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'दिल्ली दरबार' के इस फरमान ने बढ़ाई राजस्थान कांग्रेस नेताओं की धड़कनें...जानें - जयपुर

लोकसभा चुनाव के रण में उत्तरी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की धड़कने तेज हैं. जिसका कारण इन दिनों दिल्ली दरबार से आया एक फरमान है. जिसमें नाकामयाब साबित होने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं.

मंत्रियों और विधायकों के परफॉर्मेंस को काउंट किया जाएगा
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Published : Apr 23, 2019, 1:43 PM IST

जयपुर. कांग्रेस आलाकमान की ओर से लोकसभा चुनाव में नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली से जारी आदेशों के मुताबिक नेताओं को अपने-अपने इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त दिलवानी होगी. इस फरमान के बाद से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है. इसमें भी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी मंत्रियों और विधायकों की तय की गई है कि वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त दिलाएं. नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और 26 प्रभारियों को यह जिम्मेदारी दी है.इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रख रहे हैं.

मंत्रियों और विधायकों के परफॉर्मेंस को काउंट किया जाएगा

कांग्रेस अध्यक्ष के फरमान का असर केवल जीते हुए विधायकों और सरकार में मंत्रियों पर ही नहीं पड़ा है बल्कि विधानसभा चुनाव में हार झेल चुके नेता भी इसकी जद में आ गए हैं. दरअसल, कांग्रेस में पहले से एक नियम बना हुआ है कि लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा. ऐसे में विधानसभा में चुनाव हारने के बाद अगर लोकसभा में फिर से उनकी विधानसभा में हार होती है तो उसे उस प्रत्याशी की हार में भी जोड़ा जाएगा. ऐसे में जब 4 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे तो यह परफॉर्मेंस उस समय भी काउंट किया जाएगा. नेताओं के सामने यह चुनौती है कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को जीत दिलाएं.

बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजस्थान से खासी उम्मीदें हैं. वैसे भी प्रदेश में 4 महीने पहले ही विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिसके चलते प्रदेश कांग्रेस को मिशन 25 का टारगेट दिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राजस्थान को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को तीन बार दिल्ली बुला कर चुनावी तैयारियों का फीडबैक भी ले चुके हैं. जानकारों की मानें तो नेताओं की ओर से प्रत्याशियों को सहयोग नहीं करने की शिकायतें लगातार दिल्ली पहुंच रही थी. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में नेताओं के परफॉर्मेंस पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं.

जयपुर. कांग्रेस आलाकमान की ओर से लोकसभा चुनाव में नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली से जारी आदेशों के मुताबिक नेताओं को अपने-अपने इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त दिलवानी होगी. इस फरमान के बाद से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है. इसमें भी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी मंत्रियों और विधायकों की तय की गई है कि वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त दिलाएं. नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और 26 प्रभारियों को यह जिम्मेदारी दी है.इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रख रहे हैं.

मंत्रियों और विधायकों के परफॉर्मेंस को काउंट किया जाएगा

कांग्रेस अध्यक्ष के फरमान का असर केवल जीते हुए विधायकों और सरकार में मंत्रियों पर ही नहीं पड़ा है बल्कि विधानसभा चुनाव में हार झेल चुके नेता भी इसकी जद में आ गए हैं. दरअसल, कांग्रेस में पहले से एक नियम बना हुआ है कि लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा. ऐसे में विधानसभा में चुनाव हारने के बाद अगर लोकसभा में फिर से उनकी विधानसभा में हार होती है तो उसे उस प्रत्याशी की हार में भी जोड़ा जाएगा. ऐसे में जब 4 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे तो यह परफॉर्मेंस उस समय भी काउंट किया जाएगा. नेताओं के सामने यह चुनौती है कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को जीत दिलाएं.

बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजस्थान से खासी उम्मीदें हैं. वैसे भी प्रदेश में 4 महीने पहले ही विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिसके चलते प्रदेश कांग्रेस को मिशन 25 का टारगेट दिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राजस्थान को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को तीन बार दिल्ली बुला कर चुनावी तैयारियों का फीडबैक भी ले चुके हैं. जानकारों की मानें तो नेताओं की ओर से प्रत्याशियों को सहयोग नहीं करने की शिकायतें लगातार दिल्ली पहुंच रही थी. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में नेताओं के परफॉर्मेंस पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं.

Intro:दिल्ली से आया फरमान बना मंत्रियों विधायकों के लिए जी का जंजाल अगर लोकसभा चुनाव में हारे अपने विधानसभा से तो कुर्सी जाने का डर तो वहीं हारे विधायकों के लिए भी यह हाथ जोड़ देगी उनकी विधानसभा में एक और हार जो अगले विधानसभा में उनकी टिकट पर पड़ सकता है भारी


Body:लोकसभा चुनाव के रण में उत्तरी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की धड़कन है इन दिनों दिल्ली दरबार के एक फरमान ने उड़ा रखी है दरअसल कांग्रेस आलाकमान की ओर से लोकसभा चुनाव में नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं दिल्ली से जारी आदेशों के मुताबिक नेताओं को अपने अपने इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़ा दिलानी होगी अगर वह ऐसा करने में नाकामयाब साबित होते हैं तो उनके राजनीतिक भविष्य पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं इस फरमान के बाद से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है इसमें भी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी तो मंत्रियों और विधायकों की तय की गई है कि वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़ा दिलाएं नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और 26 प्रभारियों को यह जिम्मेदारी दी है इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट भी नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रख रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष के फरमान का असर केवल जीते हुए विधायकों और सरकार में मंत्रियों पर ही नहीं पड़ा है बल्कि विधानसभा चुनाव में हार झेल चुके नेता भी इसकी जद में आ गए हैं दरअसल कांग्रेस में पहले से एक नियम बना हुआ है कि लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा ऐसे में विधानसभा में चुनाव हारने के बाद अगर लोकसभा में फिर से उनकी विधानसभा में हार होती है तो उसे उस प्रत्याशी की हार में भी जोड़ा जाएगा ऐसे में जब 4 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे तो यह परफॉर्मेंस उस समय भी काउंट किया जाएगा नेताओं के सामने यह चुनौती है कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को जीत दिलाएं और जिन सीटों पर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हरी है वहां भी प्रत्याशी को अगर आगे विधानसभा का टिकट चाहिए तो जीत दिलानी होगी
बाइट विवेक बंसल शह प्रभारी सचिव राजस्थान कांग्रेस
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ऐसे में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान से उम्मीद भी ज्यादा
दरअसल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजस्थान से खासी उम्मीदें हैं वैसे भी प्रदेश में 4 माह पहले ही विधानसभा चुनाव हुए हैं इसी के चलते यहां प्रदेश कांग्रेस को मिशन 25 का टारगेट दिया गया है कांग्रेस अध्यक्ष राजस्थान को लेकर कितने गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पीसीसी चीफ सचिन पायलट प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को तीन बार दिल्ली बुला कर चुनावी तैयारियों का फीडबैक भी ले चुके हैं और जानकारों की माने तो नेताओं की ओर से प्रत्याशियों को सहयोग नहीं करने की शिकायतें लगातार दिल्ली पहुंच रही थी जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में नेताओं के परफॉर्मेंस पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं



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