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शहर में घूम रहे 500 से ज्यादा आवारा पशु, चूरू नगर परिषद की ढिली कार्रवाई

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Published : Sep 6, 2019, 7:58 PM IST

चूरू शहर की सड़कों पर 500 से ज्यादा आवार पशुओं का जमावड़ा है पर चूरू नगर परिषद द्वारा इन्हें पकड़ने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. नगर परिषद ने आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए टेंडर भी जारी किए. लेकिन, कोई भी फर्म इस काम की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.

चूरू नगर परिषद न्यूज, Churu City Council News

चूरू. जिले में 500 से ज्यादा आवारा पशु घूम रहे हैं. लेकिन, नगर परिषद के अधिकारी पिछले डेढ़ साल में पशुओं को पकड़ने के लिए किसी फर्म को नया टेंडर जारी नहीं कर सके हैं. हालांकि, इस दौरान परिषद की ओर से पांच-छह बार टेंडर भी जारी किए गए. लेकिन, किसी भी फर्म या व्यक्ति ने कोई रुचि नहीं दिखाई है. यही कारण है कि आज तक किसी भी फर्म को इन्हे पकड़ने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी है.

शहर में घूम रहे हैं 500 से ज्यादा बेसहारा पशु

पढ़ें- नागौर-बीकानेर हाइवे पर पलटी कार, हादसे में नागौर विधायक घायल
शहर के मुख्य इलाकों में पशु कई बार आपस में झगड़ते रहते है इसलिए रोज-रोज हादसे हो रहे है. गुरुवार को भी पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनोज शर्मा को भी इस हादसे से रूबरू होना पड़ा था. हालांकि, गनीमत रही कि उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं आई.

पढ़ें- वसुंधरा राजे का बंगला खाली करवाने को लेकर बेनीवाल ने की ये टिप्पणी
मार्च 2018 के बाद नहीं किया कोई नया टेंडर जारी
बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर परिषद मार्च 2018 के बाद किसी फर्म को टेंडर जारी नहीं कर सकी है. हालांकि, इस दौरान पांच-छह बार नगर परिषद की ओर से टेंडर जारी किए गए लेकिन किसी भी फर्म ने यह काम करने में रूचि नहीं दिखाई. परिषद की ओर से आखरी टेंडर 14 जून 2019 में जारी किया गया था.

फर्म इसलिए नहीं दिखा रही है रूचि
नगर परिषद के सूत्रों की माने तो 12 महीने में पशु पकड़ने के लिए एक लाख रुपए फर्म को दिए जा रहे है. ऐसे में पशुओं की संख्या ज्यादा होने की वजह से कोई भी फर्म इस काम में रूचि नहीं दिखा रही है.

पीएम के दौरे के दौरान पकड़े थे पशु
नगर परिषद के सफाई निरीक्षक राकेश धायल का माने तो बेसहारा पशुओं को बड़ी तादाद में पकड़ने का काम फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान किया गया था. इसके बाद में बड़े राजनीतिक दलों की रैली से पहले ही नगर परिषद बेसहारा पशुओं को पकड़ने का काम करती है. यह काम अस्थाई रूप से सफाई कर्मचारियों को दे रखा है.

ढ़ें- अजगर ने रोका कई घरों का पानी, ऐसे की गई सप्लाई
यहां रहता है पशुओं का जमावड़ा
शहर के कलेक्ट्रेट परिसर धर्म स्तूप, पुराना और नया बस स्टैंड, नेचर पार्क, नगर परिषद कार्यालय के सामने और सब्जी मंडी सहित कई इलाकों में सुबह शाम भारी तादाद में बेसहारा पशु रहते हैं.

चूरू. जिले में 500 से ज्यादा आवारा पशु घूम रहे हैं. लेकिन, नगर परिषद के अधिकारी पिछले डेढ़ साल में पशुओं को पकड़ने के लिए किसी फर्म को नया टेंडर जारी नहीं कर सके हैं. हालांकि, इस दौरान परिषद की ओर से पांच-छह बार टेंडर भी जारी किए गए. लेकिन, किसी भी फर्म या व्यक्ति ने कोई रुचि नहीं दिखाई है. यही कारण है कि आज तक किसी भी फर्म को इन्हे पकड़ने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी है.

शहर में घूम रहे हैं 500 से ज्यादा बेसहारा पशु

पढ़ें- नागौर-बीकानेर हाइवे पर पलटी कार, हादसे में नागौर विधायक घायल
शहर के मुख्य इलाकों में पशु कई बार आपस में झगड़ते रहते है इसलिए रोज-रोज हादसे हो रहे है. गुरुवार को भी पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनोज शर्मा को भी इस हादसे से रूबरू होना पड़ा था. हालांकि, गनीमत रही कि उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं आई.

