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गीला सूखा कचरा अलग-अलग संग्रह करने की खुली पोल - garbage door to door

आज सोमवार से जयपुर के 8 वार्डों में शुरू होने वाले सेग्रीगेशन की हकीकत साफ हो गई. जहां हूपर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालने की व्यवस्था ही नहीं दिखी. तो कई वार्डों में तो हूपर ही नहीं पहुंचे.

आज से ही शुरू हुई सेग्रीगेशन की हकीकत हो गई साफ
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Published : May 20, 2019, 4:49 PM IST

जयपुर. राजधानी में हर साल सफाई पर 100 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद शहर में कचरे के ढेर लगे हुए हैं. शहर में बीते 3 सालों से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था चालू है. बावजूद इसके गीला और सूखा कचरा सिर्फ कागजों में ही अलग-अलग लिया जा रहा है. आज से यानी सोमवार से शहर के 8 वार्डों में शुरू होने वाले सेग्रीगेशन की हकीकत भी यही है. जहां हूपर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालने की व्यवस्था ही नहीं दिखी. वहीं कई वार्डों में तो हूपर ही नहीं पहुंचे.

बीवीजी कंपनी के हूपरों ने खोली दावों की पोल
राजधानी में वार्ड 21, 24, 35, 43, 45, 61, 84 और 87 में नगर निगम गीला और सूखा कचरा अलग-अलग लेना शुरू करने वाला था. प्रयास था कि लोगों को कचरा अलग करने के लिए समझाया भी जाएगा. साथ ही दावा है कि जून के पहले सप्ताह से शहर भर में गीला सूखा कचरा अलग-अलग इकट्ठा किया जाएगा. लेकिन, बीवीजी कंपनी के हूपरों ने पहले ही दिन इन दावों और प्रयासों की हकीकत खोल दी.

सोमवार से ही शुरू हुई सेग्रीगेशन व्यवस्था की खुली पोल

ईटीवी भारत जब वार्ड 45 में पहुंचा तो वहां हुपर तो आए, लेकिन हूपर में सेग्रीगेशन के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं देखने को मिली. हालांकि प्रशासन का दावा था कि हूपर में भी दो रंग के डब्बे लगाए जाएंगे. हरे और नीले रंग के डिब्बे में सूखा और गीला कचरा डालने की व्यवस्था रहेगी. इसके अलावा हार्ड कचरे के लिए एक लाल रंग का डिब्बा भी हूपर में लगाया जाएगा.

वार्ड 84 में तो कचरा लेने हूपर ही नहीं पहुंचे
इस व्यवस्था को लेकर आमजन जागरूक नजर आए. वार्ड 84 में लोगों ने दो अलग-अलग डस्टबिन बनाकर गीला और सूखा कचरा एकत्रित किया. लेकिन, दावे के विपरीत सोमवार को यहां तो हूपर ही नहीं पहुंचे. शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहें और नगर निगम सालभर सक्रिय रहे. इसके लिए केंद्रीय शहरी आवास विकास मंत्रालय पूरे साल स्वच्छता अभियान चलाने वाला है. इसका जून तक चलने वाला पहला चरण अप्रेल से शुरू हो चुका है. लेकिन, सफाई व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है. शहर की बिगड़ी सफाई व्यवस्था के बीच नगर निगम न सोमवार से 8 वार्डों में गीला सूखा कचरा अलग-अलग उठाना शुरू करने का दावा भी फेल हो गया.

जयपुर. राजधानी में हर साल सफाई पर 100 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद शहर में कचरे के ढेर लगे हुए हैं. शहर में बीते 3 सालों से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था चालू है. बावजूद इसके गीला और सूखा कचरा सिर्फ कागजों में ही अलग-अलग लिया जा रहा है. आज से यानी सोमवार से शहर के 8 वार्डों में शुरू होने वाले सेग्रीगेशन की हकीकत भी यही है. जहां हूपर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालने की व्यवस्था ही नहीं दिखी. वहीं कई वार्डों में तो हूपर ही नहीं पहुंचे.

बीवीजी कंपनी के हूपरों ने खोली दावों की पोल
राजधानी में वार्ड 21, 24, 35, 43, 45, 61, 84 और 87 में नगर निगम गीला और सूखा कचरा अलग-अलग लेना शुरू करने वाला था. प्रयास था कि लोगों को कचरा अलग करने के लिए समझाया भी जाएगा. साथ ही दावा है कि जून के पहले सप्ताह से शहर भर में गीला सूखा कचरा अलग-अलग इकट्ठा किया जाएगा. लेकिन, बीवीजी कंपनी के हूपरों ने पहले ही दिन इन दावों और प्रयासों की हकीकत खोल दी.

