जाट राजनीति का नागौर गढ़ है. यही कारण है कि नागौर संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी उतारने में भाजपा और कांग्रेस जाट समाज के चेहरों को ही प्राथमिकता देती आई है. इस समाज के सबसे ज्यादा मतदाता हैं. इसके बाद मुस्लिम और एससी समाज के मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा है. विधानसभा वार अन्य समाज के मतदाता भी यह तय करने में खास भूमिका निभाते हैं कि नागौर से सांसद कौन होगा. उल्लेखनीय है कि इस बार लोकसभा चुनाव में 19,13,046 मतदाता वोट देंगे.
बात करें 2014 के लोकसभा चुनाव की तो भाजपा ने सीआर चौधरी को उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने मिर्धा परिवार की बेटी ज्योति मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा था. सीआर चौधरी को 4,14,791 वोट मिले थे. जबकि ज्योति मिर्धा को 3,39,573 वोट मिले थे. इसके अलावा निर्दलीय उतरे हनुमान बेनीवाल को 1,59,980, छोटूराम को 15,234, हरिराम को 8658, सुनील को 5251 और मूलाराम को 4332 वोट मिले थे. वहीं बहुजन संघर्ष दल के हरिराम मेहरड़ा को 11,352, बसपा के अब्दुल अजीज को 11,239, समाजवादी पार्टी के अयूब खान को 7300, आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के भंवर सिंह राठौड़ को 5776 और आरक्षण विरोधी पार्टी के नेमीचंद को 4372 वोट मिले थे.
बात 2009 के चुनाव की करें तो कांग्रेस की ज्योति मिर्धा ने 3,33,261 वोट लेकर जीत दर्ज की थी. जबकि भाजपा की बिंदु चौधरी को 1,78,124 और बसपा के अब्दुल अजीज को 68,434 वोट मिले थे. इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के भंवर सिंह डांगावास ने 2,84,657 वोट लेकर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस के रामरघुनाथ चौधरी को 2,14,030 वोट मिले थे.
जिले के 10 में से आठ विधानसभा सीट पर विधायक जाट समाज के हैं. नागौर जिले में 10 विधानसभा क्षेत्र हैं. नागौर से मोहनराम चौधरी, खींवसर से हनुमान बेनीवाल, डेगाना से विजयपाल मिर्धा, परबतसर से रामनिवास गावड़िया, डीडवाना से चेतन डूडी, मकराना से रूपाराम मुरावतिया, नावां से महेंद्र चौधरी और लाडनूं से मुकेश भाकर विधायक हैं. ये सभी जाट समाज से आते हैं. जबकि मेड़ता से इंदिरा देवी और जायल से मंजू मेघवाल विधायक हैं. ये दोनों सीट एससी के लिए आरक्षित हैं. आपको बता दें कि नागौर जिले की मेड़ता और डेगाना विधानसभा सीट संसदीय क्षेत्र के हिसाब से राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में आती हैं.