चित्तौड़गढ़. जिले के प्रख्यात कृष्णधाम सांवलियाजी मंदिर में करीब 9 माह बाद प्रसाद की बिक्री बुधवार से प्रारंभ हो गई है. प्रसाद बिक्री का श्रद्धालु काफी दिनों से इंतजार कर रहे थे. बुधवार सुबह से प्रसाद की बिक्री शुरू हुई, जिसे खरीदने को लेकर श्रद्धालुओ में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. शुरुआत में केवल बेसन के लड्डू मिल रहे है.
जानकारी के अनुसार सांवलियाजी मंदिर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु दर्शन के बाद यहां से बाल भोग का लड्डू, मठड़ी, सागर का प्रसाद जरूर लेकर जाते हैं. कोरोना संक्रमण के चलते सांवलियाजी मंदिर के दर्शन 22 मार्च से बंद हो गए थे. इसके बाद तीन माह पहले मंदिर के दर्शन खुल गए थे, लेकिन प्रसाद बनाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया था. पिछले दिनों यात्रियों की मांग पर मंदिर प्रशासन ने प्रसाद बनाने का निर्णय किया था.
मंदिर मंडल सीईओ मुकेश कलाल के निर्देश पर मंगलवार को प्रसादशाला में मंदिर मंडल के हलवाईयों ने प्रसाद बनाने का कार्य शुरू किया था. पहले दिन 1000 से ज्यादा लड्डू तैयार कर लिए हैं. वहीं बुधवार 10.30 बजे तक लगभग 2000 से ज्यादा लड्डू बिक्री के लिए तैयार हो गए. मंदिर प्रशासन द्वारा प्रथम चरण में केवल लड्डू की ही बिक्री शुरू की गई. बाद में मठरी और अन्य प्रसाद तैयार किए जाएंगे. मंदिर मंडल के काउंटर पर बुधवार 10.20 बजे प्रसाद बिक्री के लिए पहुंचाया गया. वहीं 10.30 बजे से बिक्री शुरू हो गई. प्रसाद की बिक्री शुरू होने के साथ ही मंदिर परिसर में प्रसाद काउंटर पर लंबी कतारें लग गई. मंदिर प्रशासन शांतिपूर्वक प्रसाद बिक्री कराने में लग गया.
औसत हर माह 80 से 85 लाख के प्रसाद की बिक्री
जानकारी में सामने आया कि सांवलियाजी के प्रसाद की काफी मांग है. दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां से प्रसाद जरूर लेकर जाते हैं. मंदिर प्रशासन से जानकारी मिली है कि कोरोना संक्रमण से पहले हर माह 80 से 85 लाख के प्रसाद की बिक्री हो रही थी. लॉक डाउन लगने के पहले के 10 माह के करीब 8 करोड़ से ज्यादा की बिक्री हुई थी.
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नो प्रॉफिट, नो लोस की तर्ज और बिक्री
जानकारी में सामने आया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए प्रसाद की बिक्री शुरू की गई थी. शुद्ध देशी घी से बनने वाले इस प्रसाद की बिक्री नो प्रॉफिट नो लोस की तर्ज पर की गई थी, लेकिन बाद में कच्ची सामग्री के भाव बढ़ते गए. ऐसे में प्रसाद की सेवा में मंदिर प्रशासन को नुकसान होने लगा. जानकारी मिली है कि गत वर्ष भी करीब मंदिर प्रशासन को प्रसाद की बिक्री में 2 करोड़ का नुकसान हुआ है. ऐसे में लॉक डाउन लगने के कुछ माह पूर्व ही लड्डू का मूल्य 30 रुपए से बढ़ा कर 40 रुपए और मठड़ी का मूल्य 20 रुपए से बढ़ा कर 30 रुपए किये गए थे.