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चित्तौड़गढ़ः 'काले सोने' में से घटते पानी ने बढ़ाई अफीम किसानों की चिंता - अफीम की खेती

फीम का तौल हर वर्ष 4 अप्रैल को शुरू हो जाता है, लेकिन इस वर्ष अप्रैल माह खत्म होने आया है. लेकिन अभी तक नारकोटिक्स विभाग ने अफीम का तौल शुरू नहीं किया है. कोरोना संक्रमण के चलते मार्च माह से ही सभी गतिविधियां रुकी हुई है. रुकी हुई गतिविधियां ही किसानों की चिंता का कारण है.

चित्तौड़गढ़ न्यूज, अफीम की खेती, chittorgarh news, Poppy cultivation
'काले सोने' में से घटते पानी ने बढ़ाई अफीम किसानों की चिंता
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Published : Apr 21, 2020, 7:11 PM IST

चित्तौड़गढ़. काले सोने के रूप में शुमार अफीम पर भी कोरोना संक्रमण का काला साया है, जो अफीम किसानों की चिंता का विषय बना हुआ है. लॉकडाउन के कारण नारकोटिक्स विभाग में अफीम का तौल नियत समय बाद भी शुरू नहीं किया है. वहीं, जिले में बढ़ रही गर्मी अफीम किसानों की चिंता बढ़ा रही है. बढ़ी हुई गर्मी से जिलेभर के किसानों के घरों में रखे अफीम भी सूखने लगी है. इससे किसानों को चिंता सता रही है, कि अफीम में पानी की मात्रा कम होकर वजन नहीं घट जाए. साथ ही चोरी होने का डर भी हर समय रहता है.

'काले सोने' में से घटते पानी ने बढ़ाई अफीम किसानों की चिंता

बता दें, कि अफीम का तौल हर वर्ष 4 अप्रैल को शुरू हो जाता है, लेकिन इस वर्ष अप्रैल माह खत्म होने आया है. लेकिन अभी तक नारकोटिक्स विभाग ने अफीम का तौल शुरू नहीं किया है. कोरोना संक्रमण के चलते मार्च माह से ही सभी गतिविधियां रुकी हुई है. रुकी हुई गतिविधियां ही किसानों की चिंता का कारण है. जहां किसानों को दिन और रात भर घर में रखी अफीम की रखवाली करना पड़ रही है तो वहीं इसका वजन कम होने की भी चिंता है. अफीम में किसान पानी नहीं मिलता, लेकिन प्राकृतिक रूप से उसमें पानी आता है. बाद में गर्मी के साथ एकत्रित की गई अफीम में से पानी की मात्रा घटती जाती है और अफीम गाढ़ी हो जाती है.

देरी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है...

किसानों की माने तो दस किलो वजन में से करीब एक किलो तक का वजन पानी सूखने से कम हो जाता है. जिले में गर्मी ने अपना प्रचंड रूप लेना शुरू कर दिया और तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है. ऐसी स्थिति में अफीम से पानी बहुत ज्यादा सूख रहा है. किसानों की माने तो देरी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है. चितौड़गढ़ जिले में अफीम किसानों को तीन खंड में विभक्त किया है, जिसमें उदयपुर जिले की वल्लभनगर और मावली तहसील भी शामिल है.

इसके साथ ही चित्तौड़गढ़, भदेसर, वल्लभनगर तहसील शामिल हैं. इनमें 5207 किसानों ने अफीम की बुवाई की और कुल 470 ने हकाई के आवेदन दिए है. द्वितीय खंड में कपासन, राशमी, गंगरार, भूपालसागर, डूंगला, मावली तहसील में कुल 4597 पट्टे दिए गए और हंकाई के कुल 503 आवेदन आए. इसी प्रकार निम्बाहेड़ा और बड़ीसादड़ी तहसील तृतीय खंड में आती है. इसमें 5645 किसानों को पट्टे जारी हुए, वहीं हकाई के लिए 250 आवेदन आए.

