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स्पेशल स्टोरी: दुकान को बनाया अजायबघर, शराब छोड़ पक्षियों की सेवा में जुटे विजय सिंह - special story

चित्तौड़गढ़ के कपासन में शराब का नशा छोड़कर एक शख्स ने पक्षियों और पर्यावरण से प्यार करना शुरू कर दिया. विजय सिंह को परिंदों और पेड़-पौधों से इस कदर लगाव हो गया है, कि उन्होंने अब अपनी दुकान को ही अजायबघर बना दिया है.

पक्षी प्रेमी विजय सिंह, Vijay Singh is taking care of birds
शराब छोड़ पक्षियों की सेवा में जुटा विजय सिंह
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Published : Dec 8, 2019, 3:19 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़ ). विजय सिंह ने शराब का नशा छोड़ा और खुद के जीवन में परिवर्तन लाने के बाद परिंदों की सेवा करने की ठानी. विजय की स्थानीय पुलिस थाने के पास सीट कवर बनाने की दुकान है. सीट कवर बनाने के बाद मिलने वाले समय में वो दिनभर पक्षियों की देखभाल करते हैं. विजय के अजायबघर में 8 अलग-अलग प्रजातियों की चिड़िया, 17 कबूतर, तोता, बतख, मछलियां,सफेद चूहे, कछुआ, गाय तक शामिल है. यही नहीं दुकान में 100 से ज्यादा प्रजातियों के पौधे भी गमलों में लगा रखे हैं.

शराब छोड़कर पक्षियों की सेवा

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: रणथम्भौर से पलायन कर मुकुंदरा आ सकते हैं टाइगर, अभी बूंदी जिले में है चार टाइगरों का मूवमेंट

पक्षी प्रेमी विजय सिंह ने बताया, कि वो अजमेर जिले के फरवा गांव का मूल निवासी है और काम के लिये कपासन आया था. उसे बहुत ज्यादा शराब की लत थी और दिनभर की कमाई शराब में उड़ा देता था. 2 साल पहले उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई. इलाज के लिए उदयपुर अस्पताल भेजा गया. अस्पताल में कई दिनों तक भर्ती रहने के दौरान ही विजय ने शराब छोड़कर पक्षियों की सुध लेने का फैसला किया.

विजय को इलाके में जो भी पक्षी बीमार मिलता है. उसे वो अपने साथ दुकान पर ले आता है. पक्षी के दाना-पानी की व्यवस्था करता है. पक्षियों को ठंड से बचाने के लिये उसने घोंसलों का भी इंतजाम किया है. विजय सिंह के मुताबिक शुरूआत में शराब की तलब लगने पर पक्षियों की सेवा में जुट कर खुद को व्यस्त रखा और धीरे-धीरे शराब से दूरी बनती गई. विजय पहले जितने पैसे की शराब पिया करता, उसे पक्षियों और पौधों पर खर्च करने लग गया.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस गांव में रोज शाम आती है 'कौओं की बारात'

विजय सिंह ने बताया, कि औलाद नहीं होने का उसे काई गम नहीं है. सभी बेजुबां पक्षी उनकी औलाद ही हैं. विजय सिह ने बीएससी तक पढ़ाई की है. एक कंपनी में जूनियर इंजीनियर के पद पर भी काम किया है. विजय सिंह ने अपने एक दोस्त से प्रेरणा लेकर देहदान की भी घोषणा की है.

कपासन (चित्तौड़गढ़ ). विजय सिंह ने शराब का नशा छोड़ा और खुद के जीवन में परिवर्तन लाने के बाद परिंदों की सेवा करने की ठानी. विजय की स्थानीय पुलिस थाने के पास सीट कवर बनाने की दुकान है. सीट कवर बनाने के बाद मिलने वाले समय में वो दिनभर पक्षियों की देखभाल करते हैं. विजय के अजायबघर में 8 अलग-अलग प्रजातियों की चिड़िया, 17 कबूतर, तोता, बतख, मछलियां,सफेद चूहे, कछुआ, गाय तक शामिल है. यही नहीं दुकान में 100 से ज्यादा प्रजातियों के पौधे भी गमलों में लगा रखे हैं.

