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चित्तौड़गढ़ः शादी के 9 महीने बाद ही कर दी थी पत्नी की हत्या, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

चित्तौड़गढ़ में 2012 में शादी के 9 माह बाद आए विवाहिता के हत्या के मामले में सोमवार को अपर जिला एवं सेशन न्यायालय क्रमांक- 3 फैसला सुनाया है, जिसमें आरोपी पति सुशील शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

चित्तौड़गढ़ न्यूज, Chittorgarh news
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Published : Dec 16, 2019, 10:53 PM IST

चित्तौड़गढ़. अपर जिला एवं सेशन न्यायालय क्रमांक- 3 ने सोमवार को पत्नी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामले के अनुसार आरोपी पति सुशील शर्मा ने शादी के 9 माह ही अपनी पत्नी प्रीति की हत्या कर दी थी.

लोक अभियोजक खुशनूद खान ने बताया कि प्रार्थी ईश्वर दयाल शर्मा ने 10 जनवरी 2012 को रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया था कि प्रार्थी अपने कार्यालय से नगरपालिका कॉलोनी स्थित घर आया था. यहां प्रार्थी की बहू प्रीति उर्फ टीना और परिवार के साथ पत्नी शारदा के साथ भोजन कर वापस कार्यालय चला गया.

कर दी थी पत्नी की हत्या, पति को सुनाया आजीवन कारावास

खाना खाने के बाद बहू प्रीति अपने कमरे में चली गई थी. करीब 1 घंटे बाद प्रार्थी की पत्नी ने प्रीति को आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं आया. इस पर अंदर जाकर देखा तो कमरे में प्रीति अपने गले में अंगोछा लपेट कर चित अवस्था में पड़ी थी.

पढ़ेंः भाजपा का विरोध: गहलोत सरकार के एक साल पूरे होने पर जिला कलेक्ट्रेट पर भाजपा का प्रदर्शन

इस पर उन्होंने अपने बेटे को बुला प्रीति को जिला चिकित्सालय पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. गले पर निशान होने के कारण अस्पताल में प्रीति शर्मा की संदिग्ध मौत मानी गई. वहीं विवाह को 1 वर्ष से भी कम समय होने के कारण मामले की जांच उपखंड अधिकारी को दी गई. वहीं प्रीति शर्मा के पीहर पक्ष भीलवाड़ा से आए विनोद शर्मा सहित अन्य ने भी ज्ञापन में प्रीति के पति सुशील शर्मा पर हत्या का आरोप लगाया था.

इस पर पुलिस ने कोतवाली थाने में धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए जांच की, जिसमें सुशील को दोषी पाया गया. इस पर सक्षम न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया, जो अनन्य रूप से सेशन विचारणीय होने से न्यायालय जिला एवं सेशन न्यायाधीश चित्तौड़गढ़ को उपार्जित किया, जहां से अंतरित होकर जिला एवं सेशन न्यायालय-3 चित्तौड़गढ़ में सुनवाई के लिए आया.

पढ़ें- इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र सरकार और आरबीआई से जवाब

मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्रीति शर्मा के पति सुशील शर्मा को हत्या के आरोप में दोषी पाया. मामले में न्यायाधीश ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए अभियुक्त सुशील शर्मा को आजीवन कारावास और 5 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया है. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में 30 गवाह एवं 20 दस्तावेज पेश किए गए थे.

चित्तौड़गढ़. अपर जिला एवं सेशन न्यायालय क्रमांक- 3 ने सोमवार को पत्नी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामले के अनुसार आरोपी पति सुशील शर्मा ने शादी के 9 माह ही अपनी पत्नी प्रीति की हत्या कर दी थी.

लोक अभियोजक खुशनूद खान ने बताया कि प्रार्थी ईश्वर दयाल शर्मा ने 10 जनवरी 2012 को रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया था कि प्रार्थी अपने कार्यालय से नगरपालिका कॉलोनी स्थित घर आया था. यहां प्रार्थी की बहू प्रीति उर्फ टीना और परिवार के साथ पत्नी शारदा के साथ भोजन कर वापस कार्यालय चला गया.

कर दी थी पत्नी की हत्या, पति को सुनाया आजीवन कारावास

खाना खाने के बाद बहू प्रीति अपने कमरे में चली गई थी. करीब 1 घंटे बाद प्रार्थी की पत्नी ने प्रीति को आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं आया. इस पर अंदर जाकर देखा तो कमरे में प्रीति अपने गले में अंगोछा लपेट कर चित अवस्था में पड़ी थी.

