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चित्तौड़गढ़: अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक, पैरोल पर रिहा होने वाले बंदियों की समस्याओं पर की चर्चा - Detainee released on parole

सुप्रीम कोर्ट एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के दिये गये निर्देशों की पालना में अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक का आयोजन बुधवार को जिला एवं सेशन न्यायाधीश केशव कौशिक की अध्यक्षता में वर्चुअल हुआ. बैठक में बंदियों को पैरोल पर रिहा करने पर विचार करने के अलावा बंदियों की विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की गई.

rajasthan news,  Under trial review committee meeting
अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक
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Published : May 20, 2021, 6:00 PM IST

चित्तौड़गढ़. सुप्रीम कोर्ट एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के दिये गये निर्देशों की पालना में अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक का आयोजन बुधवार को जिला एवं सेशन न्यायाधीश केशव कौशिक की अध्यक्षता में वर्चुअल हुआ. बैठक में बंदियों को पैरोल पर रिहा करने पर विचार करने के अलावा बंदियों की विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की गई. जेल से रिहा होने के बाद बंदियों को जिले अथवा राज्य की सीमा पार कर अपने घर जाने में परेशानी आ रही है. ऐसे में सुझाव दिया गया कि न्यायालय की ओर से ही जमानत के आदेश में अलग से इस बात को अंकित किया जाए, जिससे कि बन्दी को घर जाने में जिले अथवा राज्य की सीमा पर कोई नहीं रोके.

पढ़ें: भाभी के इशारे पर भांजों ने अश्लील वीडियो बनाकर 5 महीने तक नाबालिग से किया गैंग रेप

बैठक में जिला कारागृह सहित उपकारागृह निम्बाहेडा, बेगूं व कपासन में विचाराधीन बंदियों को जमानत पर रिहा करने पर विचार विमर्श किया गया. जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने पैरोल पर बंदियो को रिहा किये जाने के संबंध में जिला कारागृह उपाधीक्षक से जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि पूर्व में 2 बंदियों को पैरोल पर रिहा किया गया है. इस वर्ष भी उक्त 2 ही बंदी हैं. वर्तमान में कोई बंदी पैरोल पर रिहा नहीं होना चाहता है. ऐसे बंदियों से पैरोल पर नहीं जाने के संबंध में आवेदन प्राप्त करने के लिए निर्देशित किया गया.

क्षमता से अधिक बंदी हैं विचाराधीन

जेलर ने बताया कि बंदियों से आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है. गर्भवती महिलाओं को अंतरिम जमानत का लाभ दिये जाने के संबंध में जेलर ने बताया कि वर्तमान में जिले के किसी भी कारागृह में गर्भवती महिला बंदी विचाराधीन नहीं हैं. कारागृह में बंदियों की क्षमता के बारे में जिला कारागृह के उपाधीक्षक डूले सिंह ने बताया कि जिला कारागृह में क्षमता से 180 बंदी अधिक विचाराधीन हैं. इस पर जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने निर्देशित किया कि जो बंदियों को अन्यत्र कारागृह में स्थानान्तरण किये जाने के लिए जेल के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाए.

जमानत पर रिहा होने वाले बंदियों को अपने गंतव्य की ओर जाने में अपने जिले अथवा राज्य की सीमाओं में प्रवेश करने के समय आने वाली समस्या के बारे में चर्चा की गई. इस पर कारागृह उपाधीक्षक ने सुझाव दिया गया कि न्यायालय से जारी होने वाले बंदी के रिहाई आदेश पर इस प्रकार का अंकन किया जाए कि बंदी को जमानत पर छूटने के बाद गंतव्य तक पहुंचने में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो.

जेलर ने बताया गया कि जिला कारागृह पर वैकल्पिक रूप से चिकित्सक नियुक्त हैं. लेकिन चिकित्सक जेल पर नहीं आता है. तीन उपकारागृह में कम्पाउण्डर भी नियुक्त नहीं हैं. इस संबंध में अतिरिक्त जिला कलक्टर अंबालाल मीणा ने कहा कि कारागृह में चिकित्सक नियुक्त शीघ्र ही कर दी जायेगी.

चित्तौड़गढ़. सुप्रीम कोर्ट एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के दिये गये निर्देशों की पालना में अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक का आयोजन बुधवार को जिला एवं सेशन न्यायाधीश केशव कौशिक की अध्यक्षता में वर्चुअल हुआ. बैठक में बंदियों को पैरोल पर रिहा करने पर विचार करने के अलावा बंदियों की विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की गई. जेल से रिहा होने के बाद बंदियों को जिले अथवा राज्य की सीमा पार कर अपने घर जाने में परेशानी आ रही है. ऐसे में सुझाव दिया गया कि न्यायालय की ओर से ही जमानत के आदेश में अलग से इस बात को अंकित किया जाए, जिससे कि बन्दी को घर जाने में जिले अथवा राज्य की सीमा पर कोई नहीं रोके.

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बैठक में जिला कारागृह सहित उपकारागृह निम्बाहेडा, बेगूं व कपासन में विचाराधीन बंदियों को जमानत पर रिहा करने पर विचार विमर्श किया गया. जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने पैरोल पर बंदियो को रिहा किये जाने के संबंध में जिला कारागृह उपाधीक्षक से जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि पूर्व में 2 बंदियों को पैरोल पर रिहा किया गया है. इस वर्ष भी उक्त 2 ही बंदी हैं. वर्तमान में कोई बंदी पैरोल पर रिहा नहीं होना चाहता है. ऐसे बंदियों से पैरोल पर नहीं जाने के संबंध में आवेदन प्राप्त करने के लिए निर्देशित किया गया.

क्षमता से अधिक बंदी हैं विचाराधीन

जेलर ने बताया कि बंदियों से आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है. गर्भवती महिलाओं को अंतरिम जमानत का लाभ दिये जाने के संबंध में जेलर ने बताया कि वर्तमान में जिले के किसी भी कारागृह में गर्भवती महिला बंदी विचाराधीन नहीं हैं. कारागृह में बंदियों की क्षमता के बारे में जिला कारागृह के उपाधीक्षक डूले सिंह ने बताया कि जिला कारागृह में क्षमता से 180 बंदी अधिक विचाराधीन हैं. इस पर जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने निर्देशित किया कि जो बंदियों को अन्यत्र कारागृह में स्थानान्तरण किये जाने के लिए जेल के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाए.

जमानत पर रिहा होने वाले बंदियों को अपने गंतव्य की ओर जाने में अपने जिले अथवा राज्य की सीमाओं में प्रवेश करने के समय आने वाली समस्या के बारे में चर्चा की गई. इस पर कारागृह उपाधीक्षक ने सुझाव दिया गया कि न्यायालय से जारी होने वाले बंदी के रिहाई आदेश पर इस प्रकार का अंकन किया जाए कि बंदी को जमानत पर छूटने के बाद गंतव्य तक पहुंचने में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो.

जेलर ने बताया गया कि जिला कारागृह पर वैकल्पिक रूप से चिकित्सक नियुक्त हैं. लेकिन चिकित्सक जेल पर नहीं आता है. तीन उपकारागृह में कम्पाउण्डर भी नियुक्त नहीं हैं. इस संबंध में अतिरिक्त जिला कलक्टर अंबालाल मीणा ने कहा कि कारागृह में चिकित्सक नियुक्त शीघ्र ही कर दी जायेगी.

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