चित्तौड़गढ़. जिले की कपासन थाना पुलिस की ओर से 2 दिन पहले पकड़ी पौने दो किलो अफीम के मामले में ग्रामीणों ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. इस मामले में बड़ी संख्या में करीब आधा दर्जन गांव के ग्रामीण चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पहुंचे हैं. यहां पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंप कर निष्पक्ष अनुसंधान करने की मांग की है.
इसके साथ ही ये भी आरोप लगाया है कि पकड़े गए दोनों युवकों को पुलिस के दलाल ने अफीम उपलब्ध करवाई थी, जिसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है. ग्रामीणों ने ये भी आरोप लगाया कि जो दो युवक पकड़े गए हैं उनके परिजनों को जबरन फंसाने का दबाव पुलिस बना रही है.
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन थाना क्षेत्र में आने वाले केसरखेड़ी, खातिया का खेड़ा, डिंडोली सहित कई गांवों के लोग चित्तौड़गढ़ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे हैं और ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि कपासन थाने पर 52 / 2021 एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है. उक्त प्रकरण में किसी भी व्यक्ति को प्रलोभन देकर गलत रूप से फसाया जाता है तो फंसाने वाले के विरुद्ध भी कार्रवाई होती है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उक्त प्रकरण में जो बालक गिरफ्तार किए हैं उन्हें पुलिस विभाग के ही किसी बड़े अधिकारी के इशारे पर फसाने की नियत से पुलिस की ओर से ही रेन का खेड़ा निवासी कैलाश पुत्र माधव जाट को पुलिस ने अफीम दी.
ग्रामीणों का आरोप है कि कैलाश जाट पुलिस का दलाल होकर भोले भाले बालकों को अफीम में पकड़वाता है. इसी क्रम में कपासन थाने में दर्ज प्रकरण भी ऐसा ही हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि कपासन थाने में दर्ज हुए इस प्रकरण में जो दोनों युवक पकड़े गए हैं दोनों ही व्यक्तियों ने पूछताछ में कैलाश जाट का नाम लिया है. लेकिन यह व्यक्ति कपासन थाने का दलाल होने के कारण और पुलिस की बदनामी ना हो इसलिए वास्तविक पत्रावली पर ही जांच नहीं आई है. जबकि अधिकारी और अनुसंधान अधिकारी गांव के ही लोगों को फंसाने का प्रयास कर रही है.
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राजनीतिक प्रभाव और अफीम लाइसेंस वाले किसानों को सूचनाएं दे रहे हैं और प्रकरण में नाम जोड़ने की धमकी दे रहे हैं. ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग की है कि पकड़े दोनों ही युवकों को पुलिस अधीक्षक कार्यालय तलब पर उनके बयान स्वयं दर्ज किए जाएं और पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में ही इस मामले की जांच हो.