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चित्तौड़गढ़ में भारी बारिश से किसान तबाह, पशुओं के लिए चारे का संकट

पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, लेकिन चित्तौड़गढ़ जिले में भारी बारिश के बाद आए जल-जले ने अन्नदाताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया है. खेतों में पानी भरने से खरीफ की फसलें चौपट हो चुकी है. वहीं मवेशियों के समक्ष चारे का संकट भी उत्पन्न हो गया है. ऐसे में किसान अब अपना पेट भरेंगे या फिर अपने मवेशियों का.

chittaurgarh news, चित्तौड़गढ़ न्यूज
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Published : Sep 21, 2019, 11:06 AM IST

Updated : Sep 21, 2019, 1:23 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले में भारी बारिश के कारण सभी प्रमुख नदियां उफान पर है. ऐसे में में बारिश का पानी अब भी खेतों में जमा है. जिसके चलते खरीफ की फसलें चौपट हो चुकी है. वहीं ईटीवी भारत द्वारा चित्तौड़गढ़ शहर और आसपास के करीब 50 किलोमीटर के एरिया का सर्वे किया गया.

भारी बारिश से किसान परेशान

इस सर्वे के दौरान जो तस्वीरे उभर कर आई है वह बेहद चिंतनीय कही जा सकती है. गांव में फसलें पूर्णता चौपट हो चुकी है. हालांकि गंभीरी और बेडच का पानी धीरे-धीरे उतर रहा है. लेकिन बारिश के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी इन गांव के खेतों में पानी जमा है और मक्का, जवार और सोयाबीन की फसलें पकने के सतय पूर्णता सूख चुकी है. हालत यह है कि पशुओं को खिलाने के लिए चारा तक नहीं बचा है. इस आफत भरी बारिश में फसलों के साथ-साथ चारा भी पानी के साथ खराब हो चुका है.

किसानों से हुई बातचीत में यह सामने आया है कि फसलें करीब-करीब पकने की कगार पर थी कि अचानक पानी का ऐसा जलजला आया कि खाने पीने के भी लाले पड़ गए. सुखी फसलों को देखकर किसान अगले चार महीने परिवार को कैसे चलाएंगे, इसे लेकर चिंतित है.

पढ़े: सवाई मान सिंह अस्पताल में ही भामाशाह योजना की उड़ती धज्जियां...डॉक्टर और मरीज के परिजन आपस में उलझे

एक तिहाई फसलें चौपट

जिले में मक्का और सोयाबीन की फसल सर्वाधिक की जाती है. खासकर निंबाहेड़ा, चित्तौड़गढ़, बड़ी, सादड़ी और बेगू उपखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का के साथ सोयाबीन की फसल की जाती है. इन इलाकों में ही बारिश का प्रकोप सर्वाधिक रहा है. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में करीब एक लाख 20 हजार हेक्टर क्षेत्र में मक्का और एक लाख 3 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल की बुवाई की गई थी.

कुल मिलाकर जिलेभर में करीब तीन लाख 16 हजार हेक्टर क्षेत्र में खरीफ की फसल बोई गई थी. प्रारंभिक तौर पर बारिश प्रभावित इलाकों में 40 से लेकर 50 फ़ीसदी फसलें खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है. औसतन जिले भर में 35 प्रतिशत से अधिक फसलों के खराब होने की आशंका जताई जा रही है.

पढ़े: मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के पांच जिलों में जारी किया 'ऑरेंज अलर्ट'

कृषि अधिकारी हेमराज मीणा के अनुसार फसल बड़े पैमाने पर खराब होने की आशंका है. जिला प्रशासन के आदेशानुसार 15 सितंबर से फसली नुकसान की गिरदावरी की जा रही है. गिरदावरी के बाद ही फसल खराब की वास्तविक स्थिति सामने आ पाएगी.

चित्तौड़गढ़. जिले में भारी बारिश के कारण सभी प्रमुख नदियां उफान पर है. ऐसे में में बारिश का पानी अब भी खेतों में जमा है. जिसके चलते खरीफ की फसलें चौपट हो चुकी है. वहीं ईटीवी भारत द्वारा चित्तौड़गढ़ शहर और आसपास के करीब 50 किलोमीटर के एरिया का सर्वे किया गया.

