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नहीं रहा राजस्थान की राजनीति का 'मास्टर', सुजानगढ़ में आज होगा अंतिम संस्कार - Churu Latest News

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल का लंबी बिमारी के पश्चात सोमवार को गुड़गांव के मेदांता हॉस्पीटल में देर शाम निधन हो गया. मेघवाल के निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी. राजस्थान की राजनीति में दबंग राजनेता और कुशल प्रशासक रहे मेघवाल का जन्म दो जुलाई 1948 को उपखंड के गांव बाघसरा पूर्वी में चूनाराम मेघवाल के यहां हुआ.

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बेटी बनारसी के 18 दिन बाद पिता मेघवाल ने भी छोड़ दी दुनिया
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Published : Nov 17, 2020, 1:24 AM IST

Updated : Nov 17, 2020, 7:07 AM IST

चूरू. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल का लंबी बिमारी के पश्चात सोमवार को गुड़गांव के मेदांता हॉस्पीटल में देर शाम निधन हो गया. मेघवाल के निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी. राजस्थान की राजनीति में दबंग राजनेता और कुशल प्रशासक रहे मेघवाल का जन्म दो जुलाई 1948 को उपखंड के गांव बाघसरा पूर्वी में चूनाराम मेघवाल के यहां हुआ.

बेटी बनारसी के 18 दिन बाद पिता मेघवाल ने भी छोड़ दी दुनिया

15 मई 1965 को मेघवाल की शादी केशरदेवी मेघवाल से हुई. मेघवाल दपंति के दो पुत्री और एक पुत्र मनोज है. एक पुत्री पूर्व जिला प्रमुख और एआईसीसी सदस्या डॉ. बनारसी मेघवाल का गत 29 अक्टूबर को निधन हो गया था. बेटी बनारसी के निधन के पश्चात कार्यकर्ताओं की मांग पर पंचायत समिति सदस्य का नामाकंन दाखिल करने वाली केशरदेवी मेघवाल निर्विरोध निर्वाचित हुई.

राजनीति में आने से पहले मा. भंवरलाल मेघवाल सरकारी अध्यापक थे और वे सुजानगढ़ के राजकीय गणेशीराम झंवर विद्यालय में बतौर पीटीआई कार्यरत थे. सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अनुसचित जाति के लिए आरक्षित होने के पश्चात 1977 में शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर मेघवाल ने अपना पहला चुनाव लड़ा और पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राजस्थान की राजनीति के दिग्गज दलित नेता रहे मा. भंवरलाल ने पहले चुनाव में हार के पश्चात 1980 में जीत का स्वाद चखा था. उसके बाद से वे पक्ष में रहे चाहें विपक्ष में लगातार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहें थे.

पढ़ेंः भंवरलाल मेघवाल के निधन पर कांग्रेस पार्टी में शोक की लहर...CM गहलोत ने जताया दुख

उन्होंने लगातार 10 विधानसभा चुनाव लड़े और श्रीगंगानगर से एक लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के समय से कांग्रेस के वफादार सिपाही रहे मेघवाल की प्रदेश के दलित वोट बैंक पर खासी पकड़ थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे मा. भंवरलाल मेघवाल को क्षेत्र में विकास के बड़े कामों के लिए जाना जाता है. मेघवाल के शोक में मंगलवार को शहर के बाजार बंद रखने का निर्णय व्यापार मण्डलों द्वारा लिया गया है.

18 दिन पहले हुआ था पुत्री का निधन

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल की पुत्री पूर्व जिला प्रमुख और एआईसीसी सदस्या डॉ. बनारसी मेघवाल का गत 29 अक्टूबर को निधन हुआ था. मा. भंवरलाल के परिवार में पत्नी केशरदेवी, पुत्र मनोज कुमार और एक पुत्री है.

सुजानगढ़ में मंगलवार दोपहर में होगा अंतिम संस्कार

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर दो बजे चापटिया मोक्षधाम में होगा. अंत्येष्टी से पहले स्व. मेघवाल की अंतिम यात्रा बस स्टैण्ड होते हुए कांग्रेस कार्यालय लाई जायेगी, जहां पर कार्यकर्ता एवं आम जन उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे.

चूरू. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल का लंबी बिमारी के पश्चात सोमवार को गुड़गांव के मेदांता हॉस्पीटल में देर शाम निधन हो गया. मेघवाल के निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी. राजस्थान की राजनीति में दबंग राजनेता और कुशल प्रशासक रहे मेघवाल का जन्म दो जुलाई 1948 को उपखंड के गांव बाघसरा पूर्वी में चूनाराम मेघवाल के यहां हुआ.

बेटी बनारसी के 18 दिन बाद पिता मेघवाल ने भी छोड़ दी दुनिया

15 मई 1965 को मेघवाल की शादी केशरदेवी मेघवाल से हुई. मेघवाल दपंति के दो पुत्री और एक पुत्र मनोज है. एक पुत्री पूर्व जिला प्रमुख और एआईसीसी सदस्या डॉ. बनारसी मेघवाल का गत 29 अक्टूबर को निधन हो गया था. बेटी बनारसी के निधन के पश्चात कार्यकर्ताओं की मांग पर पंचायत समिति सदस्य का नामाकंन दाखिल करने वाली केशरदेवी मेघवाल निर्विरोध निर्वाचित हुई.

राजनीति में आने से पहले मा. भंवरलाल मेघवाल सरकारी अध्यापक थे और वे सुजानगढ़ के राजकीय गणेशीराम झंवर विद्यालय में बतौर पीटीआई कार्यरत थे. सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अनुसचित जाति के लिए आरक्षित होने के पश्चात 1977 में शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर मेघवाल ने अपना पहला चुनाव लड़ा और पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राजस्थान की राजनीति के दिग्गज दलित नेता रहे मा. भंवरलाल ने पहले चुनाव में हार के पश्चात 1980 में जीत का स्वाद चखा था. उसके बाद से वे पक्ष में रहे चाहें विपक्ष में लगातार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहें थे.

पढ़ेंः भंवरलाल मेघवाल के निधन पर कांग्रेस पार्टी में शोक की लहर...CM गहलोत ने जताया दुख

उन्होंने लगातार 10 विधानसभा चुनाव लड़े और श्रीगंगानगर से एक लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के समय से कांग्रेस के वफादार सिपाही रहे मेघवाल की प्रदेश के दलित वोट बैंक पर खासी पकड़ थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे मा. भंवरलाल मेघवाल को क्षेत्र में विकास के बड़े कामों के लिए जाना जाता है. मेघवाल के शोक में मंगलवार को शहर के बाजार बंद रखने का निर्णय व्यापार मण्डलों द्वारा लिया गया है.

18 दिन पहले हुआ था पुत्री का निधन

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल की पुत्री पूर्व जिला प्रमुख और एआईसीसी सदस्या डॉ. बनारसी मेघवाल का गत 29 अक्टूबर को निधन हुआ था. मा. भंवरलाल के परिवार में पत्नी केशरदेवी, पुत्र मनोज कुमार और एक पुत्री है.

सुजानगढ़ में मंगलवार दोपहर में होगा अंतिम संस्कार

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर दो बजे चापटिया मोक्षधाम में होगा. अंत्येष्टी से पहले स्व. मेघवाल की अंतिम यात्रा बस स्टैण्ड होते हुए कांग्रेस कार्यालय लाई जायेगी, जहां पर कार्यकर्ता एवं आम जन उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे.

Last Updated : Nov 17, 2020, 7:07 AM IST
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