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इस पर उन्होंने अपने बेटे को बुला प्रीति को जिला चिकित्सालय पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. गले पर निशान होने के कारण अस्पताल में प्रीति शर्मा की संदिग्ध मौत मानी गई. वहीं विवाह को 1 वर्ष से भी कम समय होने के कारण मामले की जांच उपखंड अधिकारी को दी गई. वहीं प्रीति शर्मा के पीहर पक्ष भीलवाड़ा से आए विनोद शर्मा सहित अन्य ने भी ज्ञापन में प्रीति के पति सुशील शर्मा पर हत्या का आरोप लगाया था.

इस पर पुलिस ने कोतवाली थाने में धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए जांच की, जिसमें सुशील को दोषी पाया गया. इस पर सक्षम न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया, जो अनन्य रूप से सेशन विचारणीय होने से न्यायालय जिला एवं सेशन न्यायाधीश चित्तौड़गढ़ को उपार्जित किया, जहां से अंतरित होकर जिला एवं सेशन न्यायालय-3 चित्तौड़गढ़ में सुनवाई के लिए आया.

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मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्रीति शर्मा के पति सुशील शर्मा को हत्या के आरोप में दोषी पाया. मामले में न्यायाधीश ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए अभियुक्त सुशील शर्मा को आजीवन कारावास और 5 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया है. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में 30 गवाह एवं 20 दस्तावेज पेश किए गए थे.

Intro:चित्तौड़गढ़। जिस पत्नी के साथ सात जन्म साथ रहने की कसम खाई थी, उसी पत्नी की विवाह के 9 माह में ही गर्दन दबा कर हत्या करने के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायालय क्रमांक- 3 के न्यायाधीश संजय भटनागर ने हत्यारे पति को आजीवन कारावास पांच हजार रुपये अर्थदंड सुनाया है।Body:लोक अभियोजक खुशनूद खान ने बताया कि प्रार्थी अजमेर हाल नगरपालिका कॉलोनी चित्तौड़गढ़ निवासी ईश्वर दयाल शर्मा ने 10 जनवरी 2012 को रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि प्रार्थी अपने कार्यालय से नगरपालिका कॉलोनी स्थित घर आया। यहां प्रार्थी की बहू प्रीति उर्फ टीना पत्नी सुशील शर्मा व पत्नी शारदा के साथ भोजन कर वापस कार्यालय चला गया। खाना खाने के बाद बहू प्रीति अपने कमरे में चली गई थी। करीब 1 घंटे बाद प्रार्थी की पत्नी ने प्रीति को आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं आया। इस पर अंदर जाकर देखा तो कमरे में प्रीति अपने गले में अंगोछा लपेट कर चित अवस्था में मिली थी। इस पर पुत्र सुशील वह छोटे पुत्र जितेंद्र को आवाज लगा कर बुलाया। प्रीति को जिला चिकित्सालय लाए, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। निशान होने के कारण यहां प्रीति शर्मा की संदिग्ध मौत मानी गई। वहीं विवाह को 1 वर्ष से भी कम समय होने के कारण मामले की जांच उपखंड अधिकारी को दी गई। वहीं प्रीति शर्मा के पीहर पक्ष भीलवाड़ा से आए विनोद शर्मा सहित अन्य ने भी ज्ञापन में प्रीति के पति सुशील शर्मा पर हत्या का आरोप लगाया था। इस पर पुलिस ने कोतवाली थाने में धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज किया। जांच की जिसमें जुर्म 302 में प्रमाणित पाया गया। इस पर सक्षम न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया जो अनन्य रूप से सेशन विचारणीय होने से न्यायालय जिला एवं सेशन न्यायाधीश चित्तौड़गढ़ को उपार्जित किया, जहां से अंतरित होकर जिला एवं सेशन न्यायालय-3 चित्तौड़गढ़ में सुनवाई के लिए आया। इस मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्रीति शर्मा के पति सुशील शर्मा को हत्या के आरोप में दोषी पाया। मामले में न्यायाधीश ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए अभियुक्त सुशील शर्मा को आजीवन कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माना सुनाया। अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में 30 गवाह एवं 20 दस्तावेज पेश किए गए।Conclusion:बाइट - खुशनूद खान, लोक अभियोजक, एडीजे कोर्ट-3
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