चित्तौड़गढ़. वर्ष 1998 में चुराई गई नटराजन की मूर्ति 24 साल बाद फिर चित्तौड़गढ़ पहुंच रही है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की ओर से 15 जनवरी को दुर्ग स्थित भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को 10 वीं शताब्दी की यह मूर्ति सुपुर्द की जाएगी. यह मूर्ति रावतभाटा के बाडोली मंदिर समूह के घटेश्वर महादेव मंदिर के पार्श्व हिस्से में स्थापित थी. 1998 में अज्ञात लोगों ने मूर्ति चोरी कर ली थी और उसे तस्करों के हाथ बेच दी थी जिससे यह मूर्ति लंदन पहुंच गई. हालांकि 2020 में केंद्र सरकार के प्रयासों के बाद मूर्ति भारत पहुंची लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते चित्तौड़गढ़ नहीं पहुंच पाई. सांसद सीपी जोशी की ओर से तमाम औपचारिकताएं पूरी करवाने के बाद मूर्ति 15 जनवरी को चित्तौड़गढ़ पहुंच रही है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 15 जनवरी को चित्तौड़गढ़ आ रहे हैं जोकि मूर्ति पुरातत्व विभाग को सुपुर्द करेंगे. सांसद जोशी के अनुसार संस्कृति मंत्री शाम को कुंभा महल गार्डन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मूर्ति को सुपुर्द करेंगे. उन्होंने बाडोली स्थित परिसर में संग्रहालय बनाने का आग्रह किया है ताकि नटराजन की मूर्ति फिर से वहां स्थापित की जा सके और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
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फरवरी 1998 में बडोली शिव मंदिर से यह मूर्ति चोरी हो गई थी. चोरी की वारदात के 8 महीने बाद जंगल में एक मूर्ति मिली जिसे पुरातत्व विभाग ने नटराजन की असली मूर्ति समझकर गोदाम में रखवा दिया था. उसी साल दिसंबर में ऑपरेशन ब्लैक होल के दौरान जयपुर का बामण नारायण गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा. गिरोह के 1 सदस्य के पास नटराजन की मूर्ति की तस्वीर मिली. पूछताछ के दौरान उसने बताया कि यह मूर्ति लंदन के किसी प्राइवेट म्यूजियम को बेच दी है और उसके बदले गिरोह ने नकली मूर्ति रखवा दी है. इसका खुलासा होने के बाद केंद्र सरकार नटराजन की मूर्ति को फिर से भारत लाने के प्रयास में जुट गई. 2020 में सरकार इस दुर्लभ मूर्ति को लाने में कामयाब हो गई.