कपासन (चित्तौड़गढ़). किसानों को सहूलियत दिलाने और उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार ने डिजिटल तकनीक का उपयोग किया. जिससे किसानों को उनकी फसल का समय पर भुगतान मिल सके. लेकिन विधानसभा क्षेत्र के राशमी उपखंड में ऐसा मामला सामने आया है जहां डिजिटल तकनीक ही किसान कि दुश्मन बन गई है.
दरअसल राशमी के देवीपुरा में रहने वाले लक्ष्मण लाल अहीर ने अपनी चने की फसल का समर्थन मूल्य पर तोल कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. जिसमें फसल ले जाने वाले के रूप में उसके पुत्र नानूराम का नाम दर्ज कराया था. लगभग डेढ़ माह पूर्व यह आवेदन किया गया था, और इसी बीच लक्ष्मण लाल की मौत हो गई. उसका पुत्र नानूराम जब तोल केंद्र पर पहुंचा तो उसे बताया गया कि बिना पिता के उसकी फसल का तोल नहीं हो सकता है क्योंकि जो ऑनलाइन बिल बनता है उस पर या तो खातेदार के फिंगरप्रिंट आवश्यक है. या फिर आधार कार्ड के जरिए वन टाइम पासवर्ड प्राप्त करने के लिए खाताधारक के लाइव फोटो लिए जाने के निर्देश हैं.
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ऐसे में वहां काम करने वाले लोग भी इस किसान की कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं. अब मृतक लक्ष्मण का पुत्र नानूराम अपने पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र और सभी दस्तावेज लेकर इधर से उधर चक्कर काट रहा है. लेकिन विभाग के नियमों के अनुसार उसकी फसल के लिए उसे उसके पिता की जरूरत है जो इस दुनिया में नहीं है. फिलहाल किसान अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र और आवश्यक दस्तावेज लेकर अपनी मजबूरी बताता घूम रहा है कि उसके पिता किसी के हालत में तोल के लिए नहीं आ सकते हैं.