चित्तौड़गढ़. चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के विकास अधिकारी की ओर से बनाई गई संयुक्त टीम ने शुक्रवार को पंचायत समिति परिसर के बाहर बनी 39 दुकानों का भौतिक सत्यापन किया. इन दुकानों में कुछ के सबलेट करने, किसी के न्यायालय में जाने और किराया बाकी होने की शिकायत थी. इसके लिए पुलिस जाप्ता मंगवाया गया. भौतिक सत्यापन के चलते कई दुकानदार अपनी दुकानों के शटर बंद करके भाग गए.
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चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के निकट पंचायत समिति परिसर के बाहर समिति की वर्तमान में कुल 39 दुकानें बनी हुई हैं. इसके भौतिक सत्यापन के लिए विकास अधिकारी कैलाश बारोलिया ने एक विशेष टीम का गठन किया. इस टीम ने शुक्रवार को कोतवाली थाना पुलिस के सहयोग से सभी दुकानों पर जाकर उस का भौतिक सत्यापन किया. इसकी सूचना मिलने पर कई दुकानदार अपनी दुकानों के शटर बंद करके भूमिगत हो गए.
पंचायत समिति विकास अधिकारी कैलाश बारोलिया ने बताया कि वर्तमान में पंचायत समिति परिसर के बाहर कुल 39 दुकानें बनी हुई हैं, जिसमें से 11 दुकानों की कोर्ट मे रिट में लगी हुई है. वहीं 14 दुकाने रख-रखाव के बाद से अभी तक खाली पड़ी हुई हैं, जिनके किराए देने के लिए शीघ्र ही प्रक्रिया पूरी शुरू की जाएगी. वहीं उन्होंने बताया कि वर्तमान में कुल 14 दुकाने किराए पर चल रही है. उनमें से कई दुकानों का किराया बकाया चल रहा है, जिसमें अनुमानित 10 से 11 लाख रुपए की बकाया राशि दुकानदारों से वसूली करने के लिए उन्हें नोटिस भी दिए जा चुके हैं.
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उन्होंने बताया कि 1989 में यह दुकानें किराए पर दी गई थी, तब से लेकर आज तक इसका भौतिक सत्यापन नहीं किया गया है. इसके चलते यह भी जानकारी नहीं मिल पाई है कि दुकानदार ने दुकान स्वयं के पास रखी है या किसी अन्य व्यक्ति को उन्होंने किराए पर दे रखी है. उन्होंने बताया कि कई दुकानदारों ने विभिन्न मामलों को लेकर वर्ष 2014 में कोर्ट में रिट लगा रखी है और उसी के जवाब के लिए भी यह भौतिक सत्यापन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
जानकारी मिली है कि कई दुकानदार किराया अधिक होने के कारण पंचायत समिति की दुकानें खाली करके अपने प्रतिष्ठान को अन्यत्र स्थापित कर चुके हैं. इसी कारण वर्तमान में करीब 14 दुकानें खाली पड़ी हुई हैं. इसी के लिए पंचायत समिति प्रशासन की ओर से उनको किराए पर देने के लिए शीघ्र प्रक्रिया शुरू की जाएगी.