पढ़ेंः जैसलमेरः पोकरण में बढ़े कोरोना के 2 मरीज, प्रशासन सख्त

इधर, नारकोटिक्स महकमे में सहीराम घूसकांड प्रकरण के बाद नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मीडिया के सामने कोई भी बात नहीं कहते, इससे नारकोटिक्स विभाग के निर्देशों की जानकारी किसानों को नहीं मिल पाती है. इधर, सांसद सीपी जोशी ने बताया, कि मार्फिन से पात्रता तय होगी, इसलिए काश्तकारों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. हालांकि 5 मई से अफीम तौल शुरू हो जाएगा.

चित्तौड़गढ़. काले सोने के रूप में शुमार अफीम पर भी कोरोना संक्रमण का काला साया है, जो अफीम किसानों की चिंता का विषय बना हुआ है. लॉकडाउन के कारण नारकोटिक्स विभाग में अफीम का तौल नियत समय बाद भी शुरू नहीं किया है. वहीं, जिले में बढ़ रही गर्मी अफीम किसानों की चिंता बढ़ा रही है. बढ़ी हुई गर्मी से जिलेभर के किसानों के घरों में रखे अफीम भी सूखने लगी है. इससे किसानों को चिंता सता रही है, कि अफीम में पानी की मात्रा कम होकर वजन नहीं घट जाए. साथ ही चोरी होने का डर भी हर समय रहता है.

'काले सोने' में से घटते पानी ने बढ़ाई अफीम किसानों की चिंता

बता दें, कि अफीम का तौल हर वर्ष 4 अप्रैल को शुरू हो जाता है, लेकिन इस वर्ष अप्रैल माह खत्म होने आया है. लेकिन अभी तक नारकोटिक्स विभाग ने अफीम का तौल शुरू नहीं किया है. कोरोना संक्रमण के चलते मार्च माह से ही सभी गतिविधियां रुकी हुई है. रुकी हुई गतिविधियां ही किसानों की चिंता का कारण है. जहां किसानों को दिन और रात भर घर में रखी अफीम की रखवाली करना पड़ रही है तो वहीं इसका वजन कम होने की भी चिंता है. अफीम में किसान पानी नहीं मिलता, लेकिन प्राकृतिक रूप से उसमें पानी आता है. बाद में गर्मी के साथ एकत्रित की गई अफीम में से पानी की मात्रा घटती जाती है और अफीम गाढ़ी हो जाती है.

देरी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है...

किसानों की माने तो दस किलो वजन में से करीब एक किलो तक का वजन पानी सूखने से कम हो जाता है. जिले में गर्मी ने अपना प्रचंड रूप लेना शुरू कर दिया और तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है. ऐसी स्थिति में अफीम से पानी बहुत ज्यादा सूख रहा है. किसानों की माने तो देरी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है. चितौड़गढ़ जिले में अफीम किसानों को तीन खंड में विभक्त किया है, जिसमें उदयपुर जिले की वल्लभनगर और मावली तहसील भी शामिल है.

इसके साथ ही चित्तौड़गढ़, भदेसर, वल्लभनगर तहसील शामिल हैं. इनमें 5207 किसानों ने अफीम की बुवाई की और कुल 470 ने हकाई के आवेदन दिए है. द्वितीय खंड में कपासन, राशमी, गंगरार, भूपालसागर, डूंगला, मावली तहसील में कुल 4597 पट्टे दिए गए और हंकाई के कुल 503 आवेदन आए. इसी प्रकार निम्बाहेड़ा और बड़ीसादड़ी तहसील तृतीय खंड में आती है. इसमें 5645 किसानों को पट्टे जारी हुए, वहीं हकाई के लिए 250 आवेदन आए.

पढ़ेंः जैसलमेरः पोकरण में बढ़े कोरोना के 2 मरीज, प्रशासन सख्त

इधर, नारकोटिक्स महकमे में सहीराम घूसकांड प्रकरण के बाद नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मीडिया के सामने कोई भी बात नहीं कहते, इससे नारकोटिक्स विभाग के निर्देशों की जानकारी किसानों को नहीं मिल पाती है. इधर, सांसद सीपी जोशी ने बताया, कि मार्फिन से पात्रता तय होगी, इसलिए काश्तकारों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. हालांकि 5 मई से अफीम तौल शुरू हो जाएगा.

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