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चित्तौड़गढ़ में तेज हवा चलने से अफीम की फसल खेतों में आड़ी गिरी, किसानों को भारी नुकसान - चित्तौड़गढ़ न्यूज

चित्तौड़गढ़ में तेज हवा चलने से पककर तैयार खड़ी अफीम की फसल खेतों में आड़ी गिर गई है. जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कई खेतों में तो 70 से 80 प्रतिशत तक फसल को नुकसान हुआ है.

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चित्तौड़गढ़ में तेज हवा चलने से अफीम की फसल खेतों में आड़ी गिरी
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Published : Mar 9, 2021, 8:45 PM IST

चित्तौड़गढ़. काले सोना कही जाने वाली अफीम की फसल काफी महंगी होती है. किसान इसका बहुत ही सहेज कर उत्पादन करता है. चित्तौड़गढ़ में इन दिनों अफील की फसल लगभग पककर तैयार हो गई है. किसान अफीम की फसल में डोडे के चीरे लगाने व डोडे से अफीम निकालने में व्यस्त हैं. वहीं कई किसानों का अगले वर्ष फिर अफीम का लाइसेंस लेने का सपना हवा ने तोड़ दिया है. हवा के चलते कई खेतों में अफीम की फसल आड़ी गिर गई है, जिससे उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है.

पढ़ें: राजस्थान विधानसभा: सदन में विधायक घोघरा ने खुद को हिंदू मानने से किया इनकार...ओबीसी आरक्षण में भी उठी वर्गीकरण की मांग

खेतों पर किसान चिंतित दिखाई दे रहा है तो वहीं नारकोटिक्स विभाग में अफीम जमा करवाना कई किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. निर्धारित मात्रा में अफीम जमा नहीं कराने पर अफीम लाइसेंस कटने का खतरा रहता है. नारकोटिक्स महकमे की ओर से अफीम की खेती की देख-रेख की जाती है. चित्तौड़गढ़ जिला अफीम उत्पादक क्षेत्र में आता है. तीन-चार दिन पहले तेज हवाएं चली थी. जिसके चलते अफीम की फसल आड़ी गिर गई.

अफीम की खेती बर्बाद

इससे अफीम की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान हुआ है. 30 से 80 प्रतिशत तक के नुकसान का अनुमान है. चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय के आस-पास के क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस हवा का असर देखने को मिला है. निंबाहेड़ा मार्ग पर सेंती गांव के किसान संजय जैन के खेत में काफी नुकसान हुआ है. यहां पूरा उत्पादन मिल पाने की संभावना नहीं है. सेंती गांव में ही 85 वर्षीय वृद्धा नोजीबाई पत्नी छोगा गुर्जर के नाम पर भी अफीम लाइसेंस है. वृद्धा और उसका बेटा बाबूलाल गुर्जर दोनों ही परिवार के साथ अफीम की खेती में लगे रहते हैं. उनके खेत में करीब 75 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है.

अफीम के पौधे जमीन पर आड़े गिरे हुए हैं, जिनसे उत्पादन लेना बिल्कुल भी संभव नहीं है. जो पौधे जमीन पर गिर गए उन खेतों में अफीम के डोडे सड़ने लगे हैं. नीचे गिरने के कारण इन्हें पूरी हवा नहीं मिल पा रही है. इस संबंध में अफीम मुखिया ने नारकोटिक्स विभाग को भी अवगत कराया गया है.

इस सख्त नियम के चलते नहीं मिलेगी रियायत

अफीम बुवाई को लेकर नारकोटिक्स विभाग की ओर से कई शर्ते रखी गई हैं. प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से अफीम की फसल में नुकसान होता है तो किसान हकाई के लिए नारकोटिक्स विभाग में आवेदन कर सकता है और उसे अफीम का उत्पादन भी नहीं देना होगा. अगले साल लाइसेंस मिल जाता है. लेकिन किसान ने खेत में अफीम के डोडे पर चीरा लगा दिए हैं तो फिर वह अपनी फसल को नहीं हकवा सकता. वहीं जिले के कई खेतों में एक बार चीरा लगाने के बाद ही अफीम की फसल आड़ी गिरी है. ऐसे में किसानों को राहत मिलने की संभावना बिल्कुल नहीं है.

चित्तौड़गढ़. काले सोना कही जाने वाली अफीम की फसल काफी महंगी होती है. किसान इसका बहुत ही सहेज कर उत्पादन करता है. चित्तौड़गढ़ में इन दिनों अफील की फसल लगभग पककर तैयार हो गई है. किसान अफीम की फसल में डोडे के चीरे लगाने व डोडे से अफीम निकालने में व्यस्त हैं. वहीं कई किसानों का अगले वर्ष फिर अफीम का लाइसेंस लेने का सपना हवा ने तोड़ दिया है. हवा के चलते कई खेतों में अफीम की फसल आड़ी गिर गई है, जिससे उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है.

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खेतों पर किसान चिंतित दिखाई दे रहा है तो वहीं नारकोटिक्स विभाग में अफीम जमा करवाना कई किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. निर्धारित मात्रा में अफीम जमा नहीं कराने पर अफीम लाइसेंस कटने का खतरा रहता है. नारकोटिक्स महकमे की ओर से अफीम की खेती की देख-रेख की जाती है. चित्तौड़गढ़ जिला अफीम उत्पादक क्षेत्र में आता है. तीन-चार दिन पहले तेज हवाएं चली थी. जिसके चलते अफीम की फसल आड़ी गिर गई.

अफीम की खेती बर्बाद

इससे अफीम की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान हुआ है. 30 से 80 प्रतिशत तक के नुकसान का अनुमान है. चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय के आस-पास के क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस हवा का असर देखने को मिला है. निंबाहेड़ा मार्ग पर सेंती गांव के किसान संजय जैन के खेत में काफी नुकसान हुआ है. यहां पूरा उत्पादन मिल पाने की संभावना नहीं है. सेंती गांव में ही 85 वर्षीय वृद्धा नोजीबाई पत्नी छोगा गुर्जर के नाम पर भी अफीम लाइसेंस है. वृद्धा और उसका बेटा बाबूलाल गुर्जर दोनों ही परिवार के साथ अफीम की खेती में लगे रहते हैं. उनके खेत में करीब 75 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है.

अफीम के पौधे जमीन पर आड़े गिरे हुए हैं, जिनसे उत्पादन लेना बिल्कुल भी संभव नहीं है. जो पौधे जमीन पर गिर गए उन खेतों में अफीम के डोडे सड़ने लगे हैं. नीचे गिरने के कारण इन्हें पूरी हवा नहीं मिल पा रही है. इस संबंध में अफीम मुखिया ने नारकोटिक्स विभाग को भी अवगत कराया गया है.

इस सख्त नियम के चलते नहीं मिलेगी रियायत

अफीम बुवाई को लेकर नारकोटिक्स विभाग की ओर से कई शर्ते रखी गई हैं. प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से अफीम की फसल में नुकसान होता है तो किसान हकाई के लिए नारकोटिक्स विभाग में आवेदन कर सकता है और उसे अफीम का उत्पादन भी नहीं देना होगा. अगले साल लाइसेंस मिल जाता है. लेकिन किसान ने खेत में अफीम के डोडे पर चीरा लगा दिए हैं तो फिर वह अपनी फसल को नहीं हकवा सकता. वहीं जिले के कई खेतों में एक बार चीरा लगाने के बाद ही अफीम की फसल आड़ी गिरी है. ऐसे में किसानों को राहत मिलने की संभावना बिल्कुल नहीं है.

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