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स्पेशलः रामलाल जाट का बेमिसाल जज्बा...खुद अनपढ़ हैं, लेकिन बच्चों को देतें हैं कंप्यूटर की शिक्षा

कपासन के रहने वाले रामलाल जाट ने इच्छा शक्ति के चलते सफलता की नई कहानी रची है. रामलाल बच्चियों को कंप्यूटर सिखाने का काम करते हैं. लेकिन यहां सबसे हैरानी वाली बात है कि ये खुद अनपढ़ हैं. पढ़िए कपासन से ये खास रिपोर्ट...

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अनपढ़ रामलाल सिखाते बच्चों को कंप्यूटर
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Published : Feb 11, 2020, 12:03 AM IST

कपासन ( चित्तौड़गढ़). 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है' यह कहावत कपासन के रहने वाले रामलाल जाट पर सटीक बैठती है. कहने को तो रामलाल अनपढ़ हैं लेकिन वह कंप्यूटर सिखाने का काम करते हैं. अब तक वह दर्जनों बालिकाओं को कंप्यूटर शिक्षा दे चुके हैं.

अनपढ़ रामलाल सिखाते बच्चों को कंप्यूटर

राम लाल की कपासन में एक छोटी सी दुकान है. यहां वह कंप्यूटर सीखाने का काम करते हैं. बता दें कि उनके पास महज एक ही कंप्यूटर है, जिसपर वह आस पड़ोस में रहने वाली बच्चियों को कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं. बच्चियों का भी कहना है कि राम जी बहुत प्यार से और ध्यान से उन्हें सिखाते हैं.

यह भी पढ़ें- सरसों की खराब फसल लेकर विधानसभा पहुंचे भाजपा विधायक बलवीर सिंह लूथरा, गहलोत सरकार को घेरा

बता दें कि राम लाल का यह सफर हमेशा से इतना आसान नहीं था. राम लाल ने बताया कि महज तीन साल की आयु में पिता की मृत्यु हो गई. जिसके बाद उनकी पूरी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई. जब थोड़ा बड़ा हुए तो रामलाल मजदुरी करने और अपनी माता के काम में हाथ बटाने लगे.

एक-एक पाई जोड़कर बनाया मकान

मजदुरी से एक-एक पाई जोड़कर मकान बनवाया और रोजगार के लिये एक परचुनी की दुकान भी डाल दी. स्वयं तो नहीं पढ़ें पर दुसरे उसकी तरह निरक्षर नहीं रहे इसलिए दुकान पर अखबार मंगवाने लगे. स्कूल से आने के बाद वह बच्चों से अखबार पढ़वाते और सुनते थे.

ज्ञान बांटना चाहते हैं रामजी

स्कूल जाने का सपना तो पूरा नहीं हो सका लेकिन जीवन के चार दशक निकलने के बाद सीखने की ललक ने कम्प्यूटर में पारंगत बना दिया. राम लाल बताते हैं कि एक दिन वह चित्तौड़गढ़ स्थित उसके मित्र की दुकान पर गए. जहां उन्होंने देखा कि उनका मित्र कंप्यूटर पर कार्य कर रहा था. यह देख उसमें भी उत्सुकता बढ़ी और कंप्यूटर की आधार भूत जानकारी उन्होंने ले ली.

यह भी पढे़ं : SPECIAL : संत राम रूप दास महाराज कर रहे 37 वर्षों से गौ भक्ति, दीपावली पर गायों को खिलाते हैं देसी घी के लड्डू

मित्र के सहयोग से वह एक कम्प्युटर 15 हजार रूपये मे खरीद कर घर लेकर आ गए. जहां उन्होंने डाउनलोडिंग का काम सिखा. धीरे धीरे राम लाल ने एक्सेल, पावर प्वाइंट और फोटो शॉप के बारे में काफी जानकारी जुटा ली.

बता दें कि आज कल रामलाल गांव के दर्जनों बच्चों को कम्प्यूटर सिखा रहे हैं. आज गांव में हर कोई इनकी मेहनत और बच्चों को पढ़ाने की लगन की तारीफ करता है..कंप्यूटर चलते देख कोई नहीं कह सकता है रामलाल जाट अनपढ़ हैं.

कपासन ( चित्तौड़गढ़). 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है' यह कहावत कपासन के रहने वाले रामलाल जाट पर सटीक बैठती है. कहने को तो रामलाल अनपढ़ हैं लेकिन वह कंप्यूटर सिखाने का काम करते हैं. अब तक वह दर्जनों बालिकाओं को कंप्यूटर शिक्षा दे चुके हैं.

अनपढ़ रामलाल सिखाते बच्चों को कंप्यूटर

राम लाल की कपासन में एक छोटी सी दुकान है. यहां वह कंप्यूटर सीखाने का काम करते हैं. बता दें कि उनके पास महज एक ही कंप्यूटर है, जिसपर वह आस पड़ोस में रहने वाली बच्चियों को कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं. बच्चियों का भी कहना है कि राम जी बहुत प्यार से और ध्यान से उन्हें सिखाते हैं.

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बता दें कि राम लाल का यह सफर हमेशा से इतना आसान नहीं था. राम लाल ने बताया कि महज तीन साल की आयु में पिता की मृत्यु हो गई. जिसके बाद उनकी पूरी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई. जब थोड़ा बड़ा हुए तो रामलाल मजदुरी करने और अपनी माता के काम में हाथ बटाने लगे.

