चित्तौडगढ़. चिटफंड कम्पनियों के मामले में हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं. इस बीच चिटफंड के मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में पीयर्स इंडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड के डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी को अलग-अलग धाराओं में 7 साल कठोर कारावास और 80 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है.
अभियोजन अधिकारी मोहिता भार्गव के अनुसार अप्रैल 2019 में कंकू बाई ने प्रार्थिया के रूप में पीयर्स इंडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड के डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी एवं अन्य के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत किया था. जिसमें बताया कि पीयर्स इंडिया के नाम से स्कीम बताई और रियल स्टेट कारोबार में निवेश का झांसा दिया. कई लोगों से किश्तों के रूप में निवेश कराकर जमा धन को जमीन में निवेश करने और ग्राहकों को लाभ पहुंचाने का सपना दिखाया गया. इस दौरान निवेश की मेच्योरिटी के रूप में जमीन व नकद राशि लौटाना बताया गया था.
पढ़ेंः पति-पत्नी ने चिटफंड के नाम पर ₹400 करोड़ की ठगी, दोनों गिरफ्तार
चित्तौडगढ़ में भी कई लोगों ने इस कंपनी में निवेश किया और कम्पनी ने लाभ के रूप में मोटा फायदा कराने के सपने दिखाकर निवेश कराया. हालांकि परिपक्वता के समय उन्हें कोई परिलाभ न देकर अमानत में खयानत की है. इस कंपनी का कार्यालय जगन्नाथ टॉवर में स्थित था. अभियोजन अधिकारी ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 18 गवाह और 262 दस्तावेज पेश किए गए. इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक 1 के पीठासीन अधिकारी इन्द्र सिंह मीणा ने कंपनी डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी को दोषी पाया और उसे 7 साल का कठोर कारावास और कुल 80 हजार का अर्थदंड सुनाया.