सुजानगढ़. सुजानगढ़ का एक डेढ़ साल का मासूम जिसे बीमारी क्या होती है, यह भी नहीं पता होता खतरनाक बीमारी से लड़ रहा है. यह मासूम अस्पताल में ब्लड कैंसर के साथ ब्लैक फंगस जैसी खतरनाक बीमारी से जुझ रहा है और इसे बचाने के लिए बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल का स्टाफ दिनरात एक कर रहा है. डेढ़ साल के बच्चे को ब्लैक फंगस होने का यह प्रदेश में पहला मामला है जबकि बच्चे को ब्लड कैंसर भी है.
जानकारी के अनुसार पीबीएम हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने बच्चे की एमआरआई करवाई है और उसकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. एमआरआई रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि फंगस कहां तक फैला है और ऑपरेशन करने की स्थिति होगी या नहीं. दिमाग तक अगर फंगस पंहूचा है तो ऑपरेशन कर निकाल दिया जायेगा. चिकित्सकों ने बताया कि मंगलवार को कोविड वार्ड में बच्चे को लाते ही उसका आवश्यक उपचार शुरू कर दिया गया है. चिकित्सकीय टीम के अनुसार डेढ़ साल के बच्चे की स्किन बहुत नाजुक होती है.
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नाक व होठ के पास ब्लैक स्पॉट, जांच में ब्लैक फंगस की पुष्टि
कैंसर के इलाज के लिए 8 दिन से आचार्य तुलसी रिसर्च कैंसर सेंटर में भर्ती सुजानगढ़ के वार्ड नं. 20 के मासूम की नाक के नीचे कालापन देख डॉक्टरों ने जांच करवाने पर ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई. मंगलवार को तुरंत बच्चे को कैंसर वार्ड से ब्लैक फंगस वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन देना शुरू किया गया है. बच्चे के नाक व होठ के पास ब्लैक स्पॉट दिखे हैं. फिर सामान्य जांच के बाद उसका इलाज किया, लेकिन असर नहीं हुआ. चिकित्सकों के अनुसार इस बच्चे को एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया है, जो एक तरह का ब्लड कैंसर है. यह छोटे बच्चों में होता है. हालांकि ऐसे केस बहुत कम होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे में ब्लैक फंगस की वजह कैंसर का उपचार करते हुए दी गई स्टेरॉयड हो सकती है. स्टेरायड कैंसर रोगी के ट्रीटमेंट का पार्ट है.
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अभी कई जांच बाकी, कोरोना नहीं है बच्चे को
फिलहाल ज्यादातर ब्लैक फंगस के मामले पोस्ट कोविड में आ रहे हैं, लेकिन इस बच्चे को कोरोना नहीं हुआ था. हाल ही में की गई रिपोर्ट भी निगेटिव आई है. परिवार में भी किसी को कोरोना अभी नहीं हुआ है. ऐसे में यह पोस्ट कोविड का साइड इफेक्ट नहीं है. डॉक्टर ये पता लगाने में जुटे हैं कि वह इस बीमारी की चपेट में कैसे आया.