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चूरू: सालासर की बालाजी गौशाला का नवाचार, गोबर से तैयार हो रहा गोकाष्ठ, जानिए फायदे

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Published : Mar 8, 2020, 7:04 PM IST

चूरू के सालासर में श्री बालाजी गौशाला संस्थान ने एक नवाचार किया है. यहां गाय के गोबर से गोकाष्ठ बनाया जा रहा है, जिसे विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ ही अंत्येष्टि तक में उपयोग किया जा रहा है. इससे पर्यावरण संरक्षण होगा, साथ ही गौशाला भी आर्थिक रूप से मजबूत होगी.

सालासर की बालाजी गौशाला, गोबर से गोकाष्ठ तैयार
सालासर की बालाजी गौशाला

चूरू. जिले के सालासर की श्री बालाजी गौशाला संस्थान गायों की सेवा के लिए प्रसिद्ध है. यहां गायों के पीने के लिए आरओ के शुद्ध पानी की व्यवस्था है, तो गर्मी से बचाव के लिए डक्टिंग कूलर भी उपलब्ध है. गौशाला परिसर में ही ए श्रेणी का गौ अस्पताल भी है. जहां बीमार गायों की सेवा की जाती है.

सालासर की बालाजी गौशाला का नवाचार

पढ़ें: स्पेशल: होली पर पर्यावरण बचाने के लिए अनूठी पहल, गाय के गोबर से तैयार किए 2 लाख कंड़े

गौशाला ने अब गोकाष्ठ तैयार करने का नवाचार

ऐसे में अब बालाजी गौशाला ने गाय के गोबर से गोकाष्ठ तैयार करने का नवाचार किया है. गौशाला प्रबंधन ने गोकाष्ठ तैयार करने के लिए एक मशीन लगाई है, जिससे प्रति घंटे 16 क्विंटल गोकाष्ठ तैयार किया जा रहा है. गोशाला के अध्यक्ष रविशंकर पुजारी का कहना है कि गाय के गोबर से गोकाष्ठ तैयार होने से जहां गौशाला को आर्थिक मदद मिलेगी तो वहीं पर्यावरण भी शुद्ध होगा. गोकाष्ठ को धार्मिक अनुष्ठानों में काम में लिया जा रहा है, इतना ही नहीं यह अंत्येष्टि में भी काम आ सकेगा इससे पेड़ बचेंगे.

सालासर की बालाजी गौशाला, गोबर से गोकाष्ठ तैयार
गाय के गोबर से गोकाष्ठ तैयार

जानिए क्या है गोकाष्ठ के फायदे

  • गाय के गोबर से बनी लकड़ी से जहां पर्यावरण शुद्ध होगा.
  • गौशालाओं को ओर किसानों को भी आर्थिक मदद मिल सकेगी.
  • गाय के गोबर से बनी लकड़ी से ही अब हवन, यज्ञ किए जा सकेंगे
  • दूसरे धार्मिक संस्कारों के साथ ही अंतिम संस्कार भी किया जा सकेगा.
  • गाय के गोबर से लकड़ियां तैयार होने से पेड़ भी बचेंगे.
  • गौशाला के इस नवाचार से दूसरी गौशालाएं और किसान भी प्रेरित होंगे.
  • गाय के गोबर से तैयार होने वाले गोकाष्ठ से रोजगार के नए अवसर होंगे.
    सालासर की बालाजी गौशाला, गोबर से गोकाष्ठ तैयार
    मशीन से बन रहा गोकाष्ठ

गोकाष्ठ मशीन ऐसी करती है काम
बालाजी गौशाला संस्थान की ओर से गोकाष्ठ तैयार करने की यह मशीन हरियाणा से खरीदी गई है. इस मशीन से गाय के गोबर से लकड़ी बनाने के लिए ताजा गोबर काम में लिया जाता है. गोबर को लकड़ी का आकार देने के लिए मशीन में डाई लगी रहती है, जिससे गोबर लकड़ी के टुकड़ों के आकार में मशीन से बाहर आता है, बाद में इन्हें सूखाया जाता है. कठोर होने पर लकड़ी के रूप में काम में लिया जाता है.

पढ़ें: भरतपुर में सब्जियों से बनाया जा रहा होली के लिए रंग और गुलाल

होलिका दहन में भी होगा इस्तेमाल
सालासर में मुख्य होलिका दहन में भी बालाजी गौशाला संस्थान में गाय के गोबर से तैयार किए गए गोकाष्ठ का ही इस्तेमाल होगा. गोशाला में तैयार किए गए गोकाष्ठ को उत्तरप्रदेश में हुए एक बड़े हवन में भी काम में लिया गया था.

