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निराश होकर लौट रहे चित्तौड़ दुर्ग घूमने आ रहे पर्यटक...ये है बड़ी वजह

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Published : Jul 12, 2020, 7:55 PM IST

चित्तौड़ दुर्ग किले को निहारने आ रहे पर्यटकों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आ रही है. जहां ऑनलाइन टिकट बुकिंग का फॉर्मेट कठिन है, तो वहीं मोबाइल नेटवर्क नहीं आने के कारण टिकट की बुकिंग नहीं हो पा रही है. ऐसे में पर्यटक होकर निराश लौट रहे हैं.

Rajasthan Tourism News, चित्तौड़गढ़ दुर्ग किला
पर्यटकों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग बनी परेशानी

चित्तौड़गढ़. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग गत 6 जुलाई को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. इसके चलते बाहरी और स्थानीय पर्यटक दुर्ग पर घूमने और पर्यटन के लिए आना शुरू हो गए हैं. ऑनलाइन टिकट बुकिंग इसमें सबसे बड़ा रोड़ा बन कर उभर रही है. यहां ऑनलाइन टिकट बुकिंग का फॉर्मेट कठिन है तो वहीं मोबाइल नेटवर्क नहीं आने के कारण टिकट की बुकिंग नहीं हो पा रही है. ऐसे में एक-दो घंटे खड़े रहने के बाद पर्यटक निराश लौट जाते हैं.

पर्यटकों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग बनी परेशानी

जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते करीब 4 माह तक दुर्ग बंद रहा था. वहीं, पुरातत्व विभाग ने सशर्त ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया था. ऐसे में गत 6 जुलाई से चितौड़गढ़ दुर्ग पर्यटकों के लिए खोल दिया गया. पुरातत्व विभाग के मुख्यालय से ऑनलाइन टिकट बुकिंग का आदेश दिया. ऐसे में चितौड़ दुर्ग पर भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों को भी यहां टिकट विंडों के यहां खड़े रह कर ऑनलाइन टिकट बूक करना अनिवार्य हो गया है, जो परेशानी का सबब है.

जानकारी के मुताबिक चितौड़ दुर्ग पर प्रतिदिन 150 से 200 पर्यटक चित्तौड़ दुर्ग का टिकट खरीद कर घूमने का आनंद ले पा रहे हैं. लेकिन यह आंकड़ा यहां आने वाले कुल पर्यटकों का 25 प्रतिशत ही है. टिकट विंडो पर तैनात स्टाफ की मानें तो केवल ग 25 प्रतिशत पर्यटक ही ऑनलाइन टिकट बुक करा पाते हैं. इसका मुख्य कारण ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एप्लीकेशन का जटिल फॉर्मेट और कमजोर नेटवर्क के कारण इंटरनेट की गति बताया जा रहा है. इस कारण आधे से ज्यादा पर्यटक ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कर पाते हैं और उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है.

पढ़ें- विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस : किले, हवेलियां और राजसी ठाठ बाट...लेकिन रेत का दरिया अब भी सूखा

जानकारी में सामने आया कि चितौड़ दुर्ग पहाड़ी पर स्थित है. वहीं, सभी मोबाइल नेटवर्क के टॉवर शहर में हैं. ऐसे में चितौड़ दुर्ग पर किसी भी कम्पनी के नेटवर्क नहीं आते. इससे यहां आने वाले पर्यटक टिकट बूक नहीं कर पा रहे हैं. जबकि, चित्तौड़ दुर्ग की लोकप्रियता को देखते हुए एएसआई की ओर से पुख्ता इंतजामात ऑनलाइन टिकटींग को लेकर होने चाहिए थे, किंतु ऐसा दिखाई नहीं पड़ रहा है.

जानकारी के मुताबिक चित्तौड़ दुर्ग 8 जुलाई को पर्यटकों ने टिकट बुक करवाया. इसी प्रकार 9 को 194, 10 को 123, 11 को 309 और 12 को दोपहर 1 बजे तक 190 पर्यटकों ने ऑनलाइन टिकट बुक करवा कर भ्रमण किया है. लेकिन, अगर सब कुछ सही होता तो यह संख्या इसके दोगुने से भी अधिक होती. दुर्ग पर आने वाले पर्यटकों का यह भी कहना है कि अगर कोई पर्यटक ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कर पा रहा है, तो टिकट काउंटर से टिकट खरीद कर दुर्ग का भ्रमण कर सके ना कि उसे बिना घूमे वापस जाना पड़े.

पढ़ें- जैसलमेर में मंडराया टिड्डी दल, किले और शहर के ऊपर से गुजरा, किसानों की बढ़ी चिंता

स्थानीय पर्यटकों पर भारी पड़ रहा शुल्क...

चित्तौड़ दुर्ग पर शहर एवं जिले के नागरिकों का भ्रमण करना आम बात है. लेकिन, लॉकडाउन के बाद दुर्ग खुलने से लोगों को भ्रमण करने में तो आसानी हो रही है. लेकिन, 40 रुपए का ऑनलाइन टिकट खरीदे बिना उन्हें भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जबकि, स्थानीय लोगों का यह कहना पड़ रहा है कि अगर हम दुर्ग के किसी भी मॉन्यूमेंट में प्रवेश नहीं कर रहे हैं, तो हम 40 का टिकट क्यों खरीदें.

विवाद की हो रही स्थिति...

