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Corona Effect: चितौड़गढ़ रेलवे स्टेशन पर कैंटीन संचालकों का बुरा हाल

चितौड़गढ़ रेलवे स्टेशन पर होटल और कैंटीन का संचालन करने वाले वेंडर्स और हेल्पर्स को पेट भरने के लाले पड़ने लगे है. 5 महीने से अधिक समय होने वाला है और ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद है. रोजाना कमाकर खाने वाले वेंडरों का काम जनता कर्फ्यू लगने के साथ ही 23 मार्च से ठप है. तब से लेकर आज तक वेंडर्स और हेल्पर अपने घरों में ही बैठे हैं.

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कैंटीन सचालकों का बुरा हाल...
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Published : Aug 27, 2020, 4:21 PM IST

चितौड़गढ़. साल में 365 दिन रेलवे में सफर करने वाले यात्रियों का पेट भरने वाले रेलवे स्टेशन पर होटल और कैंटीन का संचालन करने वाले वेंडर्स और हेल्पर्स के पेट भरने के लाले पड़ने लगे है. पांच महीने से अधिक समय होने वाला है और ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद है. ऐसे में लोग बेरोजगार बैठे हुए हैं और ट्रेनों का संचालन शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.

कैंटीन सचालकों का बुरा हाल...

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भूख मिटाने वाले वेंडर इन दिनों खुद भूखे सो रहे हैं. लॉकडाउन के चलते बंद पड़ी ट्रेनों से अब परिवार का पालन करने के लिए संकट खड़ा हो गया है. अब ये लोग पूरी तरह उधारी पर निर्भर हो चुके हैं. चितौड़गढ़ रेलवे स्टेशन का करीब 130 वर्ष का इतिहास रहा है. पुश्तों से स्टेशन पर काम करने वाले इन वेंडरों कि ना तो रेलवे ने मदद की और ना ही इनको कोई सुविधा दी. रोजाना कमाकर खाने वाले वेंडरों का काम जनता कर्फ्यू लगने के साथ ही 23 मार्च से ठप है. तब से लेकर आज तक वेंडर्स और हेल्पर अपने घरों में ही बैठे हैं.

3 मुख्य स्टेशन जहां 23 यूनिट

जानकारी में सामने आया है कि चितौड़गढ़ जिले के 3 स्टेशन पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल में आता है. इनमें चितौड़गढ़, निम्बाहेड़ा और चंदेरिया स्टेशन आता है. चंदेरिया में 1 स्टॉल है. जिस पर 5 कर्मचारी लेकिन ट्रेनें बंद होने से नहीं खुल रही है. चितौड़गढ़ में कुल 23 यूनिट खान-पान के है. 150 के करीब वेंडर्स और हेल्पर हैं. यहां एक आरआर होटल, 10 स्टॉल, 7 हाथ ठेले, 3 मिल्क पार्लर है और 2 एमपीएस है. वहीं निम्बाहेड़ा में 2 स्टॉल और 1 ट्रॉली है, जहां 12 वेंडर्स और हेल्पर है.

पढ़ेंः ठेका दिलवाने के लिए मांगे थे 22 हजार, 10 हजार की रिश्वत लेते प्रोजेक्ट हेल्पर चढ़ा ACB के हत्थे

एक ट्रेन का संचालन, जिसमें भी ग्राहकी नहीं

रेलवे की और से दिए आदेश के अनुसार केवल 1 ट्रेन मेवाड़ एक्सप्रेस का संचालन हो रहा है. जो उदयपुर से दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन तक संचालित होती है. यह ट्रेन दिल्ली से आने में सुबह 4.45 पर चितौड़गढ़ पहुंचती है. जिसमें ग्राहकी नगण्य है. वहीं शाम को शाम को उदयपुर से दिल्ली जाने में रात 8.30 पर चितौड़गढ़ आती है और 8.45 बजे रवाना होती है. इस समय थोड़ी बहुत ग्राहकी है, जिसके लिए एक हाथ ठेला खुलता है.

समय से पहले आने नहीं देते स्टेशन

जानकारी में सामने आया है कि चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन पर केवल 1 ही ट्रेन का संचालन हो रहा है. इस ट्रेन में जिन यात्रियों को दिल्ली जाना है उन यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर समय से पहले नहीं आने दिया जाता है. जब ट्रेन आती है उसके 5 मिनट पहले ही प्लेटफार्म पर आने दिया जाता है. ऐसे में जिले और उदयपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों से यात्री सफर के लिए आते हैं. लेकिन स्टेशन पर नहीं रहकर रेलवे स्टेशन के बाहरी क्षेत्र में ही घूमते रहते हैं. जो भी खरीददारी करनी होती है वह बाहर ही कर लेते हैं.

