ETV Bharat / state

स्पेशल स्टोरी: सालों की मेहनत के बाद 'उम्मेद खान' ने तैयार किया हजारों वर्षों का कैलेंडर - made 28 year's calendar

चूरू के इस शख्स ने सालों की मेहनत के बाद हजारों वर्षों का कैलेंडर बनाया. सुजानगढ़ के उम्मेद खान ने यह नायाब आविष्कार किया है. रंगों और गुणनखंड के मेल से ये हजारों साल का यह कैलेंडर बनाया गया है.

चूरू की खबर, churu news, 28 साल का कैलेंडर, red fort
author img

By

Published : Sep 14, 2019, 2:25 PM IST

चूरू. 'कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारो.' इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए सुजानगढ़ के उम्मेद खान ने 20 साल की मेहनत से हजारों सालों का कैलेंडर बनाने में सफलता हासिल की है.

तैयार किया हजारों सालों का कैलेंडर

बचपन से ही गणित में अव्वल रहने वाले उम्मेद खान का कहना है कि साल 1985 में लाल किला देखने के लिए दिल्ली गया था. यहां तांबे की गोलाकार आकृति में बना 28 साल का कैलेंडर देखा. उसको देखकर उम्मेद खान के मन में विचार आया कि जब 28 साल का कैलेंडर हो सकता है तो हजारों सालों का क्यों नहीं. तभी से उम्मेद खान में धुन सवार हुई और तांबे के कैंलेडर को समझने में उन्होंने देर नहीं की.

पढ़ें- चूरू: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स की उपविधियों का अनुमोदन

साल1990 में उम्मेद खान ने कैलेंडर बनाने का काम विदेश में रहते हुए शुरू किया. जब उनके मित्र शुक्रवार की छूट्टी मनाते तब उम्मेद खान नेकॉपी पेंसिल लेकर कैलेंडर बनाने बैठ जाते. सात साल की मेहनत के बाद साल 1997 में एक गोलाकार कैलेंडर बनकर तैयार हुआ. जिसमें फार्मूला तो फिट बैठ गया, लेकिन वो कैलेंडर उनको सुंदर नहीं लगा. तब फिर से उन्होंने काम शुरू किया और आयताकार कैलेंडर बनाने का मिशन लिया. ताकि बीचो-बीच कोई तस्वीर लगाकर कैलेंडर आकर्षक बनाया जा सके और साल 2009 तक आते-आते उन्होंने इसमें सफलता पाई.

पढ़ें- चूरूः पीएम मोदी के जन्मदिवस को सेवा सप्ताह के रूप में मनाएगी बीजेपी

सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख देते हुए उम्मेद खान ने इस कैलेंडर में लक्ष्मी देवी, मक्का मदीना, बालाजी महाराज, छोटा बच्चा, गुरू नानकदेव के चित्र लगाये ताकि यह कैलेंडर हर धर्म, समुदाय के लोगों के काम आ सके. भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाईन, टेड मार्क की ओर से इस कैलेंडर को पेटेंट भी करवा लिया गया है. लेकिन उम्मेद खान की अब यह हसरत है कि लोग इस कैलेंडर को समझें और उपयोग में लें. 60 साल के उम्मेद खान को ये डर भी है कि जीवन का कोई भरोसा नहीं होता, कहीं ये कला मेरे साथ ही समाप्त न हो जाए.

चूरू. 'कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारो.' इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए सुजानगढ़ के उम्मेद खान ने 20 साल की मेहनत से हजारों सालों का कैलेंडर बनाने में सफलता हासिल की है.

तैयार किया हजारों सालों का कैलेंडर

बचपन से ही गणित में अव्वल रहने वाले उम्मेद खान का कहना है कि साल 1985 में लाल किला देखने के लिए दिल्ली गया था. यहां तांबे की गोलाकार आकृति में बना 28 साल का कैलेंडर देखा. उसको देखकर उम्मेद खान के मन में विचार आया कि जब 28 साल का कैलेंडर हो सकता है तो हजारों सालों का क्यों नहीं. तभी से उम्मेद खान में धुन सवार हुई और तांबे के कैंलेडर को समझने में उन्होंने देर नहीं की.