दुर्ग पर की गई इस व्यवस्था से विवाद की स्थिति हो रही है. इससे पहले तक दुर्ग पर प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं था, जब तक कि किसी भी ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश नहीं करें. लेकिन, अब बिना शुल्क के जाने नहीं दिया जा रहा. इससे स्थानीय लोगों से विवाद की स्थिति बनी हुई है. इतना ही नहीं टिकट जांच में भी अव्यवस्था का आलम है, जिससे कि रविवार को बाहर से आये पर्यटकों से सिक्युरिटी स्टाफ के बीच विवाद हो गया.

चित्तौड़गढ़. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग गत 6 जुलाई को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. इसके चलते बाहरी और स्थानीय पर्यटक दुर्ग पर घूमने और पर्यटन के लिए आना शुरू हो गए हैं. ऑनलाइन टिकट बुकिंग इसमें सबसे बड़ा रोड़ा बन कर उभर रही है. यहां ऑनलाइन टिकट बुकिंग का फॉर्मेट कठिन है तो वहीं मोबाइल नेटवर्क नहीं आने के कारण टिकट की बुकिंग नहीं हो पा रही है. ऐसे में एक-दो घंटे खड़े रहने के बाद पर्यटक निराश लौट जाते हैं.

पर्यटकों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग बनी परेशानी

जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते करीब 4 माह तक दुर्ग बंद रहा था. वहीं, पुरातत्व विभाग ने सशर्त ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया था. ऐसे में गत 6 जुलाई से चितौड़गढ़ दुर्ग पर्यटकों के लिए खोल दिया गया. पुरातत्व विभाग के मुख्यालय से ऑनलाइन टिकट बुकिंग का आदेश दिया. ऐसे में चितौड़ दुर्ग पर भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों को भी यहां टिकट विंडों के यहां खड़े रह कर ऑनलाइन टिकट बूक करना अनिवार्य हो गया है, जो परेशानी का सबब है.

जानकारी के मुताबिक चितौड़ दुर्ग पर प्रतिदिन 150 से 200 पर्यटक चित्तौड़ दुर्ग का टिकट खरीद कर घूमने का आनंद ले पा रहे हैं. लेकिन यह आंकड़ा यहां आने वाले कुल पर्यटकों का 25 प्रतिशत ही है. टिकट विंडो पर तैनात स्टाफ की मानें तो केवल ग 25 प्रतिशत पर्यटक ही ऑनलाइन टिकट बुक करा पाते हैं. इसका मुख्य कारण ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एप्लीकेशन का जटिल फॉर्मेट और कमजोर नेटवर्क के कारण इंटरनेट की गति बताया जा रहा है. इस कारण आधे से ज्यादा पर्यटक ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कर पाते हैं और उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है.

पढ़ें- विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस : किले, हवेलियां और राजसी ठाठ बाट...लेकिन रेत का दरिया अब भी सूखा

जानकारी में सामने आया कि चितौड़ दुर्ग पहाड़ी पर स्थित है. वहीं, सभी मोबाइल नेटवर्क के टॉवर शहर में हैं. ऐसे में चितौड़ दुर्ग पर किसी भी कम्पनी के नेटवर्क नहीं आते. इससे यहां आने वाले पर्यटक टिकट बूक नहीं कर पा रहे हैं. जबकि, चित्तौड़ दुर्ग की लोकप्रियता को देखते हुए एएसआई की ओर से पुख्ता इंतजामात ऑनलाइन टिकटींग को लेकर होने चाहिए थे, किंतु ऐसा दिखाई नहीं पड़ रहा है.

जानकारी के मुताबिक चित्तौड़ दुर्ग 8 जुलाई को पर्यटकों ने टिकट बुक करवाया. इसी प्रकार 9 को 194, 10 को 123, 11 को 309 और 12 को दोपहर 1 बजे तक 190 पर्यटकों ने ऑनलाइन टिकट बुक करवा कर भ्रमण किया है. लेकिन, अगर सब कुछ सही होता तो यह संख्या इसके दोगुने से भी अधिक होती. दुर्ग पर आने वाले पर्यटकों का यह भी कहना है कि अगर कोई पर्यटक ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कर पा रहा है, तो टिकट काउंटर से टिकट खरीद कर दुर्ग का भ्रमण कर सके ना कि उसे बिना घूमे वापस जाना पड़े.

पढ़ें- जैसलमेर में मंडराया टिड्डी दल, किले और शहर के ऊपर से गुजरा, किसानों की बढ़ी चिंता

स्थानीय पर्यटकों पर भारी पड़ रहा शुल्क...

चित्तौड़ दुर्ग पर शहर एवं जिले के नागरिकों का भ्रमण करना आम बात है. लेकिन, लॉकडाउन के बाद दुर्ग खुलने से लोगों को भ्रमण करने में तो आसानी हो रही है. लेकिन, 40 रुपए का ऑनलाइन टिकट खरीदे बिना उन्हें भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जबकि, स्थानीय लोगों का यह कहना पड़ रहा है कि अगर हम दुर्ग के किसी भी मॉन्यूमेंट में प्रवेश नहीं कर रहे हैं, तो हम 40 का टिकट क्यों खरीदें.

विवाद की हो रही स्थिति...

दुर्ग पर की गई इस व्यवस्था से विवाद की स्थिति हो रही है. इससे पहले तक दुर्ग पर प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं था, जब तक कि किसी भी ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश नहीं करें. लेकिन, अब बिना शुल्क के जाने नहीं दिया जा रहा. इससे स्थानीय लोगों से विवाद की स्थिति बनी हुई है. इतना ही नहीं टिकट जांच में भी अव्यवस्था का आलम है, जिससे कि रविवार को बाहर से आये पर्यटकों से सिक्युरिटी स्टाफ के बीच विवाद हो गया.

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