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कपासन में जांगिड़ ब्राह्मण समाज ने मृत्युभोज बंद करने का लिया निर्णय

कपासन के बेगूं कस्बे में जांगिड़ ब्राह्मण समाज ने मृत्युभोज बंद करने का निर्णय लिया है. जिसको लेकर उन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट को संकल्प पत्र भी सौंपा है.

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मृत्यु भोज बंद करने का निर्णय
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Published : Jun 22, 2020, 7:23 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़). जिले के बेगूं कस्बे में जांगिड़ ब्राह्मण (सुथार) समाज ने मृत्युभोज बंद करने को लेकर न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास गजराज को संकल्प पत्र सौंपा. समाज में व्याप्त मृत्युभोज जैसी कुप्रथा को बंद करने के लिए न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास गजराज ने सभी समाजों में जन जागृति कर मृत्यु भोज बंद करने के लिए मुहिम चलाई है.

वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास गजराज की मुहिम से प्रेरित होकर बेगूं कस्बे के जांगिड़ ब्राह्मण सुथार समाज ने मंडल क्षेत्र की बैठक आयोजित कर मृत्यु भोज बंद करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है. बैठक में बताया गया कि भविष्य में समाज के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर कोई भी व्यक्ति मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करेगा. साथ ही समाज का कोई भी व्यक्ति मृत्युभोज के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा.

वहीं महिलाओं के निधन पर पीहर पक्ष की ओर से किए जाने वाले कार्यक्रम गोरणी का भी आयोजन नहीं किया जाएगा. समाज के किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर केवल उसका दाह संस्कार, उठावना और शोक निवारण कार्यक्रम ही आयोजित होंगे.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने दी पुरी में जगन्नाथ यात्रा की अनुमति, नियमों का करना होगा पालन

वहीं बैठक के बाद वहां उपस्थित सभी जांगिड समाज के सदस्यों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंच कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने समाज की ओर से सर्वसम्मती से मृत्यु भोज बंद करने का संकल्प पत्र सौंपा. इस अवसर पर जांगिड़ ब्राह्मण (सुथार) समाज के कई समाज सदस्य उपस्थित थे. गौरतलब है कि वतर्मान आर्थिक युग में अभी भी कई समाजों की ओर से मृत्यु भोज वृहद रूप किया जाता है. जिसमें 5 से 10 क्विंटल शक्कर के पकवान भी बनाए जाते हैं. इस वजह से कई गरीब परिवार कर्जदार हो चुके हैं.

कपासन (चित्तौड़गढ़). जिले के बेगूं कस्बे में जांगिड़ ब्राह्मण (सुथार) समाज ने मृत्युभोज बंद करने को लेकर न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास गजराज को संकल्प पत्र सौंपा. समाज में व्याप्त मृत्युभोज जैसी कुप्रथा को बंद करने के लिए न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास गजराज ने सभी समाजों में जन जागृति कर मृत्यु भोज बंद करने के लिए मुहिम चलाई है.

वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास गजराज की मुहिम से प्रेरित होकर बेगूं कस्बे के जांगिड़ ब्राह्मण सुथार समाज ने मंडल क्षेत्र की बैठक आयोजित कर मृत्यु भोज बंद करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है. बैठक में बताया गया कि भविष्य में समाज के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर कोई भी व्यक्ति मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करेगा. साथ ही समाज का कोई भी व्यक्ति मृत्युभोज के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा.

वहीं महिलाओं के निधन पर पीहर पक्ष की ओर से किए जाने वाले कार्यक्रम गोरणी का भी आयोजन नहीं किया जाएगा. समाज के किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर केवल उसका दाह संस्कार, उठावना और शोक निवारण कार्यक्रम ही आयोजित होंगे.

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वहीं बैठक के बाद वहां उपस्थित सभी जांगिड समाज के सदस्यों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंच कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने समाज की ओर से सर्वसम्मती से मृत्यु भोज बंद करने का संकल्प पत्र सौंपा. इस अवसर पर जांगिड़ ब्राह्मण (सुथार) समाज के कई समाज सदस्य उपस्थित थे. गौरतलब है कि वतर्मान आर्थिक युग में अभी भी कई समाजों की ओर से मृत्यु भोज वृहद रूप किया जाता है. जिसमें 5 से 10 क्विंटल शक्कर के पकवान भी बनाए जाते हैं. इस वजह से कई गरीब परिवार कर्जदार हो चुके हैं.

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