भारी बारिश से किसान परेशान

इस सर्वे के दौरान जो तस्वीरे उभर कर आई है वह बेहद चिंतनीय कही जा सकती है. गांव में फसलें पूर्णता चौपट हो चुकी है. हालांकि गंभीरी और बेडच का पानी धीरे-धीरे उतर रहा है. लेकिन बारिश के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी इन गांव के खेतों में पानी जमा है और मक्का, जवार और सोयाबीन की फसलें पकने के सतय पूर्णता सूख चुकी है. हालत यह है कि पशुओं को खिलाने के लिए चारा तक नहीं बचा है. इस आफत भरी बारिश में फसलों के साथ-साथ चारा भी पानी के साथ खराब हो चुका है.

किसानों से हुई बातचीत में यह सामने आया है कि फसलें करीब-करीब पकने की कगार पर थी कि अचानक पानी का ऐसा जलजला आया कि खाने पीने के भी लाले पड़ गए. सुखी फसलों को देखकर किसान अगले चार महीने परिवार को कैसे चलाएंगे, इसे लेकर चिंतित है.

पढ़े: सवाई मान सिंह अस्पताल में ही भामाशाह योजना की उड़ती धज्जियां...डॉक्टर और मरीज के परिजन आपस में उलझे

एक तिहाई फसलें चौपट

जिले में मक्का और सोयाबीन की फसल सर्वाधिक की जाती है. खासकर निंबाहेड़ा, चित्तौड़गढ़, बड़ी, सादड़ी और बेगू उपखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का के साथ सोयाबीन की फसल की जाती है. इन इलाकों में ही बारिश का प्रकोप सर्वाधिक रहा है. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में करीब एक लाख 20 हजार हेक्टर क्षेत्र में मक्का और एक लाख 3 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल की बुवाई की गई थी.

कुल मिलाकर जिलेभर में करीब तीन लाख 16 हजार हेक्टर क्षेत्र में खरीफ की फसल बोई गई थी. प्रारंभिक तौर पर बारिश प्रभावित इलाकों में 40 से लेकर 50 फ़ीसदी फसलें खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है. औसतन जिले भर में 35 प्रतिशत से अधिक फसलों के खराब होने की आशंका जताई जा रही है.

पढ़े: मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के पांच जिलों में जारी किया 'ऑरेंज अलर्ट'

कृषि अधिकारी हेमराज मीणा के अनुसार फसल बड़े पैमाने पर खराब होने की आशंका है. जिला प्रशासन के आदेशानुसार 15 सितंबर से फसली नुकसान की गिरदावरी की जा रही है. गिरदावरी के बाद ही फसल खराब की वास्तविक स्थिति सामने आ पाएगी.

Intro:चित्तौड़गढ़lपानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती लेकिन चित्तौड़गढ़ जिले में भारी बारिश के बाद आए जलजले ने अन्नदाताओं के अरमानों पर पानी फेर दियाl हालांकि शहर के बीच से निकलने वाली दोनों ही प्रमुख नदियां उतार पर है परंतु बारिश का पानी अब भी खेतों में जमा हैl नतीजतन खरीफ की फसलें चौपट हो चुकी है वहीं मवेशियों के समक्ष चारे का संकट उत्पन्न हो गया हैl किसान अब अपना पेट भरेंगे या अपने मवेशियों का इस बात को लेकर टेंशन में नजर आते हैंl


Body:ईटीवी भारत द्वारा चित्तौड़गढ़ शहर और आसपास के करीब 50 किलोमीटर के एरिया का सर्वे किया गयाl इस दौरान जो तस्वीर उभर कर आई बेहद चिंतनीय कही जा सकती हैl