पढ़ें- चूरू: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स की उपविधियों का अनुमोदन

साल1990 में उम्मेद खान ने कैलेंडर बनाने का काम विदेश में रहते हुए शुरू किया. जब उनके मित्र शुक्रवार की छूट्टी मनाते तब उम्मेद खान नेकॉपी पेंसिल लेकर कैलेंडर बनाने बैठ जाते. सात साल की मेहनत के बाद साल 1997 में एक गोलाकार कैलेंडर बनकर तैयार हुआ. जिसमें फार्मूला तो फिट बैठ गया, लेकिन वो कैलेंडर उनको सुंदर नहीं लगा. तब फिर से उन्होंने काम शुरू किया और आयताकार कैलेंडर बनाने का मिशन लिया. ताकि बीचो-बीच कोई तस्वीर लगाकर कैलेंडर आकर्षक बनाया जा सके और साल 2009 तक आते-आते उन्होंने इसमें सफलता पाई.

पढ़ें- चूरूः पीएम मोदी के जन्मदिवस को सेवा सप्ताह के रूप में मनाएगी बीजेपी

सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख देते हुए उम्मेद खान ने इस कैलेंडर में लक्ष्मी देवी, मक्का मदीना, बालाजी महाराज, छोटा बच्चा, गुरू नानकदेव के चित्र लगाये ताकि यह कैलेंडर हर धर्म, समुदाय के लोगों के काम आ सके. भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाईन, टेड मार्क की ओर से इस कैलेंडर को पेटेंट भी करवा लिया गया है. लेकिन उम्मेद खान की अब यह हसरत है कि लोग इस कैलेंडर को समझें और उपयोग में लें. 60 साल के उम्मेद खान को ये डर भी है कि जीवन का कोई भरोसा नहीं होता, कहीं ये कला मेरे साथ ही समाप्त न हो जाए.

Intro:चूरू_ जिले के इस शख्स ने वर्षों की मेहनत के बाद बनाया हजारों वर्षों का कैलेंडर. सुजानगढ़ के उम्मेद खा ने किया है यह नायाब आविष्कार. रंगो और गुणनखंड के मेल से बनाया गया है हजारों साल का यह कैलेंडर।


Body:कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए सुजानगढ़ के उम्मेद खां ने 20 साल की मेहनत से हजारों सालों का कैलेंडर बनाने में सफलता हासिल की है। बचपन से ही गणित में अव्वल रहने वाले उम्मेद खां का कहना है कि 1985 में लाल किला देखने के लिए दिल्ली गया था, जहां तांबे की गोलाकार आकृति में बना 28 साल का कैलेंडर देखा। उसको देखकर उम्मेद खां के मन में विचार आया कि जब 28 साल का कैलंेडर हो सकता है तो हजारों सालों का क्यों नहीं। तभी से उम्मेद खां में धुन सवार हुई और तांबे के कैंलेडर को समझने में उन्होंने देर नहीं की। Conclusion:1990 में उम्मेद खां ने कैलेंडर बनाने का काम विदेश में रहते हुए शुरू किया। जब उनके मित्र शुक्रवार की छूट्टी मनाते तब उम्मेद खां कोपी पेंसिल लेकर कैलेंडर बनाने बैठ जाते। सात साल की मेहनत के बाद 1997 में एक गोलाकार कैलेंडर बनकर तैयार हुआ, जिसमें फार्मूला तो फिट बैठ गया, लेकिन वो कैलेंडर उनको सुंदर नहीं लगा। तब फिर से उन्होंने काम शुरू किया और आयताकार कैलेंडर बनाने का मिशन लिया, ताकि बीचों बीच कोई तस्वीर लगाकर कैलेंडर आकर्षक बनाया जा सके और 2009 तक आते-आते उन्होंने इसमें सफलता पाई। सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख देते हुए उम्मेद खां ने इस कैलेंडर में लक्ष्मीदेवी, मक्का मदीना, बालाजी महाराज, छोटा बच्चा, गुरू नानकदेव के चित्र लगाये, ताकि यह कैलेंडर हर धर्म, समुदाय के लोगों के काम आ सके। भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल आॅफ पेटेंट, डिजाईन, टेड मार्क द्वारा इस कैलेंडर को पेटेंट भी करवा लिया। लेकिन उम्मेद खां की अब यह हसरत है कि लोग इस कैलेंडर को समझें और उपयोग में लें। 60 वर्षीय उम्मेद खां को ये डर भी है कि जीवन का कोई भरोसा नहीं होता, कहीं ये कला मेरे साथ ही समाप्त न हो जाये।


बाईट_ उम्मेद खां, हजारों साल कैलेंडर बनाने वाले , सुजानगढ़

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.