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चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर मनेगा कामधेनु दीपावली महोत्सव, जलेंगे गोबर के दीपक - चित्तौड़गढ़ न्यूज़

चित्तौड़गढ़ में इस वर्ष कामधेनु दीपावली महोत्सव मनाया जा रहा है. सबसे पहले दुर्ग स्थित कल्लाजी के स्थान पर गोमय दीपक जलेगा. वहीं, 12 नवंबर को गोभक्तों द्वारा चित्तौडगढ दुर्ग पर गाय के गोबर से बने हुए 1 लाख से अधिक दीपक प्रज्वलित कर दीपदान किया जाएगा.

Chittorgarh News, कामधेनु दीपावली महोत्सव
चित्तौड़गढ़ में मनेगा कामधेनु दीपावली महोत्सव
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Published : Nov 8, 2020, 8:09 PM IST

चित्तौड़गढ़. भारत सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा इस वर्ष गाय के गोबर से गोमय लक्ष्मी गणेश आदि प्रतिमाएं तथा गोमय से दीपक का निर्माण कर राष्ट्रव्यापी गो उत्पाद विनिर्माण को स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इस वर्ष निलिया महादेव गोशाला समिति के बैनर तले चित्तौड़गढ़ में कामधेनु दीपावली महोत्सव मनाया जा रहा है. सबसे पहले दुर्ग स्थित कल्लाजी के स्थान पर गोमय दीपक जलेगा. पहली बार इसकी शुरुआत हो रही है. ये बात निलिया महादेव गोशाला समिति के पंडित विष्णु शर्मा ने रविवार को पत्रकार वार्ता में कही.

पढ़ें: Exclusive : सामाजिक नेतृत्व कोई राजगद्दी नहीं कि राजपाट बेटे को सौंप दिया : हिम्मत सिंह

इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में गाय और गोवंश किस प्रकार से उपयोग हो सके, गोपालक की आमद बढ़ सके तथा उपयोग बढ़ने से गोवंश को भी किसान अपने घर पर रख सके आदि मुद्दों पर चर्चा की गई. इसके बाद गोमय दीपक बनाने की शुरुवात देश की सभी गोशालाओं में की गई. इस महा अभियान का शुभारंभ शक्ति, भक्ति और जान की धरा राजस्थान के चितौड़गढ़ से होने जा रहा है, जहां गोवत्स द्वादशी दिनांक 12 नवंबर को गोभक्तों द्वारा चित्तौडगढ दुर्ग पर गाय के गोबर से बने हुए 1 लाख से अधिक दीपक प्रज्वलित कर दीपदान किया जाएगा.

पढ़ें: सीकर में 30 दिन के बच्चे की आंत की सफल सर्जरी, डॉक्टर ने कहा- पहली बार जिला स्तर पर हुआ ऐसा ऑपरेशन

उन्होंने बताया कि गोमय दीपक मेकर मशीनों के माध्यम से प्रतिदिन हजारों की संख्या में दीपक बनाए जा रहे हैं. साथ ही साथ इसी मशीन से हनुमानगढ़ जिले की टिबी ग्राम सेवा सहकारी समिति तथा जयपुर जिले की रेनवाल स्थित श्री गौशाला समिति द्वारा भी हजारों की संख्या में दीपक बनाकर ना केवल उपलब्ध कराए जा रहे हैं, बल्कि चित्तौड़गढ़ में आयोजन के लिए 11 हजार दीपक भेजे जा रहे है. इस महाअभियान के लिए जन सहभागिता बढे इसके लिए चित्तौड़ के हर घर से तेल और बाती का संकलन किया जाएगा तथा चित्तौड़ में दीप प्रज्वलन के साथ ही राजस्थान के अति प्राचीन तीर्थ स्थल देवयानी जिला जयपुर में धनतेरस के दिन प्रातः काल हजारों गोबर से बने हुए दीपक प्रज्वलित किये जाएंगे. उन्होंने बताया कि वर्तमान में मशीनों के माध्यम से गोउत्पाद विनिर्माण के अनुसंधान में जुटे हुए हैं.

चित्तौड़गढ़ में मनेगा कामधेनु दीपावली महोत्सव

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष करेंगे शुरुआत...

निलिया महादेव समिति के संयोजक कमलेश पुरोहित ने बताया कि अखिल भारतीय अभियान का शुभारंभ चित्तौड़ में निलिया महादेव गोशाला में गोबर से बनी 21 फीट की विशाल गणपति प्रतिमा के पूजन से होगा तथा दुर्ग पर महान वीर कल्लाजी महाराज के छतरी पर प्रथम दीपक का प्रज्वलन होगा. इसके बाद लाखों दीप दुर्ग पर प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. फिर धनतेरस से लेकर दीपावली तक घर घर में गोबर के दीपक जलाए जाएंगे.

