चितौड़गढ़. जिले में मतदान प्रतिशत बढ़ाने और मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने की कवायद की जा रही है. लेकिन वहीं दूसरी ओर लगातार दूसरी बार मतदान का विरोध करने वाले एक छोटे से गांव के मतदाताओं की प्रशासन ने सुध तक नहीं ली.
दरअसल, मामला बेंगू के राजस्व ग्राम छोटाखेड़ा से जुड़ा हुआ है, जहां पूर्व में ग्राम पंचायत सरपंच निर्वाचन के दौरान और अब जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के लिए हुए मतदान का ग्रामीणों ने शुक्रवार को बहिष्कार कर दिया. इस बारे में ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में परिसीमन से पूर्व यह गांव मोतीपुरा ग्राम पंचायत में था बाद में इसे अन्य पंचायत में शामिल कर दिया गया, जो गांव से 11 किलोमीटर दूर स्थित है. उनका पोलिंग बूथ भी गांव से 11 किलोमीटर दूरी पर पड़ता है. ऐसे में वहां जाकर मत डालना और छोटे-छोटे कामों के लिए पंचायत मुख्यालय पर जाना उनके लिए समस्या बना हुआ है. ग्राम पंचायत के वार्ड संख्या 11 में शामिल इस गांव में 200 से अधिक मतदाता हैं, जिन्होंने पिछले 1 साल में हुए दो चुनाव का बहिष्कार किया है.
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ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान उपखंड अधिकारी और विकास अधिकारी ने समझाइश का प्रयास किया था. लेकिन ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया. वहीं दूसरी ओर इस वार्ड के वार्ड पंच की सीट भी अभी तक खाली पड़ी है. पूर्व में हुए चुनाव के दौरान वार्ड पंच के पद के लिए एक भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया था. इस बार जिला परिषद और पंचायत समिति के लिए चुनाव में मतदान से पूर्व ही अपनी समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन को अवगत करा दिया था. इसके बावजूद चुनाव तैयारियों के दौरान मतदान सबका अधिकार का नारा देने वाले और चुनाव कार्यक्रमों के दौरान जागरूकता कार्यक्रमों पर मोटा बजट खर्च करने वाले निर्वाचन विभाग को इन मतदाताओं का कोई ख्याल नहीं आया.
ग्रामीणों के मतदान नहीं करने को लेकर पोलिंग बूथ रिटर्निंग ऑफिसर प्रकाश जाटोलिया ने कहा कि गांव में कोई व्यक्ति मतदान के लिए नहीं आया है लेकिन कारण पूछने पर उन्होंने भी अनभिज्ञता जाहिर की है. ऐसे में लगातार मतदान का बहिष्कार कर रहे मतदाताओं को लेकर कोई प्रयास नहीं किया जाना मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों का पर भी सवालिया निशान खड़े करता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने लगातार अपनी समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराया है लेकिन इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारी उनकी समस्याओं पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है. इसलिए ग्रामीणों ने पूर्णरूपेण मतदान का बहिष्कार कर रखा है. पूर्व में हुए मतदान के दौरान जहां समझाइश की औपचारिकता की गई थी, वहीं इस बात निर्वाचन विभाग ने इससे भी खुद को दूर बनाए रखा है.