सोमवार से ही शुरू हुई सेग्रीगेशन व्यवस्था की खुली पोल

ईटीवी भारत जब वार्ड 45 में पहुंचा तो वहां हुपर तो आए, लेकिन हूपर में सेग्रीगेशन के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं देखने को मिली. हालांकि प्रशासन का दावा था कि हूपर में भी दो रंग के डब्बे लगाए जाएंगे. हरे और नीले रंग के डिब्बे में सूखा और गीला कचरा डालने की व्यवस्था रहेगी. इसके अलावा हार्ड कचरे के लिए एक लाल रंग का डिब्बा भी हूपर में लगाया जाएगा.

वार्ड 84 में तो कचरा लेने हूपर ही नहीं पहुंचे
इस व्यवस्था को लेकर आमजन जागरूक नजर आए. वार्ड 84 में लोगों ने दो अलग-अलग डस्टबिन बनाकर गीला और सूखा कचरा एकत्रित किया. लेकिन, दावे के विपरीत सोमवार को यहां तो हूपर ही नहीं पहुंचे. शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहें और नगर निगम सालभर सक्रिय रहे. इसके लिए केंद्रीय शहरी आवास विकास मंत्रालय पूरे साल स्वच्छता अभियान चलाने वाला है. इसका जून तक चलने वाला पहला चरण अप्रेल से शुरू हो चुका है. लेकिन, सफाई व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है. शहर की बिगड़ी सफाई व्यवस्था के बीच नगर निगम न सोमवार से 8 वार्डों में गीला सूखा कचरा अलग-अलग उठाना शुरू करने का दावा भी फेल हो गया.

Intro:हर साल सफाई पर 100 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद शहर में कचरे के ढेर के लगे हुए हैं। शहर में बीते 3 सालों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था चालू है। बावजूद इसके गीला सूखा कचरा सिर्फ बातों में ही अलग अलग लिया जा रहा है। आज से 8 वार्डों में शुरू होने वाले सेग्रीगेशन की हकीकत भी यही है। जहां हुपर में गीला और सूखा कचरा अलग अलग डालने की व्यवस्था ही नहीं दिखी। वहीं कई वार्डों में तो आज हुपर ही नहीं पहुंचे।


Body:राजधानी में आज वार्ड 21, 24, 35, 43, 45, 61, 84 और 87 में नगर निगम गीला सूखा कचरा अलग अलग लेना शुरू करने वाला था। प्रयास था कि लोगों को कचरा अलग करने के लिए समझाया भी जाएगा। साथ ही दावा है कि जून के पहले सप्ताह से शहर भर में गीला सूखा कचरा अलग-अलग इकट्ठा किया जाएगा। लेकिन बीवीजी कंपनी के हुपरों ने पहले ही दिन इन दावों और प्रयासों की हकीकत खोल दी। ईटीवी भारत जब वार्ड 45 में पहुंचा तो वहां हुपर तो आए, लेकिन हुपर में सेग्रीगेशन के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं देखने को मिली।
बाईट - राकेश शर्मा, स्थानीय

हालांकि प्रशासन का दावा था कि हुपर में भी दो रंग के डब्बे लगाए जाएंगे। हरे और नीले रंग के डिब्बे में सूखा और गीला कचरा डालने की व्यवस्था रहेगी। इसके अलावा हजार्ड्स कचरे के लिए एक लाल रंग का डिब्बा भी हुपर में लगाया जाएगा।
बाईट - पवन अरोड़ा, निदेशक, स्वायत्त शासन

इस व्यवस्था को लेकर आमजन जागरूक नज़र आए। वार्ड 84 में लोगों ने दो अलग-अलग डस्टबिन बनाकर गीला और सूखा कचरा एकत्रित किया। लेकिन दावे के विपरीत आज यहाँ तो हुपर ही नहीं पहुंचे।
बाईट - शिल्पी, वार्ड 84
बाईट- रिंकल, वार्ड 84


Conclusion:शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहें और नगर निगम सालभर सक्रिय रहे, इसके लिए केंद्रीय शहरी आवास विकास मंत्रालय पूरे साल स्वच्छता अभियान चलाने वाला है। इसका जून तक चलने वाला पहला चरण अप्रैल से शुरू हो चुका है। लेकिन सफाई व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। शहर की बिगड़ी सफाई व्यवस्था के बीच नगर निगम न सोमवार से 8 वार्डों में गीला सूखा कचरा अलग-अलग उठाना शुरू करने का दावा भी फेल हो गया।
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