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अलवर : राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में इलाज के लिए मरीज हो रहे परेशान, नहीं होती सुनवाई - rajiv gandhi hospital

अलवर का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है. हर साल इसमें मरीजों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है. वहीं अलवर को छोड़कर अन्य सात जगहों पर मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है. जबकि अलवर में सबसे ज्यादा मेडिकल कॉलेज की आवश्यकता है.इसके बाबजूद प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है.

अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं
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Published : Jun 20, 2019, 10:55 AM IST

अलवर. जिले का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है. इसमें प्रतिदिन इलाज के लिए ओपीडी में 5000 से अधिक मरीज आते हैं. तो वहीं अस्पताल में 500 मरीजों की भर्ती की सुविधा है. आमतौर पर वार्ड फुल रहते हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या के हिसाब से अस्पताल में पर्याप्त इंतजाम नहीं है. इलाज के लिए मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं

बता दें कि अस्पताल में अलवर और आसपास क्षेत्र के अलावा मेवात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, भरतपुर और दौसा जिले के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में सामान्य अस्पताल में हमेशा मरीजों की भरमार रहती है. मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पताल में इलाज के इंतजाम नहीं है. मरीज लंबे समय से इंतजाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है.

मरीजों को कहना है कि नि:शुल्क दवा योजना में मरीजों को दवाई नहीं मिल रही. वहीं वार्डों में भी मरीज भर्ती करने के लिए बेड नहीं है. इस तरह के हालात में मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

गौरतलब है कि अलवर सहित प्रदेश के 8 जिलों में भाजपा सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. अलवर को छोड़कर सभी 7 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं. लेकिन अलवर में केवल मेडिकल कॉलेज के नाम जमीन खरीदी गई. तो वहीं अलवर के एम आइए में 850 करोड़ रुपए की लागत से बना ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भी खंडहर हो रहा है. उसमें सामान्य डिस्पेंसरी के समान अस्पताल चल रहा है. पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण मरीज वहां भी नहीं पहुंच रहे हैं.

अलवर. जिले का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है. इसमें प्रतिदिन इलाज के लिए ओपीडी में 5000 से अधिक मरीज आते हैं. तो वहीं अस्पताल में 500 मरीजों की भर्ती की सुविधा है. आमतौर पर वार्ड फुल रहते हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या के हिसाब से अस्पताल में पर्याप्त इंतजाम नहीं है. इलाज के लिए मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं

बता दें कि अस्पताल में अलवर और आसपास क्षेत्र के अलावा मेवात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, भरतपुर और दौसा जिले के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में सामान्य अस्पताल में हमेशा मरीजों की भरमार रहती है. मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पताल में इलाज के इंतजाम नहीं है. मरीज लंबे समय से इंतजाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है.

मरीजों को कहना है कि नि:शुल्क दवा योजना में मरीजों को दवाई नहीं मिल रही. वहीं वार्डों में भी मरीज भर्ती करने के लिए बेड नहीं है. इस तरह के हालात में मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

गौरतलब है कि अलवर सहित प्रदेश के 8 जिलों में भाजपा सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. अलवर को छोड़कर सभी 7 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं. लेकिन अलवर में केवल मेडिकल कॉलेज के नाम जमीन खरीदी गई. तो वहीं अलवर के एम आइए में 850 करोड़ रुपए की लागत से बना ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भी खंडहर हो रहा है. उसमें सामान्य डिस्पेंसरी के समान अस्पताल चल रहा है. पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण मरीज वहां भी नहीं पहुंच रहे हैं.

Intro:
अलवर।
अलवर का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है। इसमें प्रतिदिन इलाज के लिए ओपीडी में 5000 से अधिक मरीज आते हैं। तो वहीं अस्पताल में 500 मरीजों की भर्ती की सुविधा है। आमतौर पर वार्ड फुल रहते हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के हिसाब से अस्पताल में पर्याप्त इंतजाम नहीं है। ऐसे में इलाज के लिए मरीज धक्के खाते हैं। तो वहीं मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। अस्पताल में अलवर व आसपास क्षेत्र के अलावा मेवात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, भरतपुर व दौसा जिले के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं।


Body:अलवर का राजीव गांधी सामान्य अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है। हर साल इसमें मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है। लंबे समय से अलवर में मेडिकल कॉलेज की डिमांड उठ रही है। लेकिन अलवर को छोड़कर अन्य सात जगहों पर मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है। जबकि अलवर में सबसे ज्यादा मेडिकल कॉलेज की आवश्यकता थी। उसके बाद भी प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में अलवर के लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।

अलवर में हरियाणा मेवात सहित आसपास के कई राज्यों में जिलों के मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में सामान्य अस्पताल में हमेशा मरीजों की भरमार रहती है। मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पताल में इलाज के इंतजाम नहीं है। इसलिए यहां मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। मरीज लंबे समय से इंतजाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। मरीजों की हालत का ईटीवी भारत की टीम ने बुधवार को जायजा लिया।


Conclusion:कहीं मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा था। तो कहीं मरीज इलाज के लिए खासे परेशान थे। निशुल्क दवा योजना में मरीजों को दवाई नहीं मिल रही। तो वार्डों में मरीज भर्ती करने के लिए बेड नहीं है। इस तरह के हालात में मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।

अलवर सहित प्रदेश के 8 जिलों में भाजपा सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। अलवर को छोड़कर सभी 7 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। लेकिन अलवर में केवल मेडिकल कॉलेज के नाम जमीन खरीदी गई। तो वही अलवर केएम आइए में 850 करोड़ रुपए की लागत से बना ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भी खंडहर हो रहा है। उसमें सामान्य डिस्पेंसरी के समान अस्पताल चल रहा है। पर्याप्त इंतजाम दसवीं का नहीं होने के कारण मरीज उनमें भी नहीं पहुंच रहे हैं।

बाइट- परेशान मरीज
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