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चित्तौड़गढ़: अचानक मौसम परिवर्तन से शहद उत्पादन करने वाले किसान बेहाल, मर रही मधुमक्खियां - News of Kapasan

चित्तौड़गढ़ के कपासन में शहद उत्पादक इन दिनों काफी मुसीबतों का सामना कर रहे है. दरअसल मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से काफी मधुमक्खियां अचानक मर रही हैं. जिससे किसानों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है.

शहद उत्पादन की खबर, News of honey production, चित्तौड़गढ़ के कपासन की खबर, The news of Chittorgarh's Kapasan
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Published : Nov 23, 2019, 9:08 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़). क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के लिए लगाए गए कैंप इन दिनों घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं. बता दें कि पंजाब के लुधियाना क्षेत्र से आए किसानों की ओर से हर साल पालतु मधुमक्खियों से शहद उत्पादन किया जाता है. जो पूर्णत शुद्व होता है. परन्तु मौसन में अचानक हो रहे परिवर्तन के कारण शहद उत्पादन करने वाली मधुमक्खियां अचानक मर रही है. जिससे किसानों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है.

मौसम परिवर्तन से शहद उत्पादन करने वाले किसान बेहाल

मधुमक्खी पालक किसान इंद्रजीत जाट ने बताया कि वह हर साल यहां खेतों में होने वाली अजवाइन और सरसों के फूलों को चूस कर शहद का निर्माण करने वाली मधुमक्खियों को लेकर पंजाब से आते है. इस बार मौसम परिवर्तन होने से मधुमक्खियां मर रही है. जिससे शहद उत्पादन में कमी आ रही है. खास तौर से धमाना गांव के समीप खेतों में लगे कैंपों में पालतू मधुमक्खियों से शहद एकत्र कर बाजार में 300 रुपये किलों के भाव से बेचा जाता है.

पढ़ेंः 59 पर्यटकों के साथ चित्तौड़ पहुंची शाही ट्रेन, कडे़ सुरक्षा इंतजामात के बीच हुआ स्वागत

इंद्रजीत जाट ने बताया कि सरकार की तरफ से भी इस व्यवसाय के लिए कोई खास सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है. अगर इसी तरह इन मधुमक्खियों के मरने का क्रम जारी रहा तो यह काम खत्म हो जायेगा. इंद्रजीत ने आगे बताया कि शुद्ध शहद उपलब्ध कराने के बावजूद भी अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा है. बाजार में प्रतिस्पर्धा के दौर में इस व्यवसाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

कपासन (चित्तौड़गढ़). क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के लिए लगाए गए कैंप इन दिनों घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं. बता दें कि पंजाब के लुधियाना क्षेत्र से आए किसानों की ओर से हर साल पालतु मधुमक्खियों से शहद उत्पादन किया जाता है. जो पूर्णत शुद्व होता है. परन्तु मौसन में अचानक हो रहे परिवर्तन के कारण शहद उत्पादन करने वाली मधुमक्खियां अचानक मर रही है. जिससे किसानों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है.

मौसम परिवर्तन से शहद उत्पादन करने वाले किसान बेहाल

मधुमक्खी पालक किसान इंद्रजीत जाट ने बताया कि वह हर साल यहां खेतों में होने वाली अजवाइन और सरसों के फूलों को चूस कर शहद का निर्माण करने वाली मधुमक्खियों को लेकर पंजाब से आते है. इस बार मौसम परिवर्तन होने से मधुमक्खियां मर रही है. जिससे शहद उत्पादन में कमी आ रही है. खास तौर से धमाना गांव के समीप खेतों में लगे कैंपों में पालतू मधुमक्खियों से शहद एकत्र कर बाजार में 300 रुपये किलों के भाव से बेचा जाता है.

पढ़ेंः 59 पर्यटकों के साथ चित्तौड़ पहुंची शाही ट्रेन, कडे़ सुरक्षा इंतजामात के बीच हुआ स्वागत

इंद्रजीत जाट ने बताया कि सरकार की तरफ से भी इस व्यवसाय के लिए कोई खास सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है. अगर इसी तरह इन मधुमक्खियों के मरने का क्रम जारी रहा तो यह काम खत्म हो जायेगा. इंद्रजीत ने आगे बताया कि शुद्ध शहद उपलब्ध कराने के बावजूद भी अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा है. बाजार में प्रतिस्पर्धा के दौर में इस व्यवसाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

Intro:कपासन -
शहद उत्पादको के लिये मौसम में हो रहा बदलाव जीवन में कडवाहट पैदा कर रहा है।
क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के लिए लगाए गए कैंप इन दिनों घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं । Body:कपासन -
शहद उत्पादको के लिये मौसम में हो रहा बदलाव जीवन में कडवाहट पैदा कर रहा है।
क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के लिए लगाए गए कैंप इन दिनों घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं । विधानसभा क्षैत्र के राशमी क्षैत्र में अजवाईन व सरसो की खेती बहुतायात से हांती है जहां पंजाब के लुधियाना क्षेत्र से आए किसानो द्वारा हर वर्ष पालतु मधुमक्खियो द्वारा शहद उत्पादन किया जाता है। जो पूर्णत शुद्व होता है। परन्तु मौसन में अचानक हो रहे परिवर्तन के कारण शहद उत्पादन करने वाली मधुमक्खियॉ अचानक मर रही है। जिससे किसानो को भारी घाटे का सामना करना पड रहा है।
मधुमक्खी पालक किसान इंद्रजीत जाट ने बताया कि हर वर्ष यहां होने वाली अजवाइन व सरसों की खेती के फूलों को चूस कर शहद का निर्माण करने वाली मक्खियां लेकर पंजाब से यहा आते है। इस बार मौसम परिवर्तन होने से मर रही है। जिससे शहद उत्पादन में कमी आ रही है।खास तौर से धमाना गांव के समीप खेतों में लगे इन केंपों में पालतू मधुमक्खियों से शहद एकत्र कर बाजार में 300 रुपये किलो के भाव से बेचा जाता है।जाट ने बताया कि सरकार द्वारा भी इस व्यवसाय के लिए कोई खास सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है ।अगर इसी तरह इन मधुमक्खियों के मरने का क्रम जारी रहा तो यह धंधा लुप्त हो जायेगा। शुद्ध शहद उपलब्ध कराने के बावजूद अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा है । बाजार में प्रतिस्पर्धा के दौर में इस व्यवसाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
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Conclusion: बाइट- शहद उत्पादक किसान -इन्द्रजीत सिंह लुधियाना
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