लाइसेंस फीस में माफी के आदेश नहीं मिले

रेलवे की और से वेंडर्स और हेल्पर के साथ ही कैंटीन संचालन करने वालों को कोई राहत नहीं मिली है. लाइसेंस फीस और किराया माफ करने को लेकर कोई लिखित आदेश रेलवे स्टेशन के अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुए हैं.

चितौड़गढ़. साल में 365 दिन रेलवे में सफर करने वाले यात्रियों का पेट भरने वाले रेलवे स्टेशन पर होटल और कैंटीन का संचालन करने वाले वेंडर्स और हेल्पर्स के पेट भरने के लाले पड़ने लगे है. पांच महीने से अधिक समय होने वाला है और ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद है. ऐसे में लोग बेरोजगार बैठे हुए हैं और ट्रेनों का संचालन शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.

कैंटीन सचालकों का बुरा हाल...

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भूख मिटाने वाले वेंडर इन दिनों खुद भूखे सो रहे हैं. लॉकडाउन के चलते बंद पड़ी ट्रेनों से अब परिवार का पालन करने के लिए संकट खड़ा हो गया है. अब ये लोग पूरी तरह उधारी पर निर्भर हो चुके हैं. चितौड़गढ़ रेलवे स्टेशन का करीब 130 वर्ष का इतिहास रहा है. पुश्तों से स्टेशन पर काम करने वाले इन वेंडरों कि ना तो रेलवे ने मदद की और ना ही इनको कोई सुविधा दी. रोजाना कमाकर खाने वाले वेंडरों का काम जनता कर्फ्यू लगने के साथ ही 23 मार्च से ठप है. तब से लेकर आज तक वेंडर्स और हेल्पर अपने घरों में ही बैठे हैं.

3 मुख्य स्टेशन जहां 23 यूनिट

जानकारी में सामने आया है कि चितौड़गढ़ जिले के 3 स्टेशन पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल में आता है. इनमें चितौड़गढ़, निम्बाहेड़ा और चंदेरिया स्टेशन आता है. चंदेरिया में 1 स्टॉल है. जिस पर 5 कर्मचारी लेकिन ट्रेनें बंद होने से नहीं खुल रही है. चितौड़गढ़ में कुल 23 यूनिट खान-पान के है. 150 के करीब वेंडर्स और हेल्पर हैं. यहां एक आरआर होटल, 10 स्टॉल, 7 हाथ ठेले, 3 मिल्क पार्लर है और 2 एमपीएस है. वहीं निम्बाहेड़ा में 2 स्टॉल और 1 ट्रॉली है, जहां 12 वेंडर्स और हेल्पर है.

पढ़ेंः ठेका दिलवाने के लिए मांगे थे 22 हजार, 10 हजार की रिश्वत लेते प्रोजेक्ट हेल्पर चढ़ा ACB के हत्थे

एक ट्रेन का संचालन, जिसमें भी ग्राहकी नहीं

रेलवे की और से दिए आदेश के अनुसार केवल 1 ट्रेन मेवाड़ एक्सप्रेस का संचालन हो रहा है. जो उदयपुर से दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन तक संचालित होती है. यह ट्रेन दिल्ली से आने में सुबह 4.45 पर चितौड़गढ़ पहुंचती है. जिसमें ग्राहकी नगण्य है. वहीं शाम को शाम को उदयपुर से दिल्ली जाने में रात 8.30 पर चितौड़गढ़ आती है और 8.45 बजे रवाना होती है. इस समय थोड़ी बहुत ग्राहकी है, जिसके लिए एक हाथ ठेला खुलता है.

समय से पहले आने नहीं देते स्टेशन

जानकारी में सामने आया है कि चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन पर केवल 1 ही ट्रेन का संचालन हो रहा है. इस ट्रेन में जिन यात्रियों को दिल्ली जाना है उन यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर समय से पहले नहीं आने दिया जाता है. जब ट्रेन आती है उसके 5 मिनट पहले ही प्लेटफार्म पर आने दिया जाता है. ऐसे में जिले और उदयपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों से यात्री सफर के लिए आते हैं. लेकिन स्टेशन पर नहीं रहकर रेलवे स्टेशन के बाहरी क्षेत्र में ही घूमते रहते हैं. जो भी खरीददारी करनी होती है वह बाहर ही कर लेते हैं.

लाइसेंस फीस में माफी के आदेश नहीं मिले

रेलवे की और से वेंडर्स और हेल्पर के साथ ही कैंटीन संचालन करने वालों को कोई राहत नहीं मिली है. लाइसेंस फीस और किराया माफ करने को लेकर कोई लिखित आदेश रेलवे स्टेशन के अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुए हैं.

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