जयपुर . कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनी की ओर से राजस्थान के बीकानेर में खरीदी गई जमीनों के मामले में मुसीबत बढ़ती नजर आ रही है. इस मामले में दिल्ली के बाद अब वाड्रा को 12 फरवरी को जयपुर के ईडी मुख्यालय में हाईकोर्ट के आदेश पर पेश होना होगी.
इस मामले की सुनवाई जोधपुर हाईकोर्ट में चल रही है. हाईकोर्ट ने स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए फर्म के सभी साझेदारों को ईडी के समक्ष पेश होकर जांच में सहयोग करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से पैरवी करते हुए एएसजी राजीव रस्तोगी ने कोर्ट को बताया कि यह कोई एफआईआर नहीं है. ना ही कोई इस मामले में आरोपी है यह महज एक शिकायत पर की गई जांच है, जिसे रोका नहीं जा सकता. राजदीप रस्तोगी के तर्कों से संतुष्ट होते हुए कोर्ट ने पूर्व में कंपनी और उसके पार्टनर के लिए कोर्ट की ओर से जारी किए गए नोकोर्सिव एक्शन के आदेश को स्थगित करते हुए कंपनी के सभी पार्टनर्स को ईडी के समक्ष पेश होने के आदेश दिए. इस मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि12 फरवरी को कंपनी के सभी पार्टनर्स को ईडी के सामने पेश होकर जांच में सहयोग करना पड़ेगा. सभी ईडी के सामने पेश होकर ईडी के प्रश्नों का सामना करेंगे. कोर्ट में एएसजी राजदीप रस्तोगी ने बताया की रॉबर्ट वाड्रा ने अपने पार्टनर मौरीन वाड्रा को एक चेक दिया था. इस चेक के द्वारा बिचौलिए महेश नागर ने अपने ड्राइवर के नाम जमीन खरीदकर इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया है. जो जांच का विषय है. हालांकि कोर्ट ने पूर्व में जारी नो कोर्सिव एक्शन के आदेश को स्थगित कर दिया, लेकिन इनकी गिरफ्तारी पर रोक जारी रखी है. हालांकी गिरफतारी पर रोक लगाने पर एएसजी रस्तोगी ने कोर्ट से निवेदन किया था कि यदि दोषी पाए गए तो गिरफ्तारी पर रोक के आदेश को भी हटाएं. लेकिन इस पर कोर्ट ने मौके की टिप्पणी करते हुए कहा कि इसके लिए बाद में एक अर्जी पेश कर आदेश लिया जा सकता है.
यह है मामला
दरअसल साल 2014 में प्रदेश की भाजपा सरकार बनने के बाद बीकानेर में जमीनों के फर्जी आवंटन के 16 केस गजनेर और दो केस कोलायत पुलिस थाने में वर्ष 2014 में दर्ज हुए हैं. इनमें चार केस वाड्रा की कंपनी से जुड़े हैं. पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ कोर्ट में चालान तो पेश कर दिया. लेकिन जांच 173 (8) में पेंडिंग रखी गई है. आरोप है कि वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी ने सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत से महज 79 लाख रुपए में बीकानेर में 275 बीघा जमीन खरीदी. बाद में इस मामले की जांच प्रर्वतन निदेशालय ने भी और इस मामले में चार अभियुक्तों जय प्रकाश बगरवा, पूर्व पटवारी उमा चरण शर्मा, पूर्व नायब तहसीलदार फकीर मोहम्मद और पूर्व पटवारी महावीर स्वामी की 1.18 करोड़ की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क कर चुका है. मामला बीकानेर के कोलायत में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के विस्थापितों के नाम पर जमीनों के फर्जी आवंटन से जुड़ा है. आरोप है यहां जिन लोगों के नाम पर जमीनें आवंटित करवायी, वे असल में थे ही नहीं. ऐसे में आरोपियों ने तत्कालीन पटवारी, गिरदावर, नायब तहसीलदारों से मिलकर जमीनों का फर्जी तरीके से साल 2006-07 में नामांतरण करवा लिया. जमीनें आगे से आगे बिकती गईं, इनमें वाड्रा से जुड़ी कंपनी स्काइलाइट्स ने भी 150 बीघा और 125 बीघा जमीन खरीदी थी. बीती राजे सरकार ने साल 2014 में इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई. उसके बाद साल अगस्त 2017 में ये मामला सीबीआई को सौंप दिया. उसमें भाजपा ने आरोप लगाए थे कि, मामले का खुलासा 2010 में हुआ, लेकिन उस समय राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया. इन 18 एफआईआर में से 4 एफआईआर वाड्रा से जुड़ी कम्पनी स्काईलाइट से भी जुड़ी है. वाड्रा से जुड़ी कम्पनी स्काईलाइट की लैंड डील के मामले में ईडी पहले ही दो आरोपियों जय प्रकाश बांगडवा ओर अशोक कुमार को 21 दिसम्बर 2017 में पुछताछ कर गिरफतार कर चुकी है. दोनो पर आरोप थे कि इस फर्जी लैण्ड डील में इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. दोनो आरोपियों पर 18 एफआईआर दर्ज है. राजस्थान सरकार ने इस मामले को पहले ही सीबीआई को सौंप दिया था. इस मामले में ईडी ने भी कार्रवाई करते हुए 21 दिसम्बर को दोनो आरोपियो को गिरफतार किया था जिन्हे आज जेल भेज दिया गया है.
कांग्रेस का आरोप एजेंसियों का किया दुरुपयोग
रॉबर्ट वाड्रो से लगातार हो रही ईडी की पुछताछ और उन्हें इसी सिलसिले में जयपुर बुलाए जाने पर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जांच ऐजेंसियों पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि देश की जितनी भी जांच ऐजेंसी हैं, उनकी विश्सनियता खत्म हो चुकी है. ईडी पर ईडी छापे मारता है सीबीआई को सीबीआई बेदखल कर देती है. इन सब एंजेंसीयों का दुरुपयोग करके भाजपा की मोदी सरकार अपने खिलाफ विरोध में आवाज उठाने वालों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है. तमाम भाजपा के विरोध में आवाज उठाने वालों को दबाने का काम किया जा रहा है . पायलट ने कहा कि प्रियंका गांधी के पार्टी के महासचिव बनने से भाजपा असहज और भयभीत है. प्रियंका की कांग्रेस में एंट्री से भयभीत भाजपा अब एजेंसियों का दुरुपयोग करके लोगों की छवि को खराब करने का प्रयास कर रही है. पायलट ने कहा कि पांच साल सरकार से प्रदेश और केन्द्री में भाजपा की सरकार रही. इस मामले की जांच भी करवाई. लेकिन जांच में कुछ नही मिला. लोकतंत्र में ऐसी राजनिती सही नही है.