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किसानों का मक्का से मोहभंग, कम कीमत के साथ इल्ली के प्रकोप की आशंका, सोयाबीन पर फोकस रहने की संभावना - चित्तौड़गढ़ में मक्का की फसल

राजस्थान में 20 से लेकर 25 जून के मध्य बारिश के आने की संभावना जताई जा रही है. जिसको लेकर काश्तकार खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. हालांकि जिले में मक्का की बुवाई ज्यादा होती रही है, लेकिन इस बार किसानों का रुख सोयाबीन की ओर ज्यादा रहने की संभावना जताई गई है.

Soybean crop in Chittorgarh, Monsoon in Chittorgarh
इस बार किसानों के सोयाबीन पर फोकस करने की संभावना
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Published : Jun 14, 2021, 8:19 AM IST

चित्तौड़गढ़. मानसून आने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और 20 से लेकर 25 जून के मध्य बारिश के आने की संभावना जताई जा रही है. इसके अलावा मौसम विभाग ने सामान्य बारिश की भी संभावना जताई है. ऐसे में काश्तकार खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. हालांकि जिले में मक्का की बुवाई ज्यादा होती रही है, लेकिन इस बार किसानों का रुख सोयाबीन की ओर ज्यादा रहने की संभावना जताई गई है.

किसानों का मक्का से मोह भंग, सोयाबीन पर फोकस रहने की संभावना

इसका मुख्य कारण मक्का का बाजार में वाजिब दाम नहीं मिलना है. समर्थन मूल्य लागत मूल्य के मुकाबले कम है और किसान हर बार नुकसान उठा रहा है, जबकि यह फसल मेहनत भी ज्यादा मांगती है और खर्चा भी बहुत अधिक हो जाता है, लेकिन उसके मुकाबले मूल्य भी नहीं मिल पाता. इसके अलावा पिछले दो-तीन साल से इल्ली का प्रकोप भी देखा जा रहा है. इन सब कारणों को देखते हुए इस बार किसानों का फोकस सोयाबीन की बुवाई पर अधिक रहने की संभावना जताई गई है. हालांकि कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार खरीद के दौरान 319290 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ का रकबा रखा गया है.

पढ़ें- हाल-ए-मौसम: 24 घंटे में प्री-मानसून देगा दस्तक, इन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

इसमें से अब तक 190000 हेक्टेयर में मक्का की बुवाई होती आई है. इसके बाद दूसरा नंबर सोयाबीन का आता है, जिसकी 85000 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होने का प्रस्ताव है. कृषि उपनिदेशक विस्तार दिनेश जागा ने बताया कि मक्का में किसानों को ज्यादा नुकसान हो रहा है. इस कारण किसान अब सोयाबीन की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने मानसून आने से पहले जुताई आदि की तमाम तैयारियां पूरी कर लेने और खाद बीज समय से पहले घर ले जाने की सलाह दी है, ताकि कोरोना पीरियड में बुवाई के समय ज्यादा भीड़ भाड़ से बचा जा सके.

चित्तौड़गढ़. मानसून आने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और 20 से लेकर 25 जून के मध्य बारिश के आने की संभावना जताई जा रही है. इसके अलावा मौसम विभाग ने सामान्य बारिश की भी संभावना जताई है. ऐसे में काश्तकार खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. हालांकि जिले में मक्का की बुवाई ज्यादा होती रही है, लेकिन इस बार किसानों का रुख सोयाबीन की ओर ज्यादा रहने की संभावना जताई गई है.

किसानों का मक्का से मोह भंग, सोयाबीन पर फोकस रहने की संभावना

इसका मुख्य कारण मक्का का बाजार में वाजिब दाम नहीं मिलना है. समर्थन मूल्य लागत मूल्य के मुकाबले कम है और किसान हर बार नुकसान उठा रहा है, जबकि यह फसल मेहनत भी ज्यादा मांगती है और खर्चा भी बहुत अधिक हो जाता है, लेकिन उसके मुकाबले मूल्य भी नहीं मिल पाता. इसके अलावा पिछले दो-तीन साल से इल्ली का प्रकोप भी देखा जा रहा है. इन सब कारणों को देखते हुए इस बार किसानों का फोकस सोयाबीन की बुवाई पर अधिक रहने की संभावना जताई गई है. हालांकि कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार खरीद के दौरान 319290 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ का रकबा रखा गया है.

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इसमें से अब तक 190000 हेक्टेयर में मक्का की बुवाई होती आई है. इसके बाद दूसरा नंबर सोयाबीन का आता है, जिसकी 85000 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होने का प्रस्ताव है. कृषि उपनिदेशक विस्तार दिनेश जागा ने बताया कि मक्का में किसानों को ज्यादा नुकसान हो रहा है. इस कारण किसान अब सोयाबीन की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने मानसून आने से पहले जुताई आदि की तमाम तैयारियां पूरी कर लेने और खाद बीज समय से पहले घर ले जाने की सलाह दी है, ताकि कोरोना पीरियड में बुवाई के समय ज्यादा भीड़ भाड़ से बचा जा सके.

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