गौशाला आधुनिक सुविधाओं से लैस
सालासर की श्री बालाजी गौशाला में गायों के पीने के लिए जहां आरओ का शुद्ध पानी है, तो वहीं ए श्रेणी का अस्पताल भी. इसके साथ ही यहां गायों के खाने के लिए जैविक घास की व्यवस्था है तो वहीं गुड़, दलिए का नाश्ता भी करवाया जाता है.

चूरू. जिले के सालासर की श्री बालाजी गौशाला संस्थान गायों की सेवा के लिए प्रसिद्ध है. यहां गायों के पीने के लिए आरओ के शुद्ध पानी की व्यवस्था है, तो गर्मी से बचाव के लिए डक्टिंग कूलर भी उपलब्ध है. गौशाला परिसर में ही ए श्रेणी का गौ अस्पताल भी है. जहां बीमार गायों की सेवा की जाती है.

सालासर की बालाजी गौशाला का नवाचार

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गौशाला ने अब गोकाष्ठ तैयार करने का नवाचार

ऐसे में अब बालाजी गौशाला ने गाय के गोबर से गोकाष्ठ तैयार करने का नवाचार किया है. गौशाला प्रबंधन ने गोकाष्ठ तैयार करने के लिए एक मशीन लगाई है, जिससे प्रति घंटे 16 क्विंटल गोकाष्ठ तैयार किया जा रहा है. गोशाला के अध्यक्ष रविशंकर पुजारी का कहना है कि गाय के गोबर से गोकाष्ठ तैयार होने से जहां गौशाला को आर्थिक मदद मिलेगी तो वहीं पर्यावरण भी शुद्ध होगा. गोकाष्ठ को धार्मिक अनुष्ठानों में काम में लिया जा रहा है, इतना ही नहीं यह अंत्येष्टि में भी काम आ सकेगा इससे पेड़ बचेंगे.

सालासर की बालाजी गौशाला, गोबर से गोकाष्ठ तैयार
गाय के गोबर से गोकाष्ठ तैयार

जानिए क्या है गोकाष्ठ के फायदे

  • गाय के गोबर से बनी लकड़ी से जहां पर्यावरण शुद्ध होगा.
  • गौशालाओं को ओर किसानों को भी आर्थिक मदद मिल सकेगी.
  • गाय के गोबर से बनी लकड़ी से ही अब हवन, यज्ञ किए जा सकेंगे
  • दूसरे धार्मिक संस्कारों के साथ ही अंतिम संस्कार भी किया जा सकेगा.
  • गाय के गोबर से लकड़ियां तैयार होने से पेड़ भी बचेंगे.
  • गौशाला के इस नवाचार से दूसरी गौशालाएं और किसान भी प्रेरित होंगे.
  • गाय के गोबर से तैयार होने वाले गोकाष्ठ से रोजगार के नए अवसर होंगे.
    सालासर की बालाजी गौशाला, गोबर से गोकाष्ठ तैयार
    मशीन से बन रहा गोकाष्ठ

गोकाष्ठ मशीन ऐसी करती है काम
बालाजी गौशाला संस्थान की ओर से गोकाष्ठ तैयार करने की यह मशीन हरियाणा से खरीदी गई है. इस मशीन से गाय के गोबर से लकड़ी बनाने के लिए ताजा गोबर काम में लिया जाता है. गोबर को लकड़ी का आकार देने के लिए मशीन में डाई लगी रहती है, जिससे गोबर लकड़ी के टुकड़ों के आकार में मशीन से बाहर आता है, बाद में इन्हें सूखाया जाता है. कठोर होने पर लकड़ी के रूप में काम में लिया जाता है.

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होलिका दहन में भी होगा इस्तेमाल
सालासर में मुख्य होलिका दहन में भी बालाजी गौशाला संस्थान में गाय के गोबर से तैयार किए गए गोकाष्ठ का ही इस्तेमाल होगा. गोशाला में तैयार किए गए गोकाष्ठ को उत्तरप्रदेश में हुए एक बड़े हवन में भी काम में लिया गया था.

गौशाला आधुनिक सुविधाओं से लैस
सालासर की श्री बालाजी गौशाला में गायों के पीने के लिए जहां आरओ का शुद्ध पानी है, तो वहीं ए श्रेणी का अस्पताल भी. इसके साथ ही यहां गायों के खाने के लिए जैविक घास की व्यवस्था है तो वहीं गुड़, दलिए का नाश्ता भी करवाया जाता है.

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