अजमेर. जिले में शुरुआती अच्छी बारिश से किसानों ने बिना वक्त गंवाए अपने खेतों की बुआई करना शुरू कर दिया है. जिले में 80 फ़ीसदी करीब बुवाई हो चुकी है. शेष क्षेत्रों में बुवाई जारी है. किसानों को सरकारी स्तर पर जिस तरह से अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध होता है. उसी तरह अनुदानित दर पर खाद भी उपलब्ध है जो प्राइवेट दुकानों से सस्ता पड़ता है. सरकारी स्तर पर किसानों को यूरिया 266 रुपए और डीएपी 1300 रुपए में 50 किलो का बैग मिल रहा है. जबकि प्राइवेट दुकानों में यूरिया खुले में 20 से 30 रुपये प्रति किलो और 50 किलो का बैग 340 रुपए में मिल रहा है. जबकि डीएपी 1400 से 1500 रुपए प्रति 50 किलो बैग मिल रहा है.
खास बात यह है कि यूरिया व डीएपी की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने सरकारी स्तर पर विशेष इंतजाम किए हैं. जिसके तहत जिला उपखंड और ग्राम सेवा सहकारी समितियों में मिलने वाले अनुदानित दर पर खाद पोस मशीन के जरिए ही किसानों को मिल रहा है. अजमेर में सरकारी स्तर पर इफ़को कंपनी का खाद किसानों के लिए उपलब्ध है जो सहकारी समितियों और कृषि विभाग से अधिकृत दुकानों पर उपलब्ध है. जिले में यूरिया व डीएपी की मात्रा प्रचुर होने का कृषि विभाग दावा कर रहा है लेकिन किसान बताते हैं कि कई ग्राम सहकारी समितियों में डीएपी नहीं पहुंच रहा है. जिससे उन्हें प्राइवेट दुकानों से महंगे भाव में डीएपी खरीदकर पूर्ति करनी पड़ रही है.
कृषि विभाग के उप निदेशक विजय कुमार शर्मा बताते हैं कि जिले में 400 से अधिक खाद की दुकानें हैं. जिले में यूरिया व डीएपी की ज्यादा मांग रहती है. शर्मा बताते हैं कि यूरिया जिले में 11 हजार 600 मेट्रिक टन आवंटित हुआ है इसमें जिले को 5 हजार मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हो चुका है. दो हजार मैट्रिक टन यूरिया वितरित हो चुका है. शेष तीन हजार मैट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से डीएपी का 9 हजार 500 मैट्रिक टन आवंटित है. इसके तहत 8 हजार 600 मैट्रिक टन जिले को प्राप्त हुआ है. इसमें छह हजार मैट्रिक टन डीएपी किसानों को वितरित हो चुका है. कृषि विभाग का दावा है कि जिले में डीएपी और यूरिया की कोई समस्या नहीं है.
अजमेर कृषि विभाग के उप निदेशक विजय कुमार शर्मा ने बताया कि डीएपी और यूरिया की सप्लाई के लिए सरकारी तौर पर जिले में नेटवर्क दो प्रकार से है. इनमें 125 सहकारी समितियां और 375 अधिकृत प्राइवेट दुकानें हैं. उन्होंने बताया कि सरकारी स्तर पर इसको कंपनी ने अजमेर में डीएपी और यूरिया का स्टॉक रखा हुआ है. शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुरूप जिले में एडवांस स्टॉक खाद का रखना जरूरी है. हाल ही में मांग के अनुरूप दो हजार मैट्रिक टन डीएपी सभी सरकारी समितियों में उपलब्ध करवाया गया है. किसान से आधार कार्ड के नंबर लेकर पोस मशीन में किसान का अंगूठा का निशान जांच कर सहकारी समितियों या अधिकृत दुकानदार उसे यूरिया डीएपी दे देते हैं.
शर्मा ने बताया कि कालाबाजारी को रोकने के लिए विभाग के निरीक्षक सरकारी और प्राइवेट दुकानों का निरीक्षण करते हैं. उर्वरक का वितरण पोस मशीन से हो. इसके लिए बार बार हिदायत दी जाती है. साथ ही उर्वरकों की गुणवत्ता को जांचने के लिए निरीक्षक सरकारी और प्राइवेट दुकानों पर उर्वरकों के नमूने भी लेकर उन्हें प्रयोगशाला भेजते हैं. यदि उर्वरकों में मिलावट पाई जाती है तो फर्टिलाइजर एक्ट के तहत डीलर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. शर्मा ने बताया कि पिछले महीने ही जिले में 32 नमूने उर्वरकों के लिए गए हैं जिन्हें प्रयोगशाला भेजा गया है.
जिले में कृषि विभाग के अपने दावे हैं लेकिन किसानों की अपनी शिकायतें भी है. हालांकि यूरिया व डीएपी उन्हीं किसानों को मिल रहा है जिनके पास आधार कार्ड है. जिनके पास आधार कार्ड नहीं है उन्हें प्राइवेट दुकानों से प्राइवेट कंपनियों के उर्वरक महंगे भाव में खरीदने पड़ रहे हैं.