कपासन (चित्तौड़गढ़). क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के लिए लगाए गए कैंप इन दिनों घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं. बता दें कि पंजाब के लुधियाना क्षेत्र से आए किसानों की ओर से हर साल पालतु मधुमक्खियों से शहद उत्पादन किया जाता है. जो पूर्णत शुद्व होता है. परन्तु मौसन में अचानक हो रहे परिवर्तन के कारण शहद उत्पादन करने वाली मधुमक्खियां अचानक मर रही है. जिससे किसानों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है.
मधुमक्खी पालक किसान इंद्रजीत जाट ने बताया कि वह हर साल यहां खेतों में होने वाली अजवाइन और सरसों के फूलों को चूस कर शहद का निर्माण करने वाली मधुमक्खियों को लेकर पंजाब से आते है. इस बार मौसम परिवर्तन होने से मधुमक्खियां मर रही है. जिससे शहद उत्पादन में कमी आ रही है. खास तौर से धमाना गांव के समीप खेतों में लगे कैंपों में पालतू मधुमक्खियों से शहद एकत्र कर बाजार में 300 रुपये किलों के भाव से बेचा जाता है.
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इंद्रजीत जाट ने बताया कि सरकार की तरफ से भी इस व्यवसाय के लिए कोई खास सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है. अगर इसी तरह इन मधुमक्खियों के मरने का क्रम जारी रहा तो यह काम खत्म हो जायेगा. इंद्रजीत ने आगे बताया कि शुद्ध शहद उपलब्ध कराने के बावजूद भी अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा है. बाजार में प्रतिस्पर्धा के दौर में इस व्यवसाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.