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चितौड़गढ़: ग्राफ्टेड तकनीक से आम की किस्मों को बढ़ावा देने में लगा कृषि विज्ञान केंद्र

चित्तौड़गढ़ जिले के बोजुन्दा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ग्राफ्टेड तकनीक से आम की किश्मों को बढ़ावा दे रहा है. इस तकनीक से आम के पौधों को तैयार किया जा रहा है और किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यह बारिश के बाद किसानों को दिए जाएंगे, जिससे वे आम के उत्पादन की ओर ध्यान देकर अपनी आय बढ़ा सके.

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आम की किस्मों को बढ़ावा देने में लगा कृषि विज्ञान केंद्र
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Published : Jun 8, 2020, 6:25 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले के बोजुंदा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ग्राफ्टेड तकनीक से आम की किस्मों को बढ़ावा दे रहा है. ग्राफ्ट तकनीक से आम के पौधे तैयार कर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान में जहां कई किस्म के आम की पैदावार हो रही है, जो केवल दक्षिण भारत में होते हैं. वहीं, केवीके की नर्सरी में ग्राफ्टेड तकनीक से पौधे तैयार हो रहे हैं. यह बरसात के बाद किसानों को दिए जाएंगे, जिससे कि किसान आम के उत्पादन की ओर ध्यान देकर अपनी आय को बढ़ावा दे.

आम की किस्मों को बढ़ावा देने में लगा कृषि विज्ञान केंद्र

जानकारी के अनुसार चितौड़गढ़ जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा फोरलेन पर बोजुंदा में कृषि विज्ञान केंद्र स्थित है, यहां किसानों की आय और आम की बागवानी को बढ़ाने, किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य के साथ विभिन्न किस्म के आमों का उत्पादन कर रहे है और किसानों को भी आम की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे है.

पढ़ें- SPECIAL: चित्तौड़गढ़ के ऐराल गांव के लोग हुए सचेत, ऐसे लड़ रहे CORONA के खिलाफ लड़ाई

उद्यान वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानिया ने बताया कि ग्राफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराएंगे, ताकि किसान वर्ग भी आम की फसल का उत्पादन कर सके. कृषि विभाग ने इसी कड़ी में आधुनिक और वैज्ञानिक खेती का चयन किया है. इस तकनीक के जरिए किसान आम उत्पादन बखूबी रूप से कर सकते है, जहां पहले के तकनीक से सामान्य उत्पादन मिलता था. वहीं ग्राफ्टिंग तकनीक बाद फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी भी मिलने लगी है, इससे किसानों को भी फायदा मिलने लगा है, उनकी आय भी दोगुनी हो सकती है.

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आम की किस्मों को बढ़ावा

उन्होंने बताया कि आम के अलग-अलग किस्मों की ग्राफ्टिंग की तैयारी की जा रही है. वहीं, यहां हयात, मल्लिका, केसर, दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली और हाफूस के पौधे है. इसकी कई किस्में दक्षिण भारत में पाई जाती है, जिनकी खेती अब चित्तौड़ जिले मेंं भी की जा सकती है. इसके अतिरिक्त बाहर से आने वाले आम के परिवहन का खर्चा भी बचेगा.

डॉ. जलवानिया ने बताया कि केवीके में डेढ़ बीघा जमीन पर 120 आम के पौधे तैयार किए थे, जिसमें विभिन्न प्रकार के आम की किस्म हैं. वहीं, इस साल 2 हजार आम के पौधे ग्राफ्टेड तकनीक से तैयार कर किसानों को दिए जाएंगे, इस तकनीक से आम के पौधे तैयार करने के लिए यह सही समय है. जुलाई में ग्राफ्टिंग आम का वितरण बरसात होने के साथ शुरू किया जाएगा. उसके बाद किसान कभी भी उसकी बुवाई कर सकता है.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़ः श्रद्धालुओं ने लकड़ी की नाव में पानी भर कर ठाकुर जी का किया नाव मनोरथ

उन्होंने बताया कि सेंती स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की नर्सरी में ही यह पौधे तैयार किए जा रहे हैं. लगभग दो हजार पौधे तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है. बुवाई के 4 साल बाद यह फल देने शुरू कर देता है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों आए अंधड़ से केवीके पर लगे आम के पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचा है. फिर भी 10 से 12 क्विंटल उत्पादन हुआ है और करीब 25 हजार की आय भी हुई है.

