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चूरू : 24 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों ने गहलोत सरकार को दी चेतावनी

चूरू में बीते 24 दिनों से आशा सहयोगिनी धरने पर बैठी हैं. ऐसे में सोमवार को धरने पर बैठी आशाओं ने अब प्रदेश की गहलोत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी समस्त मांगों को सरकार नहीं मानती है, तो उनके द्वारा प्रदेश भर में उग्र प्रदर्शन किया जाएगा.

चूरू में आशा सहयोगिनी का कार्य बहिष्कार, Boycott of Asha Sahini work in Churu
आशाओं की नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी मांग
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Published : Nov 23, 2020, 10:17 PM IST

चूरू. नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के आगे पिछले 24 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों के सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है. कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठी आशाओं ने अब प्रदेश की गहलोत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी समस्त मांगों को सरकार नही मानती है, तो उनके द्वारा प्रदेश भर में उग्र प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही सड़के जाम कर वह प्रदेश सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठेंगी.

आशाओं की नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी मांग

राजस्थान आशा सहयोगिनी यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि 2004 से वह कार्यरत है. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें नाही तो स्थाई किया गया और ना ही उन्हें संविदा श्रेणी में रखा गया. धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि एक विभाग में उन्हें नियुक्त किया जाए, केंद्र सूची में आशा का नाम जोड़ा जाए, आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.

पढे़ंः कोरोना संक्रमण का डर, गोविंद सिंह डोटासरा की जनसुनवाई हुई स्थगित

जिला कलेक्ट्रेट के आगे धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने विभाग द्वारा दिए काम में कोई कमी नही रखी फिर चाहे वो सर्वे का काम हो या फिर अन्य कोई कार्य, बावजूद इसके वह अपनी मांगों के समर्थन में पिछले 24 दिनों से धरना दे रही है और सरकार ने इस और ध्यान नही दिया.

चूरू. नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के आगे पिछले 24 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों के सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है. कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठी आशाओं ने अब प्रदेश की गहलोत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी समस्त मांगों को सरकार नही मानती है, तो उनके द्वारा प्रदेश भर में उग्र प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही सड़के जाम कर वह प्रदेश सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठेंगी.

आशाओं की नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी मांग

राजस्थान आशा सहयोगिनी यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि 2004 से वह कार्यरत है. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें नाही तो स्थाई किया गया और ना ही उन्हें संविदा श्रेणी में रखा गया. धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि एक विभाग में उन्हें नियुक्त किया जाए, केंद्र सूची में आशा का नाम जोड़ा जाए, आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.

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जिला कलेक्ट्रेट के आगे धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने विभाग द्वारा दिए काम में कोई कमी नही रखी फिर चाहे वो सर्वे का काम हो या फिर अन्य कोई कार्य, बावजूद इसके वह अपनी मांगों के समर्थन में पिछले 24 दिनों से धरना दे रही है और सरकार ने इस और ध्यान नही दिया.

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