खेतों में पानी फसलें सूखी

धनेत, मिसरो की पीपली, कशमोर और घोसुंडा आदि करीब एक दर्जन गांव के सर्वे के दौरान संवादाता ने पाया कि इन गांव में फसलें पूर्णता चौपट हो चुकी है। हालांकि गंभीरी और बेडच का पानी धीरे धीरे उतर रहा है लेकिन बारिश के 1 सप्ताह बाद भी इन गांव के खेतों में पानी जमा है और मक्का जवार तथा सोयाबीन की फसलें पकने की स्टेज पर पूर्णता सूख चुकी हैl हालत यह है कि पशुओं को खिलाने के लिए चारा तक नहीं बचाl फसलों के साथ-साथ चारा भी पानी के साथ सड़ गल चुका है
l इस दौरान किसानों से हुई बातचीत में यह सामने आया कि फसलें करीब-करीब पकने की कगार पर थी कि अचानक पानी का ऐसा जलजला आया कि खाने पीने के भी लाले पड़ गए। सुखी फसलों को देख देख कर किसान अगले 4 महीने परिवार को कैसे चलाएंगे इसे लेकर चिंतित है वही भविष्य को खिलाने के लिए भी चारा नहीं बचा। ऐसे में वे खुद का पेट भरेगा पशुओं के लिए चारे की खरीदारी करें, चिंता में घुले नजर आए।

एक तिहाई फसलें चौपट

जिले में मक्का और सोयाबीन की फसल सर्वाधिक ली जाती है। खासकर निंबाहेड़ा चित्तौड़गढ़ बड़ी सादड़ी और बेगू उपखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का के साथ सोयाबीन की फसल ली जाती है। इन इलाकों में ही बारिश का प्रकोप सर्वाधिक रहा। कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में करीब एक लाख 20000 हेक्टर क्षेत्र में मक्का और 1 लाख 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल की बुवाई की गई थी। कुल मिलाकर जिलेभर में करीब तीन लाख 16 हजार हेक्टर क्षेत्र में खरीफ की फसल बोई गई थी। प्रारंभिक तौर पर बारिश प्रभावित इलाकों में 40 से लेकर 50 फ़ीसदी फसलें खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है। औसतन जिले भर में 35 % से अधिक फसलों के खराब होने की आशंका जताई जा रही हैl अत्यधिक पानी के कारण चारा तक नहीं बचाl ऐसे में पशुओं के समक्ष चारे का संकट उत्पन्न होने की आशंका हैl


Conclusion:कृषि अधिकारी हेमराज मीणा के अनुसार फसलों में बड़े पैमाने पर खराबा होने की आशंका हैl जिला प्रशासन के आदेशानुसार 15 सितंबर से फसली नुकसान की गिरदावरी की जा रही हैl गिरदावरी के बाद ही फसल खराबे की वास्तविक स्थिति सामने आ पाएगीl

नदिया छोड़ रही है किनारे

शहर के मध्य से निकल रही दोनों ही नदियां अपने किनारे छोड़ती नजर आ रही हैl भाई खेड़ा के पास गंभीरी नदी के दोनों ही किनारों पर बड़े पैमाने पर मिट्टी का कटाव देखा जा सकता है। हालत यह है कि शहर की ओर जाने के लिए बनाया गया एनीकट कम काजवे के दोनों साइडों से पानी निकल रहा है वही पानी के तेज बहाव में 2 से 3 साल पहले एक किनारे पर बनाया गया प्लेटफॉर्म बह गया। काजल पर पानी के कारण सैकड़ों किसान करीब 20 किलोमीटर का सफर तय कर नदी के दूसरे किनारे पर स्थित अपने खेतों पर जा रहे हैं। बेडच धीरे धीरे अपनी चौड़ाई बढ़ाती नजर आ रही हैl इसके चलते आसपास के खेतों में जय के बावजूद पानी घुस रहा हैl

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बाइट...... हेमराज मीणा कृषि अधिकारी उपनिदेशक कार्यालय चित्तौड़गढ़( सबसे अंतिम बाइट)

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कैंपेन..... पानी पानी पार्ट 2

मैंने आपके अंदाजे के लिए वॉइस ओवर कर दिया है कृपया वॉइस ओवर इसे आधार बनाते हुए मुख्यालय से ही करवाएं।

Last Updated : Sep 21, 2019, 1:23 PM IST
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