चित्तौड़गढ़. जिले के बोजुंदा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ग्राफ्टेड तकनीक से आम की किस्मों को बढ़ावा दे रहा है. ग्राफ्ट तकनीक से आम के पौधे तैयार कर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान में जहां कई किस्म के आम की पैदावार हो रही है, जो केवल दक्षिण भारत में होते हैं. वहीं, केवीके की नर्सरी में ग्राफ्टेड तकनीक से पौधे तैयार हो रहे हैं. यह बरसात के बाद किसानों को दिए जाएंगे, जिससे कि किसान आम के उत्पादन की ओर ध्यान देकर अपनी आय को बढ़ावा दे.

आम की किस्मों को बढ़ावा देने में लगा कृषि विज्ञान केंद्र

जानकारी के अनुसार चितौड़गढ़ जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा फोरलेन पर बोजुंदा में कृषि विज्ञान केंद्र स्थित है, यहां किसानों की आय और आम की बागवानी को बढ़ाने, किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य के साथ विभिन्न किस्म के आमों का उत्पादन कर रहे है और किसानों को भी आम की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे है.

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उद्यान वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानिया ने बताया कि ग्राफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराएंगे, ताकि किसान वर्ग भी आम की फसल का उत्पादन कर सके. कृषि विभाग ने इसी कड़ी में आधुनिक और वैज्ञानिक खेती का चयन किया है. इस तकनीक के जरिए किसान आम उत्पादन बखूबी रूप से कर सकते है, जहां पहले के तकनीक से सामान्य उत्पादन मिलता था. वहीं ग्राफ्टिंग तकनीक बाद फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी भी मिलने लगी है, इससे किसानों को भी फायदा मिलने लगा है, उनकी आय भी दोगुनी हो सकती है.

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आम की किस्मों को बढ़ावा

उन्होंने बताया कि आम के अलग-अलग किस्मों की ग्राफ्टिंग की तैयारी की जा रही है. वहीं, यहां हयात, मल्लिका, केसर, दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली और हाफूस के पौधे है. इसकी कई किस्में दक्षिण भारत में पाई जाती है, जिनकी खेती अब चित्तौड़ जिले मेंं भी की जा सकती है. इसके अतिरिक्त बाहर से आने वाले आम के परिवहन का खर्चा भी बचेगा.

डॉ. जलवानिया ने बताया कि केवीके में डेढ़ बीघा जमीन पर 120 आम के पौधे तैयार किए थे, जिसमें विभिन्न प्रकार के आम की किस्म हैं. वहीं, इस साल 2 हजार आम के पौधे ग्राफ्टेड तकनीक से तैयार कर किसानों को दिए जाएंगे, इस तकनीक से आम के पौधे तैयार करने के लिए यह सही समय है. जुलाई में ग्राफ्टिंग आम का वितरण बरसात होने के साथ शुरू किया जाएगा. उसके बाद किसान कभी भी उसकी बुवाई कर सकता है.

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उन्होंने बताया कि सेंती स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की नर्सरी में ही यह पौधे तैयार किए जा रहे हैं. लगभग दो हजार पौधे तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है. बुवाई के 4 साल बाद यह फल देने शुरू कर देता है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों आए अंधड़ से केवीके पर लगे आम के पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचा है. फिर भी 10 से 12 क्विंटल उत्पादन हुआ है और करीब 25 हजार की आय भी हुई है.

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