं हैं. उनका कहना है कि महिला को गांव में ही रोजगार मिल रहा है और ज्यादातर महिलाएं होने के कारण खुद को सुरक्षित महसूस करती है. एक दिन के अधिकतम 220 रुपए ही मिलते हैं, इसलिए पुरूषों की मनरेगा में रूचि कम है.
पिछले साल के मुकाबले इस साल मई महीने में मनरेगा श्रमिकों की संख्या में इजाफा हुआ है. पिछले साल मई में 93 हजार लोगों को मनरेगा में काम मिला था, इस बार श्रमिकों की संख्या 1.25 लाख हो गई है. प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा में काम मिला है, इसलिए भी संख्या बढ़ी है.