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2023 तक देश के हर ट्रैक पर दौड़ती नजर आएंगी इलेक्ट्रिक ट्रेनेंः पश्चिमी रेलवे महाप्रबंधक - रेलवे ट्रैक

पश्चिमी रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल अपने एकदिवसीय दौरे पर चित्तौड़गढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने रेलवे जंक्शन पर यात्रियों को उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे विशेष मुलाकात कर रेलवे की आगामी योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाई. बातचीत के दौरान सामने आया कि रेलवे कोयले के बाद अब डीजल इंजन को भी अलविदा करने जा रहा है. 2023 तक देश के हर कोने में ट्रैक पर डीजल के स्थान पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी.

पश्चिमी रेलवे महाप्रबंधक आलोक कंसल, Western Railway General Manager
'डीजल के स्थान पर जल्द दौड़ेंगी इलेक्ट्रीक ट्रेनें'
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Published : Jan 29, 2021, 2:15 PM IST

चित्तौड़गढ़. पश्चिमी रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल अपने एकदिवसीय दौरे पर चित्तौड़गढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने रेलवे जंक्शन पर यात्रियों को उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे विशेष मुलाकात कर रेलवे की आगामी योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाई. बातचीत के दौरान सामने आया कि रेलवे कोयले के बाद अब डीजल इंजन को भी अलविदा करने जा रहा है. 2023 तक देश के हर कोने में ट्रैक पर डीजल के स्थान पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी. रेलवे अपने इस मिशन पर तेजी से काम कर रहा है और आगामी दिनों में देश के हर कोने में ट्रैक को इलेक्ट्रिफाई करने का काम और भी रफ्तार में होगा.

'डीजल के स्थान पर जल्द दौड़ेंगी इलेक्ट्रीक ट्रेनें'

एक सवाल के जवाब में कंसल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी ट्रेन का पहिया कभी नहीं थमा और इस दौरान रेलवे डिपार्टमेंट ने अपनी भूमिका और भी जिम्मेदार से निभाई. देश के कोने कोने तक माल गाड़ियों के जरिए उर्वरक, अनाज, दाल, कोयला, सब्जी सहित जरूरत की हर सामग्री पहुंचाई गई. हालांकि, श्रमिकों के अपने घर लौटने के कारण लोडिंग में दिक्कत आई और सामान पहुंचाने में हल्का सा ठहराव आ गया, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण कम होता गया, उत्पादन फिरा बढ़ा और इस काम में और भी तेजी आ गई.

यह भी पढ़ेंः भीलवाड़ा में हथकढ़ शराब पीने से महिला समेत 4 की मौत, आबकारी विभाग ने आस-पास के ठेकों को किया सीज

उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए ट्रेनें बंद करने का आदेश दिया गया था और उसी की पालना में यात्री गाड़ियों को बंद कर दिया गया. अब जैसे-जैसे संक्रमण कम हो रहा है रेलवे की ओर से यात्री गाड़ियों को फिर से ट्रैक्टर पर लाया जा रहा है और इसमें हर महीने नई गाड़ियां जोड़ी जा रही हैं. एक सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यात्री गाड़ियों के संचालन का पूरा जिम्मा राज्य सरकार पर छोड़ रखा है. जैसे जैसे राज्य सरकार की ओर से मांग की जाती है उसी के अनुरूप रेलवे निर्णय करता है.

बता दें, कोरोना का खतरा बना हुआ है ऐसे में रेलवे का पूरा ध्यान सेफ्टी पर है. इसी कारण कोचेज रिजर्व किए गए हैं. उम्मीद है कि जैसे-जैसे संक्रमण कम होगा यात्री गाड़ियों की संख्या बढ़ती रहेगी. नवाचार बंसल ने कहा कि कोरोना पीरियड के 8 से 9 महीने के दौरान मंत्रालय की ओर से कई प्रकार के इनोवेशन किए गए. रेलवे ने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट गठित की, जिसके तहत रेलवे के बड़े बड़े अधिकारी बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज के पास पहुंचे और उनसे अपना माल ट्रांसपोर्ट करने की डील को अंजाम दिया, जिसमें हम काफी हद तक सफल रहे.

