चित्तौड़गढ़. महाराणा प्रताप को लेकर पीसीसी चीफ गोविंदसिंह डोटासरा की और से की गई टिप्पणी को लेकर विवाद (Controversy over the statement made by Dotasra) गहरा गया है. इस पर चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने कहा है कि सत्ता का संघर्ष डोटासरा के संज्ञान में नहीं है. डोटासरा को इस वक्तव्य के लिए माफी मांगनी चाहिए. वहीं दूसरी तरफ जौहर स्मृति संस्थान ने भी आंदोलन की चेतावनी देते हुवे डोटासरा से मांग की है.
सत्ता नहीं मेवाड़ की स्वाधीनता के लिए महल छोड़ा : सांसद सीपी जोशी ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डोटासरा ने जिस प्रकार का बयान (statement made by Dotasra about Maharana Pratap) दिया है वह ओछी मानसिकता को दर्शाता है. सत्ता का संघर्ष किसको कहते हैं शायद उनको संज्ञान में नहीं है. महाराणा प्रताप ने सत्ता के लिए नहीं मेवाड़ की स्वाधीनता के लिए अपना महल छोड़ दिया, उन्होंने वन में रहना उन्होंने स्वीकार किया लेकिन किसी की पराधीनता स्वीकार नहीं की. अगर उनको महलों में रहना होता उनको सत्ता का लालच होता तो वह समझौता कर लेते. उन्होंने मेवाड़ की स्वाधीनता के लिए सब कुछ स्वीकार किया लेकिन मेवाड़ की पराधीनता स्वीकार नहीं की.
सांसद जोशी ने कहा कि उन्होंने संघर्ष किया, वन में रहना स्वीकार किया, तकलीफ उठाई लेकिन किसी के सामने झुके नहीं. मेवाड़ की स्वाधीनता और आन बान शान के लिए उन्होंने सब कुछ न्योछावर कर दिया. सांसद जोशी ने कहा है कि इस प्रकार के बयान देना मुझे लगता है उनके एक परिवार की ओछी मानसिकता का परिचायक है. सांसद जोशी ने कहा कि डोटासरा को अपने बयान वापस लेने चाहिए. भविष्य में इस तरह के बयान नहीं दे इस बात की भी सलाह देता हूं.
सांसद जोशी ने कहा कि अकबर हमेशा से आक्रांता और विध्वंस रहा है, जिसमें हमारी संस्कृति और धर्म को नष्ट करने का काम किया है. ऐसे अकबर को महान बनाया किसने. महाराणा प्रताप महान थे, महान है और महान रहेंगे. वे दुनिया के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे. डोटासरा का बयान अन्यथा में दिया हुआ नहीं है, इनकी और इनकी पार्टी की एक सोच को उजागर करता है.
जौहर स्मृति संस्थान करेगा आंदोलन : जौहर स्मृति संस्थान चित्तौड़गढ़ के कोषाध्यक्ष नरपतसिंह भाटी ने कहा है कि पीसीसी चीफ डोटासरा ने अमर्यादित टिप्पणी की है. महाराणा प्रताप वह शख्सियत है जिन्होंने अपने स्वाभिमान, देश प्रेम, राष्ट्रभक्ति के लिए अपना सब कुछ छोड़ छाड़ कर के जंगलों में निवास करना उचित समझा. डोटासरा की ओर से यह कहना कि सत्ता का संघर्ष था यह बहुत ही गलत है. भाटी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू या जितने भी स्वतंत्रता सेनानी थे जो बाद में सत्तासीन हुए क्या उनका अंग्रेजों के साथ संघर्ष सत्ता का संघर्ष था. यह देश एवं राष्ट्रभक्ति के लिए संघर्ष था.
उन्होंने कहा कि जौहर स्मृति संस्थान इस टिप्पणी की घोर निंदा करता है तथा उनसे माफी मांगने की गुजारिश करता है. वह समय पर महाराणा प्रताप को लेकर जो टिप्पणी की गई है उस पर माफी मांगे अन्यथा जौहर स्मृति संस्थान इसको लेकर उग्र आंदोलन करने को लेकर भी तत्पर रहेगा.