चूरू. कोरोना महामारी ने आर्थिक उद्योग-धंधों पर बुरा असर डाला है. वहीं महामारी को देखते हुए लोगों की जीवनशैली भी बदल गई है. कोरोना संक्रमण न फैले, इसके लिए एक नया वर्क कल्चर अपनाया गया है, वर्क फ्रॉम होम. पारंपरिक दफ्तरों का काम अब वर्क फ्रॉम होम (Work from home) में तब्दील हो गया है. स्टूडेंट स्कूल, कॉलेज जाने के बजाय घर बैठे लैपटॉप से क्लास कर रहे हैं. ऐसे में चूरू में लैपटॉप, कंप्यूटर की डिमांड बढ़ गई है. डिमांड इतनी है कि बुकिंग के बाद भी समय पर लैपटॉप नहीं मिल पा रहा है.
साल 2020 में आई देश मे कोरोना महामारी ने हर एक चीज को प्रभावित किया है, चाहे वह रोजगार हो या देश की अर्थव्यवस्था विश्वभर में तबाही मचा चुकी है. कोरोना महामारी ने विश्व के उन समृद्ध और शक्तिशाली देशों को भी अपनी चपेट में लिया है तो तेजी से फैलते इस संक्रमण को थामने और आमजन के जीवन को बचाने के उद्देश्य से लगाएं गए लॉकडाउन ने लाखों करोड़ों लोगों के रोजगार को प्रभावित किया है लेकिन एक सेक्टर ऐसा भी है, जिसने इस महामारी के दौरान और अधिक डिजिटल इंडिया के नारे को बुलंद किया है.
कोरोना काल (COVID-19 period) में आईटी सेक्टर मालामाल हुआ है. वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज ने लैपटॉप और एसेसिरिज की बिक्री को दोगुना कर दिया है. चूरू में तो हालात यह है कि यहां ग्राहकों को बुकिंग के बाद भी लैपटॉप, डेस्कटॉप नहीं मिल रहे.
दफ्तरों में स्टाफ आधा, घर से ही हुआ काम
संक्रमण काल के दौरान ना सिर्फ निजी दफ्तर बंद हुए बल्कि सरकारी कार्यालयों को भी बंद रखा गया और जब खुले तो आधा स्टाफ ही काम पर बुलाया गया. ऐसे में निजी दफ्तरों के साथ सरकारी दफ्तरों में भी एडवांस टेक्नोलॉजी के लैपटॉप और कंप्यूटर की मांग बढ़ी.
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शहर के एक कंप्यूटर्स स्टोर के संचालक विमल शर्मा ने बताया कि बुकिंग के बावजूद आगे से माल नहीं आ रहा है. संक्रमण के खतरे के बीच लोग घरों से ही ऑनलाइन कार्य को करना पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया हैडफोन, वेबकेम, ईयर फोन, कंप्यूटर स्टोर संचालकों का कहना है कि आगे से माल कम आ रहा है और जो आ रहा है उसकी भी दरें बढ़ी हुई आ रही है.
ग्राहकों को करना पड़ रहा है इंतजार
चूरू के राजकीय बागला स्कूल के प्रधानाचार्य महेश सोनी ने बताया कि संक्रमण काल में ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प है. सोनी ने बताया कि मेरे खुद के बच्चे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण कॉल आया तो कोचिंग संस्थान बंद हो गए. शिक्षा प्रभावित हुई तो ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प संस्थान ने दिया.
प्रधानाचार्य महेश सोनी ने बताया कि उन्होंने दो लैपटॉप की बुकिंग करवाई है. 15 दिन बीत जाने के बाद भी सोनी को लैपटॉप नहीं मिले. ऑनलाइन क्लास के दौरान मोबाइल में कंटेंट बहुत छोटा दिखता है. इसलिए लैपटॉप की आवश्यकता पड़ी प्राचार्य सोनी ने कहा की डेटा की खपत भी बढ़ी है तो डिमांड भी बढ़ी है और खर्चा भी बढ़ा है.
स्टॉक हुए निल
शहर के संचालक इमरान खान ने बताया कि वर्तमान दौर में मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप, एसेसीरिज की मांग बढ़ी है. उन्होंने बताया कि वर्क फ्रॉम हॉम और कोचिंग क्लासेज ऑनलाइन शुरू होने से व्यापार में काफी बदलाव आया है. उन्होंने बताया कि लॉक डाउन खुलने के बाद उनका सारा स्टॉक नील हो गया. लोगों के एडवांस आर्डर पड़े है.
चुनावी रैलियां भी वर्चुअल
यह डिजिटाइजेशन का ही कमाल है कि कोरोना महामारी के दौरान चुनावों में भी राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने वर्चुअल प्लेटफार्म के जरिए रैली और बैठके की कोरोना संक्रमण कॉल में उद्घाटन भी ऑनलाइन हुए. महामारी के दौरान ही सही देश में डिजिटिलाइजेशन तो बढ़ावा मिला है.