शराब छोड़कर पक्षियों की सेवा

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पक्षी प्रेमी विजय सिंह ने बताया, कि वो अजमेर जिले के फरवा गांव का मूल निवासी है और काम के लिये कपासन आया था. उसे बहुत ज्यादा शराब की लत थी और दिनभर की कमाई शराब में उड़ा देता था. 2 साल पहले उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई. इलाज के लिए उदयपुर अस्पताल भेजा गया. अस्पताल में कई दिनों तक भर्ती रहने के दौरान ही विजय ने शराब छोड़कर पक्षियों की सुध लेने का फैसला किया.

विजय को इलाके में जो भी पक्षी बीमार मिलता है. उसे वो अपने साथ दुकान पर ले आता है. पक्षी के दाना-पानी की व्यवस्था करता है. पक्षियों को ठंड से बचाने के लिये उसने घोंसलों का भी इंतजाम किया है. विजय सिंह के मुताबिक शुरूआत में शराब की तलब लगने पर पक्षियों की सेवा में जुट कर खुद को व्यस्त रखा और धीरे-धीरे शराब से दूरी बनती गई. विजय पहले जितने पैसे की शराब पिया करता, उसे पक्षियों और पौधों पर खर्च करने लग गया.

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विजय सिंह ने बताया, कि औलाद नहीं होने का उसे काई गम नहीं है. सभी बेजुबां पक्षी उनकी औलाद ही हैं. विजय सिह ने बीएससी तक पढ़ाई की है. एक कंपनी में जूनियर इंजीनियर के पद पर भी काम किया है. विजय सिंह ने अपने एक दोस्त से प्रेरणा लेकर देहदान की भी घोषणा की है.

Intro:कपासन-
शराब का नशा छोड मुक पक्षियो की सेवा सुश्रुषा के काम में लगा विजय सिंह। पक्षियो में देखता है अपनी औलाद का स्वरूप। Body:कपासन-
शराब का नशा छोड मुक पक्षियो की सेवा सुश्रुषा के काम में लगा विजय सिंह। पक्षियो में देखता है अपनी औलाद का स्वरूप।
स्थानीय पुलिस थाने के पास सीट कवर बनाने की दुकान करने वाले विजय सिह में अपने जीवन मे परिवर्तन ला कर पक्षियो की सेवा में अपने आप को लगा दिया। उसने अपनी दुकान को ही अजायबघर बना दिया। सीट कवर बनाने के बाद मिलने वाले समय में वही दिन भर पक्षियो की देख भाल करता है। उसके अजायबघर में आठ अलग अलग प्रजाती की चिडिया, 17 कबुतर,तोता, बतख, मछलियॉ,सफेद चुहे कछूआ, कुत्ता व गाय तक सम्मलित है। इसके अलावा विजय सिह ने दुकान में 100 से ज्यादा प्रजातियो के पौधो का भी गमलो में रोपण कर रखा है। विजय सिह ने बताया कि वो अजमेर जिले के फरवा गांव का मुल निवासी है ओर काम के लिये कपासन आया था। इस समय उसको बहुत ज्यादा शराब की लत थी। दिन भर कमाई वो शराब में उडा देता था। दो साल पूर्व उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई । उपचार के लिये उसे उदयपुर अस्पताल लेजाया गया। जहा कई दिनो तक वह वहा भर्ती रहा। तबही उसने शराब छोड कर पक्षियो की सुध लेने की ठानी। ओर क्षैत्र में जोभी बीमार पक्षी मिलता वह उसे अपने साथ दुकान पर लेआता। उसके दाने पानी की व्यवस्था करता। पक्षियो को ठंण्ड से बचाने के लिये उसने कई प्रकार के घोसाले भी बना रखे है। विजय सिहं ने बताया किय शुरूआत में उसे जब भी शराब की तलब लगती वो पक्षियो की सेवा में जुट कर अपने आपको व्यस्त कर शराब से दुर रहने लगा। जितने पैसो की वो शराब पिया करता वो सब पक्षियो ओर पोधो पर खर्च करने लग गया। उसने बताया कि औलाद नही होने का उसे काई गम नही है । सभी बैजुबाद पक्षी मेरी ओलाद ही है। जो मुझे बार बार अपनी आवाजां में पापा कर पुकारते है।हालांकी विजय सिह ने बी.एस.सी तक तालिम हासील कर एक कम्पनी में जुनियर इन्जीनियर के पद पर भी काम किया है। विजय सिह ने अपने एक मित्र के द्वारा प्रेरीत करने पर देहदान की भी घोषणा की है।Conclusion:बाइट-विजय सिंह (पक्षी प्रेमी)
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