इस अवसर पर राष्ट्रीय कामोनु आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर वल्लभभाई, भारतीय किसान संघ के सह संगठन मंत्री गजेंद्रसिंह एवं दाद पथ के महामंडलेश्वर मनोहरदास महाराज, रामप्रसाद महाराज चुरू, नागौर सहित अनेकानेक विशिष्ट गो सेवक रहेंगे. उन्होंने बताया कि गोबर के दीपक से गोवर्धन बनाया जाएगा तथा गोपाष्टमी तक वह दीपक काम करेगा एवं गोपाष्टमी के दिन उन दीपकों को बीज सहित ग्राम से बाहर गोचर भूमि में, खेतों में अथवा जलाशय के पास अथवा वन भूमि में विसर्जित किया जाएगा. प्रति वर्ष इसी प्रकार कामधेनु दीपावली महोत्सव गोवत्स द्वादशी से गोपाष्टमी तक मनाने के लिए समाज को विशेषकर माता बहनों को तैयार किया जाएगा, जिससे गोवंश के साथ साथ वृक्षारोपण की स्थाई परंपरा भी आध्यात्मिक आयोजन के माध्यम से स्थाई रूप से स्थापित हो सके.

चित्तौड़गढ़. भारत सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा इस वर्ष गाय के गोबर से गोमय लक्ष्मी गणेश आदि प्रतिमाएं तथा गोमय से दीपक का निर्माण कर राष्ट्रव्यापी गो उत्पाद विनिर्माण को स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इस वर्ष निलिया महादेव गोशाला समिति के बैनर तले चित्तौड़गढ़ में कामधेनु दीपावली महोत्सव मनाया जा रहा है. सबसे पहले दुर्ग स्थित कल्लाजी के स्थान पर गोमय दीपक जलेगा. पहली बार इसकी शुरुआत हो रही है. ये बात निलिया महादेव गोशाला समिति के पंडित विष्णु शर्मा ने रविवार को पत्रकार वार्ता में कही.

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इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में गाय और गोवंश किस प्रकार से उपयोग हो सके, गोपालक की आमद बढ़ सके तथा उपयोग बढ़ने से गोवंश को भी किसान अपने घर पर रख सके आदि मुद्दों पर चर्चा की गई. इसके बाद गोमय दीपक बनाने की शुरुवात देश की सभी गोशालाओं में की गई. इस महा अभियान का शुभारंभ शक्ति, भक्ति और जान की धरा राजस्थान के चितौड़गढ़ से होने जा रहा है, जहां गोवत्स द्वादशी दिनांक 12 नवंबर को गोभक्तों द्वारा चित्तौडगढ दुर्ग पर गाय के गोबर से बने हुए 1 लाख से अधिक दीपक प्रज्वलित कर दीपदान किया जाएगा.

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उन्होंने बताया कि गोमय दीपक मेकर मशीनों के माध्यम से प्रतिदिन हजारों की संख्या में दीपक बनाए जा रहे हैं. साथ ही साथ इसी मशीन से हनुमानगढ़ जिले की टिबी ग्राम सेवा सहकारी समिति तथा जयपुर जिले की रेनवाल स्थित श्री गौशाला समिति द्वारा भी हजारों की संख्या में दीपक बनाकर ना केवल उपलब्ध कराए जा रहे हैं, बल्कि चित्तौड़गढ़ में आयोजन के लिए 11 हजार दीपक भेजे जा रहे है. इस महाअभियान के लिए जन सहभागिता बढे इसके लिए चित्तौड़ के हर घर से तेल और बाती का संकलन किया जाएगा तथा चित्तौड़ में दीप प्रज्वलन के साथ ही राजस्थान के अति प्राचीन तीर्थ स्थल देवयानी जिला जयपुर में धनतेरस के दिन प्रातः काल हजारों गोबर से बने हुए दीपक प्रज्वलित किये जाएंगे. उन्होंने बताया कि वर्तमान में मशीनों के माध्यम से गोउत्पाद विनिर्माण के अनुसंधान में जुटे हुए हैं.

चित्तौड़गढ़ में मनेगा कामधेनु दीपावली महोत्सव

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष करेंगे शुरुआत...

निलिया महादेव समिति के संयोजक कमलेश पुरोहित ने बताया कि अखिल भारतीय अभियान का शुभारंभ चित्तौड़ में निलिया महादेव गोशाला में गोबर से बनी 21 फीट की विशाल गणपति प्रतिमा के पूजन से होगा तथा दुर्ग पर महान वीर कल्लाजी महाराज के छतरी पर प्रथम दीपक का प्रज्वलन होगा. इसके बाद लाखों दीप दुर्ग पर प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. फिर धनतेरस से लेकर दीपावली तक घर घर में गोबर के दीपक जलाए जाएंगे.

इस अवसर पर राष्ट्रीय कामोनु आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर वल्लभभाई, भारतीय किसान संघ के सह संगठन मंत्री गजेंद्रसिंह एवं दाद पथ के महामंडलेश्वर मनोहरदास महाराज, रामप्रसाद महाराज चुरू, नागौर सहित अनेकानेक विशिष्ट गो सेवक रहेंगे. उन्होंने बताया कि गोबर के दीपक से गोवर्धन बनाया जाएगा तथा गोपाष्टमी तक वह दीपक काम करेगा एवं गोपाष्टमी के दिन उन दीपकों को बीज सहित ग्राम से बाहर गोचर भूमि में, खेतों में अथवा जलाशय के पास अथवा वन भूमि में विसर्जित किया जाएगा. प्रति वर्ष इसी प्रकार कामधेनु दीपावली महोत्सव गोवत्स द्वादशी से गोपाष्टमी तक मनाने के लिए समाज को विशेषकर माता बहनों को तैयार किया जाएगा, जिससे गोवंश के साथ साथ वृक्षारोपण की स्थाई परंपरा भी आध्यात्मिक आयोजन के माध्यम से स्थाई रूप से स्थापित हो सके.

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