ETV Bharat / state

दांव पर थी दिग्गजों की प्रतिष्ठा, जनता ने फुला दी कईयों की सांसे

इस बार पंचायत चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों की अपने करीबियों को राजनीतिक मंच पर लाने की मंशा जनता को पसंद नहीं आई. यहां तक कि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना अपने भाई मनोहरलाल आंजना को जिला परिषद तक नहीं पहुंचा पाए. वार्ड 18 से मनोहर लाल को चुनाव मैदान में उतारा गया था.

Chittorgarh Panchayat election results, Panchayat elections in Chittorgarh
दांव पर थी दिग्गजों की प्रतिष्ठा
author img

By

Published : Dec 9, 2020, 4:48 AM IST

चित्तौड़गढ़. पंचायती राज चुनाव के दौरान जिले के कई जनप्रतिनिधि अपने रिश्तेदारों और करीबियों को मैदान में उतारने से भी नहीं चूके. उनका यह मानना था कि उनके दबदबे से वे अपने करीबियों को राजनीति की एबीसीडी सिखाते हुए पंचायत समिति और जिला परिषद में पहुंचा देंगे, लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो कई जनप्रतिनिधियों की साख गिरते-गिरते बची. कुल मिलाकर जनता ने जनप्रतिनिधियों के अरमानों को धराशाई करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी. अधिकांश जनप्रतिनिधियों की सांसें मतगणना के अंतिम चरण तक फूली दिखाई दी.

पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद वार्ड परिणामों पर नजर डाले तो प्रमुख जनप्रतिनिधियों की अपने करीबियों को राजनीतिक मंच पर लाने की मंशा जनता को पसंद नहीं आई. यहां तक कि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना अपने भाई मनोहरलाल आंजना को जिला परिषद तक नहीं पहुंचा पाए. वार्ड 18 से मनोहर लाल को चुनाव मैदान में उतारा गया था. मंत्री आंजना के तमाम प्रयासों के बावजूद मनोहर लाल अंत तक बिछड़ते गए और भाजपा के भूपेंद्र सिंह बडोली के सामने टिक नहीं पाए. मनोहरलाल आंजना 2758 वोटों से बडोली के सामने मात खा गए. यहां तक कि निंबाहेड़ा पंचायत समिति के वार्ड 15 से भी मामूली अंतर से जीत पाए, जबकि पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद वार्ड तक पूरी मशीनरी मंत्री आंजना के साथ थी.

अब यदि बेगू विधानसभा पर नजर डालें तो विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी की अपने करीबी को मैदान में उतारने की कोशिश भी जनता के सामने निरर्थक साबित हुई. वार्ड 21 से विधायक बिधूड़ी ने गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से महावीर गुर्जर को लाकर मैदान में उतारा था, जो कि जनता को रास नहीं आया और महावीर भाजपा के अभिषेक के सामने टिक नहीं पाए और 5479 मतों के अंतर से हार गए. इसी प्रकार विद्रोही बेगू पंचायत समिति क्षेत्र से करौली से लाई गई एक उम्मीदवार को भी जिताने में नाकामयाब रहे.

पढ़ें- जिला परिषद और पंचायत समिति में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन, मंत्रियों के गृह क्षेत्रों में हारी कांग्रेस

बड़ीसादड़ी के पूर्व विधायक प्रकाश चौधरी अपने पुत्र राजा चौधरी को राजनीतिक मंच पर लाने के उद्देश्य से पंचायत समिति चुनावी मैदान में ले आए, लेकिन जनता ने उनके भी पसीने छुड़ा दिए और अंत तक हार जीत के भंवर में उलझे रहे. हालांकि राजा चौधरी मामूली अंतर से जीतने में कामयाब रहे.

कपासन विधानसभा क्षेत्र भाजपा विधायक अर्जुन लाल जीनगर की अपनी भ्राता वधू सुशीला जीनगर को राशमी पंचायत समिति प्रधान बनाने की योजना भी सफल नहीं हो पाई. अपने ही गृह क्षेत्र राशमी से सुशीला को मैदान में उतारा, जहां से वह बुरी तरह हार गईं. राशमी पंचायत समिति अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, ऐसे में विधायक जीनगर ने प्रधान पद के लिए ही अपनी भ्राता वधु को मैदान में उतारा था, जोकि पूर्व में जिला प्रमुख तक रह चुकी है. कुल मिलाकर जनता को प्रमुख जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने करीबियों को मैदान में उतारने की योजना रास नहीं आई और उन्हें उनकी असलियत बताने से भी गुरेज नहीं किया.

