कपासन ( चित्तौड़गढ़). 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है' यह कहावत कपासन के रहने वाले रामलाल जाट पर सटीक बैठती है. कहने को तो रामलाल अनपढ़ हैं लेकिन वह कंप्यूटर सिखाने का काम करते हैं. अब तक वह दर्जनों बालिकाओं को कंप्यूटर शिक्षा दे चुके हैं.
राम लाल की कपासन में एक छोटी सी दुकान है. यहां वह कंप्यूटर सीखाने का काम करते हैं. बता दें कि उनके पास महज एक ही कंप्यूटर है, जिसपर वह आस पड़ोस में रहने वाली बच्चियों को कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं. बच्चियों का भी कहना है कि राम जी बहुत प्यार से और ध्यान से उन्हें सिखाते हैं.
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बता दें कि राम लाल का यह सफर हमेशा से इतना आसान नहीं था. राम लाल ने बताया कि महज तीन साल की आयु में पिता की मृत्यु हो गई. जिसके बाद उनकी पूरी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई. जब थोड़ा बड़ा हुए तो रामलाल मजदुरी करने और अपनी माता के काम में हाथ बटाने लगे.
एक-एक पाई जोड़कर बनाया मकान
मजदुरी से एक-एक पाई जोड़कर मकान बनवाया और रोजगार के लिये एक परचुनी की दुकान भी डाल दी. स्वयं तो नहीं पढ़ें पर दुसरे उसकी तरह निरक्षर नहीं रहे इसलिए दुकान पर अखबार मंगवाने लगे. स्कूल से आने के बाद वह बच्चों से अखबार पढ़वाते और सुनते थे.
ज्ञान बांटना चाहते हैं रामजी
स्कूल जाने का सपना तो पूरा नहीं हो सका लेकिन जीवन के चार दशक निकलने के बाद सीखने की ललक ने कम्प्यूटर में पारंगत बना दिया. राम लाल बताते हैं कि एक दिन वह चित्तौड़गढ़ स्थित उसके मित्र की दुकान पर गए. जहां उन्होंने देखा कि उनका मित्र कंप्यूटर पर कार्य कर रहा था. यह देख उसमें भी उत्सुकता बढ़ी और कंप्यूटर की आधार भूत जानकारी उन्होंने ले ली.
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मित्र के सहयोग से वह एक कम्प्युटर 15 हजार रूपये मे खरीद कर घर लेकर आ गए. जहां उन्होंने डाउनलोडिंग का काम सिखा. धीरे धीरे राम लाल ने एक्सेल, पावर प्वाइंट और फोटो शॉप के बारे में काफी जानकारी जुटा ली.
बता दें कि आज कल रामलाल गांव के दर्जनों बच्चों को कम्प्यूटर सिखा रहे हैं. आज गांव में हर कोई इनकी मेहनत और बच्चों को पढ़ाने की लगन की तारीफ करता है..कंप्यूटर चलते देख कोई नहीं कह सकता है रामलाल जाट अनपढ़ हैं.