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मार्च 2018 के बाद नहीं किया कोई नया टेंडर जारी
बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर परिषद मार्च 2018 के बाद किसी फर्म को टेंडर जारी नहीं कर सकी है. हालांकि, इस दौरान पांच-छह बार नगर परिषद की ओर से टेंडर जारी किए गए लेकिन किसी भी फर्म ने यह काम करने में रूचि नहीं दिखाई. परिषद की ओर से आखरी टेंडर 14 जून 2019 में जारी किया गया था.

फर्म इसलिए नहीं दिखा रही है रूचि
नगर परिषद के सूत्रों की माने तो 12 महीने में पशु पकड़ने के लिए एक लाख रुपए फर्म को दिए जा रहे है. ऐसे में पशुओं की संख्या ज्यादा होने की वजह से कोई भी फर्म इस काम में रूचि नहीं दिखा रही है.

पीएम के दौरे के दौरान पकड़े थे पशु
नगर परिषद के सफाई निरीक्षक राकेश धायल का माने तो बेसहारा पशुओं को बड़ी तादाद में पकड़ने का काम फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान किया गया था. इसके बाद में बड़े राजनीतिक दलों की रैली से पहले ही नगर परिषद बेसहारा पशुओं को पकड़ने का काम करती है. यह काम अस्थाई रूप से सफाई कर्मचारियों को दे रखा है.

ढ़ें- अजगर ने रोका कई घरों का पानी, ऐसे की गई सप्लाई
यहां रहता है पशुओं का जमावड़ा
शहर के कलेक्ट्रेट परिसर धर्म स्तूप, पुराना और नया बस स्टैंड, नेचर पार्क, नगर परिषद कार्यालय के सामने और सब्जी मंडी सहित कई इलाकों में सुबह शाम भारी तादाद में बेसहारा पशु रहते हैं.

Intro:चूरू। चूरू शहर में 500 से ज्यादा बेसहारा पशु घूम रहे है। रोज हादसे हो रहे है, लेकिन नगर परिषद के अधिकारी पिछले डेढ़ साल में इन बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए किसी फर्म को नया टेंडर जारी नहीं कर सके है।
हालांकि इस दौरान परिषद की ओर से पांच-छह बार टेंडर जारी किए गए लेकिन किसी भी फर्म या व्यक्ति ने कोई रुचि नही दिखाई है। यही कारण है कि आज तक किसी भी फर्म को इन्हे पकड़ने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी है।
शहर के मुख्य इलाकों में पशु कई बार आपस में झगड़ते रहते है इसलिए रोज-रोज हादसे हो रहे है। गुरुवार को भी पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं सवास्थ्य अधिकारी मनोज शर्मा को भी इस हादसे से रूबरू होना पड़ा था। हालांकि गनीमत रही कि उन्हें कोई गम्भीर चोट नहीं लगी।


Body:मार्च 2018 के बाद नहीं किया कोई नया टेंडर जारी
बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर परिषद मार्च 2018 के बाद किसी फर्म को टेंडर जारी नहीं कर सकी है। हालांकि इस दौरान पांच छह बार नगर परिषद की ओर से टेंडर जारी किए गए लेकिन किसी भी फर्म ने यह काम करने में रूचि नहीं दिखाई। परिषद की ओर से आखरी टेंडर 14 जून 2019 में जारी किया गया था।
फर्म इसलिए नहीं दिखा रही है रूचि
नगर परिषद के सूत्रों की माने तो 12 महीने में पशु पकड़ने के लिए एक लाख रुपए फर्म को दिए जा रहे है। ऐसे में पशुओं की संख्या ज्यादा होने की वजह से कोई भी फर्म इस काम में रूचि नहीं दिखा रही है।
पीएम के दौरे के दौरान पकड़े थे पशु
नगर परिषद के सूत्रों की माने तो बेसहारा पशुओं को बड़ी तादाद में पकड़ने का काम फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान किया गया था। इसके बाद में बड़े राजनीतिक दलों की रैली से पहले ही नगर परिषद बेसहारा पशुओं को पकड़ने का काम करती है। यह काम अस्थाई रूप से सफाई कर्मचारियों को दे रखा है।



Conclusion:यहां रहता है पशुओं का जमावड़ा
शहर के कलेक्ट्रेट परिसर धर्म स्तूप, पुराना व नया बस स्टैंड, नेचर पार्क, नगर परिषद कार्यालय के सामने और सब्जी मंडी सहित कई इलाकों में सुबह शाम भारी तादाद में बेसहारा पशु रहते है।
बाइट: एक-राकेश धायल, सफाई निरीक्षक, नगर परिषद चुरू।
नगर परिषद के सफाई निरीक्षक राकेश धायल का कहना है कि जून 2019 के बाद नए टेंडर जारी नहीं किये गए है। 2018 के बाद 5-6 बार टेंडर जारी किए गए लेकिन किसी भी फर्म ने रुचि नहीं दिखाई है।

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