चित्तौड़गढ़. जिले में स्थित श्री सांवलियाजी मंदिर में जलझूलनी एकादशी पर भगवान को सरोवर पर ले जाने को लेकर विरोध और गतिरोध के बीच मंदिर परिसर में ही परंपराओं का निर्वहन किया गया. यहां काफी देर गतिरोध चलता रहा. बाद में प्रशासन के निर्देश और समझाइश के बाद मंदिर परिसर में ही जुलूस निकाल कर परंपराओं को निभाया गया.
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यहां भगवान का मंदिर परिसर में ही जुलूस निकाला तथा जल में स्नान कराकर पूजा की गई. इस दौरान पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही मंदिर बोर्ड के पदाधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे. जानकारी के अनुसार हर वर्ष जलझूलनी एकादशी के दिन भगवान श्री सांवलिया में शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं. लेकिन, इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते जुलूस आदि पर रोक है और पहले ही आदेश देकर मेला स्थगित कर दिया था. यहां तक कि प्रशासन की ओर से भगवान को सरोवर पर जल में झुलाने के लिए ले जाने पर भी अनुमति नहीं दी गई थी.
शनिवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर मुकेश कलाल और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता सिंह मंदिर परिसर में पहुंचे और मंदिर परिसर में ही पूजा करने की बात कही. लेकिन, मंदिर बोर्ड के पदधिकारियों ने बातचीत कर भगवान को कार में 5 पुजारियों के साथ सरोवर पर ले जाकर पूजा करने का निर्णय लिया, जिससे परम्पराएं नहीं टूटे. पुजारी भगवान के बाल स्वरूप को मंदिर से पार्किंग वाले द्वार पर लाए, जहां कार खड़ी थी. कार में बैठने की तैयारी थी, तभी बड़ी संख्या में ग्रामीण मंदिर परिसर में आ गए और रास्ता रोक लिया. कार में ले जाने का विरोध कर दिया. ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए करीब 3 घंटे तक गतिरोध बना रहा.
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इस दौरान जिला मुख्यालय से अतिरिक्त पुलिस जाब्ता भी मंगवाकर तैनात कर दिया गया. बाद में प्रशासन ने मंदिर परिसर में जुलूस निकाल कर भगवान की पूजा अर्चना का निर्णय किया. अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने मंदिर परिसर में ही भगवान का जुलूस निकालने और पूजा अर्चना की बात पुजारियों से कही. बाद में अतिरिक्त जिला कलक्टर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने समझाइश की, तभी पुजारी भी मंदिर परिसर में ही परंपराओं के निर्वहन को राजी हुए. यहां कॉरिडोर में जुलूस निकाला गया. इसके बाद मंदिर परिसर में ही भगवान को जल में स्न्नान कराया गया और पूजा-अर्चना की गई. बाद में परंपरा के अनुसार भगवान को मंदिर में ले जाकर रजत रथ में विराजमान किया गया. इस दौरान श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल के अध्यक्ष कन्हैयादास वैष्णव, सदस्य भैरूलाल सोनी, भैरूलाल गाडरी और मदन व्यास मौजूद रहे.
दर्शन को उतावले रहे लोग
भगवान को सरोवर पर ले जाने की सूचना पहुंची तो बड़ी संख्या में लोग मंदिर के आस-पास एकत्रित होने लगे।. बाद में पुलिस ने लोगों से समझाइश कर उन्हें दो बार हटाया. वहीं, ग्रामीण भगवान की एक झलक पाने के लिए छतों पर चढ़ गए. मंदिर के आस-पास स्थित छतों से भगवान के दर्शन किए.
इस बात को लेकर था विरोध
ग्रामीणों का इस बात को लेकर विरोध था कि भगवान को इस प्रकार कार में ले जाने से परंपरा टूटेगी. ग्रामीण रथ या गोद में सरोवर तक ले जाने की मांग पर अड़े. अधिकरियो ने भी बात की. लेकिन, कोई हल नहीं निकला. ग्रामीणों का ये भी आरोप था कि हर वर्ष मेले से पहले ग्रामीणों की बैठक होती है तथा उनसे राय ली जाती है. वहीं, इस बार मंदिर प्रशासन और बोर्ड ने ग्रामीणों के साथ ना तो बैठक की और ना ही किसी प्रकार की रायशुमारी की. इस बात को लेकर भी ग्रामीणों ने विरोध दर्ज कराया.