कपासन (चित्तौड़गढ़). बेगूं थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बालिका का अपहरण कर जबरन शादी और दुष्कर्म का मामला सामने आया है. सूचना के बाद पुलिस ने बालिका को दस्तयाब किया और बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया. यहां बालिका की काउंसलिंग कर मेडिकल टेस्ट करवाया गया.
जानकारी के मुताबिक, बेगूं थाने में धारा- 363, 366 और 384 के साथ पॉक्सो एक्ट में 16 और 17 धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया. लेकिन बाल कल्याण समिति के काउंसलिंग के बाद समिति अध्यक्ष रमेश चंद्र दशोरा ने जिला पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव को पत्र लिखकर धारा- 370 और 376 किशोर न्याय अधिनियम- 2015 की धारा 75 और 81 एवं बाल विवाह निषेध अधिनियम- 2006 की धारा- 9 और 10 तथा पॉक्सो एक्ट- 2012 की धारा 5 और 6 में भी जांच कराने का आदेश दिया. मामले की जांच भदेसर वृत्ताधिकारी अदिति चौधरी को सौंपा गया है.
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बता दें, नाबालिग बालिका के माता-पिता ने बेगूं थाने में बीते 3 मई रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 10 दिन पहले जब नाबालिग के माता-पिता काम पर गए हुए थे. उसी दौरान पारसोली थाना क्षेत्र निवासी एक महिला उनके घर आई और बालिका को शादी में खाना खिलाने लेकर जाने की बात कहकर अपने साथ ले गई. जब उस नाबालिग के माता-पिता घर आए तो बालिका घर पर नहीं थी. इसके बाद 2 मई को एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया और उसने कहा, तुम्हारी बेटी हमारे पास है. ढाई लाख रुपए लेकर आओ और बेटी को ले जाओ. दोनों ने नाबालिग को घर से ले जाने वाली महिला के पास फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद आ रहा था. बालिका के माता-पिता ने बताया, उनकी बेटी को जबरदस्ती शादी करवाने के लिए लेकर गए. बेगूं पुलिस ने मामला दर्जकर बालिका को भीलवाड़ा से 4 मई दस्तयाब किया.
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थाने में बालिका को लाने के बाद धारा- 161 सीआरपीसी में उसका बयान दर्ज किया गया, जिसमें बालिका ने बताया, एक महिला उसके घर आकर उसे शादी में खाना खिलाने लेकर जाने की बात कहकर अपने साथ ले गई और पुराने बस स्टैंड के पास पहुंची. जहां एक लड़का बाइक लेकर मौजूद था. हम दोनों उसकी बाइक पर बैठ गए और उसने जोगणिया माताजी के जंगल में जाकर छोड़ दिया. वहां पर दो आदमी बाइक पर सवार खड़े थे, वे हमें भीलवाड़ा की ओर लेकर गए.
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नाबालिग ने बताया, भीलवाड़ा में एक पुलिस वाला सादे कपड़ों में था, एक रात वहीं रुकवाया गया. जहां महिला नाबालिग को छोड़कर चली गई. पुलिस वाले ने, जिसका नाम धर्मचंद था, नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. अगले दिन वहां पर दिलखुश नाम का एक व्यक्ति को बुलाया. उसने भी नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. दिलखुश के साथ उसका पिता सूरजमल मीणा, बुआ फूलाबाई, बहन और एक अन्य व्यक्ति वैन में बैठाकर दिलखुश के घर ले गए. जहां पांच दिन बंदी रखा और लगातार दुष्कर्म किया. घर में शादी का माहौल था तो मौका देखकर मैंने घर पर फोन लगाया तो भाई छोटे भाई ने फोन उठाया और उसको सूचना दी. जब उसके माता-पिता ने दोबारा उस नंबर पर संपर्क किया तो फुलाबाई ने छोड़ने के नाम पर दो लाख रुपए मांगे. उसके बाद बेगूं पुलिस मेरी मां और मुंह बोला भाई मौके पर पहुंचे और नाबालिग को वहां से छुड़वाकर वापस घर ले आए.
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काउंसलिंग में बताई जबरदस्ती शादी करवाने की बात
काउंसलिंग के दौरान बालिका ने बताया, घर से ले जाने वाली महिला ने 40 हजार रुपए देने के बदले में पांच दिन के लिए मुझे काम से लेकर जाने की बात कही थी. लेकिन उसने बस स्टैंड पर पहले से मौजूद एक आदमी और फूलाबाई को सौंप दिया. फूलाबाई पाड़लिया गांव लेकर गई. जहां पहले से शादी की तैयारियां की गई थी. मैंने मौका पाते ही अपने घर फोन किया और भाई को पूरी दास्तान बताई. पकड़े जाने पर उन लोगों ने बालिका के साथ मारपीट की और दिलखुश के साथ जबरदस्ती शादी करवा दी. दो-तीन दिन तक दिलखुश ने उसके साथ दुष्कर्म किया और बंद कमरे में उसका फोटो भी खींचा. फूलाबाई ने उस लड़के को मुझे पैसे देकर सौंपा था.