चित्तौड़गढ़. पंचायती राज चुनाव के दौरान जिले के कई जनप्रतिनिधि अपने रिश्तेदारों और करीबियों को मैदान में उतारने से भी नहीं चूके. उनका यह मानना था कि उनके दबदबे से वे अपने करीबियों को राजनीति की एबीसीडी सिखाते हुए पंचायत समिति और जिला परिषद में पहुंचा देंगे, लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो कई जनप्रतिनिधियों की साख गिरते-गिरते बची. कुल मिलाकर जनता ने जनप्रतिनिधियों के अरमानों को धराशाई करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी. अधिकांश जनप्रतिनिधियों की सांसें मतगणना के अंतिम चरण तक फूली दिखाई दी.

पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद वार्ड परिणामों पर नजर डाले तो प्रमुख जनप्रतिनिधियों की अपने करीबियों को राजनीतिक मंच पर लाने की मंशा जनता को पसंद नहीं आई. यहां तक कि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना अपने भाई मनोहरलाल आंजना को जिला परिषद तक नहीं पहुंचा पाए. वार्ड 18 से मनोहर लाल को चुनाव मैदान में उतारा गया था. मंत्री आंजना के तमाम प्रयासों के बावजूद मनोहर लाल अंत तक बिछड़ते गए और भाजपा के भूपेंद्र सिंह बडोली के सामने टिक नहीं पाए. मनोहरलाल आंजना 2758 वोटों से बडोली के सामने मात खा गए. यहां तक कि निंबाहेड़ा पंचायत समिति के वार्ड 15 से भी मामूली अंतर से जीत पाए, जबकि पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद वार्ड तक पूरी मशीनरी मंत्री आंजना के साथ थी.

अब यदि बेगू विधानसभा पर नजर डालें तो विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी की अपने करीबी को मैदान में उतारने की कोशिश भी जनता के सामने निरर्थक साबित हुई. वार्ड 21 से विधायक बिधूड़ी ने गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से महावीर गुर्जर को लाकर मैदान में उतारा था, जो कि जनता को रास नहीं आया और महावीर भाजपा के अभिषेक के सामने टिक नहीं पाए और 5479 मतों के अंतर से हार गए. इसी प्रकार विद्रोही बेगू पंचायत समिति क्षेत्र से करौली से लाई गई एक उम्मीदवार को भी जिताने में नाकामयाब रहे.

पढ़ें- जिला परिषद और पंचायत समिति में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन, मंत्रियों के गृह क्षेत्रों में हारी कांग्रेस

बड़ीसादड़ी के पूर्व विधायक प्रकाश चौधरी अपने पुत्र राजा चौधरी को राजनीतिक मंच पर लाने के उद्देश्य से पंचायत समिति चुनावी मैदान में ले आए, लेकिन जनता ने उनके भी पसीने छुड़ा दिए और अंत तक हार जीत के भंवर में उलझे रहे. हालांकि राजा चौधरी मामूली अंतर से जीतने में कामयाब रहे.

कपासन विधानसभा क्षेत्र भाजपा विधायक अर्जुन लाल जीनगर की अपनी भ्राता वधू सुशीला जीनगर को राशमी पंचायत समिति प्रधान बनाने की योजना भी सफल नहीं हो पाई. अपने ही गृह क्षेत्र राशमी से सुशीला को मैदान में उतारा, जहां से वह बुरी तरह हार गईं. राशमी पंचायत समिति अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, ऐसे में विधायक जीनगर ने प्रधान पद के लिए ही अपनी भ्राता वधु को मैदान में उतारा था, जोकि पूर्व में जिला प्रमुख तक रह चुकी है. कुल मिलाकर जनता को प्रमुख जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने करीबियों को मैदान में उतारने की योजना रास नहीं आई और उन्हें उनकी असलियत बताने से भी गुरेज नहीं किया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.