चूरू. जिला मुख्यालय के राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबंद्धित राजकीय डीबी अस्पताल की कैंसर केयर यूनिट अव्यवस्थाओं का शिकार है. कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से ग्रसित जिले के मरीजों के लिए आज से 2 साल पहले साल 2017 में जिला मुख्यालय पर शुरू की गई. इस कैंसर केयर यूनिट में अभी तक स्थाई रूप से आईपीडी (मरीज भर्ती कक्ष) भी नहीं मिला है.
बता दें इस यूनिट के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से कैंसर केयर के लिए दो मेल और दो फीमेल नर्सिंग कर्मियों की बाकायदा सरकारी खर्चे पर ट्रेनिंग दी गई थी. लेकिन अब उनमें से केवल एक ही फीमेल नर्स यूनिट में कार्यरत है. बाकी ने यहां से अपना तबादला करवा लिया है. ऐसे में कैंसर जैसे रोग के मरीजों को भी यहां पर कीमोथेरेपी और दूसरी सुविधाओं के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. कई प्रकार की अवस्थाओं से जूझना पड़ रहा है.
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अस्थाई है आईपीडी
अभी कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी और दूसरी सुविधाओं के लिए जो आईपीडी आवंटित की गई है, वह अस्थाई है. इसी यूनिट में आइसोलेशन वार्ड है और लू ताप घात वार्ड भी है. यानि कि स्वाइन फ्लू और दूसरी मौसमी बीमारियों के मरीजों का भी इलाज इसी वार्ड में किया जाता है. ऐसे में मौसमी बीमारियों से जनित मरीजों की संख्या बढ़ने पर कैंसर के रोगियों के लिए कीमोथेरेपी करने की जगह भी नहीं मिलती है.
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चार नर्सिंग कर्मियों में से एक ही है कार्यरत
कैंसर केयर यूनिट के लिए सरकार ने अपने खर्चे पर दो मेल और दो फीमेल नर्सिंग कर्मियों को कैंसर केयर के लिए उज्जैन ट्रेनिंग पर भेजा था. इनमें से अभी केवल फीमेल नर्स ही यहां पर कार्यरत है. जबकि मुकेश कुमार नाम के नर्स ने अपना तबादला झुंझुनू करवा लिया है और कविता चूरू में ही राजकीय नर्सिंग कॉलेज में है. भरत डीबी अस्पताल में ही किसी दूसरी जगह पदस्थापित है.
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आईपीडी के लिए कई जगह खाली है हॉस्पिटल में
इस मामले में अस्पताल के अधीक्षक गोगा राम दानोदिया का कहना है कि जैसे ही अस्पताल में कोई खाली जगह उपलब्ध होगी. वहां पर कैंसर केयर की आईपीडी अलॉट कर दी जाएगी. लेकिन अभी हॉस्पिटल में ऐसी कई जगह खाली है. जहां आईपीडी को शिफ्ट किया जा सकता है. डीबी अस्पताल में ही लेखा विभाग और आइसोलेशन वार्ड खाली है, वहां पर भी आईपीडी शिफ्ट की जा सकती है. जो नर्सिंग कर्मी दूसरी जगह पदस्थापित हैं उन को यहां पर लगाने की कोशिश की जाएगी.
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फ्रीज रखने तक के लिए जगह नहीं
कैंसर केयर यूनिट के लिए स्थाई रूप से आईपीडी नहीं होने की वजह से अभी फ्रीज रखने की जगह भी नहीं है. नर्सिंग स्टाफ की कमी और जगह की कमी होने के कारण कैंसर जैसे असाध्य बीमारी के मरीजों को भी यहां पर परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.