यह भी पढ़ेंः कैसे सुधरेगा Vaccination का ग्राफ? कोई कह रहा- पैटरनिटी लीव पर हूं...तो कोई कह रहा- आज ठंड है, कल लगवाऊंगा

उन्होंने बताया कि कोरोना पीरियड के दौरान रेलवे की ओर से 25 से अधिक कंसेशनल स्कीम्स दी गई, जिसका हमें काफी फायदा मिला. रेलवे की आगामी प्लानिंग के बारे में बताया कि 2030 तक देश की सारी ट्रेनें इलेक्ट्रिफाई कर दी जाएंगी और डीजल के स्थान पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ती दिखाई देंगी, जिस पर तेजी से काम चल रहा है.

चित्तौड़गढ़. पश्चिमी रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल अपने एकदिवसीय दौरे पर चित्तौड़गढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने रेलवे जंक्शन पर यात्रियों को उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे विशेष मुलाकात कर रेलवे की आगामी योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाई. बातचीत के दौरान सामने आया कि रेलवे कोयले के बाद अब डीजल इंजन को भी अलविदा करने जा रहा है. 2023 तक देश के हर कोने में ट्रैक पर डीजल के स्थान पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी. रेलवे अपने इस मिशन पर तेजी से काम कर रहा है और आगामी दिनों में देश के हर कोने में ट्रैक को इलेक्ट्रिफाई करने का काम और भी रफ्तार में होगा.

'डीजल के स्थान पर जल्द दौड़ेंगी इलेक्ट्रीक ट्रेनें'

एक सवाल के जवाब में कंसल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी ट्रेन का पहिया कभी नहीं थमा और इस दौरान रेलवे डिपार्टमेंट ने अपनी भूमिका और भी जिम्मेदार से निभाई. देश के कोने कोने तक माल गाड़ियों के जरिए उर्वरक, अनाज, दाल, कोयला, सब्जी सहित जरूरत की हर सामग्री पहुंचाई गई. हालांकि, श्रमिकों के अपने घर लौटने के कारण लोडिंग में दिक्कत आई और सामान पहुंचाने में हल्का सा ठहराव आ गया, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण कम होता गया, उत्पादन फिरा बढ़ा और इस काम में और भी तेजी आ गई.

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उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए ट्रेनें बंद करने का आदेश दिया गया था और उसी की पालना में यात्री गाड़ियों को बंद कर दिया गया. अब जैसे-जैसे संक्रमण कम हो रहा है रेलवे की ओर से यात्री गाड़ियों को फिर से ट्रैक्टर पर लाया जा रहा है और इसमें हर महीने नई गाड़ियां जोड़ी जा रही हैं. एक सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यात्री गाड़ियों के संचालन का पूरा जिम्मा राज्य सरकार पर छोड़ रखा है. जैसे जैसे राज्य सरकार की ओर से मांग की जाती है उसी के अनुरूप रेलवे निर्णय करता है.

बता दें, कोरोना का खतरा बना हुआ है ऐसे में रेलवे का पूरा ध्यान सेफ्टी पर है. इसी कारण कोचेज रिजर्व किए गए हैं. उम्मीद है कि जैसे-जैसे संक्रमण कम होगा यात्री गाड़ियों की संख्या बढ़ती रहेगी. नवाचार बंसल ने कहा कि कोरोना पीरियड के 8 से 9 महीने के दौरान मंत्रालय की ओर से कई प्रकार के इनोवेशन किए गए. रेलवे ने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट गठित की, जिसके तहत रेलवे के बड़े बड़े अधिकारी बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज के पास पहुंचे और उनसे अपना माल ट्रांसपोर्ट करने की डील को अंजाम दिया, जिसमें हम काफी हद तक सफल रहे.

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उन्होंने बताया कि कोरोना पीरियड के दौरान रेलवे की ओर से 25 से अधिक कंसेशनल स्कीम्स दी गई, जिसका हमें काफी फायदा मिला. रेलवे की आगामी प्लानिंग के बारे में बताया कि 2030 तक देश की सारी ट्रेनें इलेक्ट्रिफाई कर दी जाएंगी और डीजल के स्थान पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ती दिखाई देंगी, जिस पर तेजी से काम चल रहा है.

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