चित्तौड़गढ़. निंबाहेड़ा स्थित कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाता जा रहा है. मोहनलाल सुखड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अमरिक सिंह विश्वविद्यालय के निरीक्षण के लिए पहुंचे, जिसके बाद वे विश्वविद्यालय से खासे प्रभावित नजर आए.
कुलपति प्रोफेसर अमरिक सिंह कल्लाजी विश्वविद्यालय में संचालित पाठयक्रम गतिविधियों को बारीकी से जानने के बाद साफ कहा कि यह विश्वविद्यालय दुनिया में अपनी तरह का अनूठा विश्वविद्यालय हैं और इसका कार्य क्षेत्र विदेश तक होना चाहिए. विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के हेड डॉ. कुंजन आचार्य के साथ विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद प्रबंधन द्वारा विश्वविद्यालय में निर्माण गतिविधियों के साथ-साथ प्रशासनिक भवन आदि ले गए. प्रोफेसर अमरीक सिंह को कल्लाजी के इतिहास से अवगत कराने के साथ-साथ यहां चलाए जा रहे पाठ्यक्रम और भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बताया.
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निरीक्षण के बाद प्रोफेसर अमरीक सिंह इससे काफी प्रभावित नजर आए और कहा कि भारतीय वैदिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, वह निश्चित ही अनुकरणीय है.
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर और क्या किया जा सकता है, इस पर विचार किया जाएगा. वाकई यह विश्वविद्यालय देश ही नहीं बल्कि दुनिया का अनूठा और पहला विश्वविद्यालय है, जो इस तरह का काम कर रहा है. इसे देखते हुए कनाडा, इजरायल वर्सेस तक इसका कार्य क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत है, जहां पर वेदों पर अध्ययन किया जा रहा है.