एक-एक पाई जोड़कर बनाया मकान

मजदुरी से एक-एक पाई जोड़कर मकान बनवाया और रोजगार के लिये एक परचुनी की दुकान भी डाल दी. स्वयं तो नहीं पढ़ें पर दुसरे उसकी तरह निरक्षर नहीं रहे इसलिए दुकान पर अखबार मंगवाने लगे. स्कूल से आने के बाद वह बच्चों से अखबार पढ़वाते और सुनते थे.

ज्ञान बांटना चाहते हैं रामजी

स्कूल जाने का सपना तो पूरा नहीं हो सका लेकिन जीवन के चार दशक निकलने के बाद सीखने की ललक ने कम्प्यूटर में पारंगत बना दिया. राम लाल बताते हैं कि एक दिन वह चित्तौड़गढ़ स्थित उसके मित्र की दुकान पर गए. जहां उन्होंने देखा कि उनका मित्र कंप्यूटर पर कार्य कर रहा था. यह देख उसमें भी उत्सुकता बढ़ी और कंप्यूटर की आधार भूत जानकारी उन्होंने ले ली.

यह भी पढे़ं : SPECIAL : संत राम रूप दास महाराज कर रहे 37 वर्षों से गौ भक्ति, दीपावली पर गायों को खिलाते हैं देसी घी के लड्डू

मित्र के सहयोग से वह एक कम्प्युटर 15 हजार रूपये मे खरीद कर घर लेकर आ गए. जहां उन्होंने डाउनलोडिंग का काम सिखा. धीरे धीरे राम लाल ने एक्सेल, पावर प्वाइंट और फोटो शॉप के बारे में काफी जानकारी जुटा ली.

बता दें कि आज कल रामलाल गांव के दर्जनों बच्चों को कम्प्यूटर सिखा रहे हैं. आज गांव में हर कोई इनकी मेहनत और बच्चों को पढ़ाने की लगन की तारीफ करता है..कंप्यूटर चलते देख कोई नहीं कह सकता है रामलाल जाट अनपढ़ हैं.

Intro:मजदूर के हाथ माउस_अनपढ़ होकर भी दर्जनों बालिकाओ को दे चुका है कम्प्यूटर शिक्षा-मजदूर रामलाल जाट सोनियानाBody:
कपासन- महज 4 साल की उम्र में लड़खड़ाते कदमों के संभलने से पहले ही पिता का साया उठ गया। परिवार गरीबी के चलते रामलाल का का जिम्मा मां ने संभाला, पारिवारिक परिस्थितियों के चलते खुद को दो जून की रोटी की जुगत में झोंकना पड़ा।
ज्ञान देना चाहता है।
स्कूल जाने का सपना तो पूरा नहीं हो सका लेकिन जीवन के चार दशक निकलने के बाद सीखने की ललक ने कम्प्यूटर में पारंगत बना दिया। गांव सोनियाना निवासी राम लाल धोती और साफा पहने सादगी से मजदूरी एवं गांव में छोटी दुकान चलाने वाले मां के साथ काम में हाथ बंटाया। रामलाल जाट ने इच्छा शक्ति के चलते सफलता की नई कहानी रची है।
राम लाल से जब उसके संघर्ष की कहानी पुछी तो उसकी आंखो से बरबस आंखु छलग पडे। बचपन में पिता की मृत्यू के बाद रामलाल मजदुरी करने व अपनी माता के काम में हाथ बटाने लगा। मजदुरी से एक एक पाई जोड कर मकान बनवाया व रोजगार के लिये एक परचुनी की दुकान भी डाल दी। स्वय तो नही पडो पर दुसरे उसकी तरह निरक्षर नही रहे वह दुकान पर अखबार भी मंगवाने लग गया ताकि देष व दुनिया की घटनाओ की भी जानकारी रहे। स्कुल से आने के बाद वह बच्चो से अखबार पढवाता ओर वह सुनता था।
एक दिन वह चित्तौडगढ स्थित उसके मित्र की दुकान पर गया। जहा उसने कम्प्युटर देखा जिसमें उसका मित्र कार्य कर रहा था। यह देख उसमें भी उत्सुकता बढी ओर कम्प्युटर की आधार भूत जानकारी ली। व मित्र ने कुछ सोप्टवेय उसे चला कर दिखाये। जिसे राम लाल ने कंठस्थ कर लिये। मित्र के सहयोग से वह एक कम्प्युटर 15 हजार रूपये मे खरीद कर घर लेकर आ गया। जहां उसने डाउनलोडिग का काम सिखा। धीरे धीरे राम लाल ने वर्ल्ड , एक्सल ,पावर पोइन्ट व फोटो शोप के बारे में काफी जानकारी जुटा ली।
गरीबी के चलते भले ही राम लाल का विवाह नही हो पाया । परन्तु आज कल रामलाल गांव के दर्जनो बच्चो को कम्प्यूटर सिखा रहा है।Conclusion:बाइट
1-राम लाल जाट
2-पप्पू लाल जाट(ग्रामवादी)
3-कोमल जाट (छात्रा)
4-केशर तेली (छात्रा)
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