चूरु. जिले में किसानों के सामने संकट गहरा गया है. पहले जहां पशुओं की किसी बीमारी या दूसरे कारण से मौत हो जाने पर पशुपालकों को क्लेम मिलता था अब अक्टूबर 2018 के बाद यह योजना बंद हो गई है. ऐसे में पशु पालकों के पशुओं की मौत का खामियाजा उन्हें खुद ही उठाना पड़ रहा है.
सूत्रों की मानें तो पशुधन बीमा योजना राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई थी. इसको लेकर बीमा कंपनियों के साथ अनुबंध किया गया था, लेकिन कंपनियों को आर्थिक नुकसान होने से उन्होंने इस योजना से किनारा कर लिया. बीमा कंपनियों का कहना था कि उन्हें प्रीमियम मिल रहा है उससे कहीं ज्यादा उन्हें क्लेम देना पड़ रहा है.
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ऐसे में योजना को लेकर बीमा कंपनियों को नुकसान था इसी वजह से यह योजना बंद कर दी गई. अभी फिर से इस योजना के शुरू होने पर संशय है, क्योंकि सरकार की ओर से इसको लेकर अभी कोई नई गाइडलाइन नहीं जारी की गई है.
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जिले में पशुधन की स्थिति
चुरू जिले में पशुधन में सबसे ज्यादा गाय है। यहां पर तीन लाख 47 हजार गाय, 2 लाख 92 हजार भैंस, 82 हजार बकरी, 34 हजार भेड़ व 33 हजार ऊंट है। यह आंकड़े वर्ष 2012 की पशुगणना पर आधारित है. पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक जगदीश बरवड़ का कहना है कि योजना अक्टूबर 2018 से ही बंद है. सरकार और डिपार्टमेंट के बीच इसको लेकर कोई नया एमओयू नहीं हुआ है. इसको लेकर हमारे पास कोई नई जानकारी भी नहीं है. योजना बंद होने से पशुपालकों को नुकसान हो रहा है.