ETV Bharat / state

बिन पानी सब सून : वर्षा जल संचयन के लिए कानून तो बने पर पालना नहीं हो रही...जबकि जल संकट दूर करने का यही बेहतर उपाय है

जल संकट को दूर करने का एकमात्र उपाय है कि वर्षा के पानी का संचयन किया जाए. इसको लेकर प्रदेश में कानून भी बनाए गए. लेकिन उनकी सही तरह से पालना नहीं होने की वजह से वर्षा का पानी बेवजह बह जाता है.

वर्षा जल संचयन के लिए कानून तो बने पर पालना नहीं हो रही
author img

By

Published : Jun 20, 2019, 6:34 PM IST

जयपुर. मानसून सक्रिय होने वाला है. 2 साल से हुई कम बारिश ने प्रदेश की भूगर्भीय जलस्तर को रसातल की तरफ ढकेल दिया है. कई शहरों में वार्ड और मोहल्ले में लोग बूंद-बूंद के लिए परेशान हो रहे हैं. पानी को लेकर हाहाकार मचा है. लगातार भूजल का स्तर गिर रहा है लेकिन इसको लेकर अगर गंभीरता नहीं दिखाई गई और समय पर सावधानी नहीं बरती गई तो वह दिन दूर नहीं जब समूचे राजस्थान में पानी को लेकर बड़ी त्राहि-त्राहि मच जाएगी. लेकिन इसके बीच बड़ा सवाल ये कि आखिर कैसे भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है. आज हमारी खास रिपोर्ट में हम आपको यह बताएंगे कि किस तरीके से बारिश के पानी का संचयन कर जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है. यानि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही एकमात्र उपाय है जिसके जरिए गिरते भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है.

राजस्थान में यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि वर्षा के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है जबकि दूसरे क्षेत्र में भयंकर सूखा होता है. पर्याप्त वर्षा के बावजूद लोग पानी की एक-एक बूंद को तरसते हैं. कई जगह संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है. इसका प्रमुख कारण यह है कि हम प्रकृति प्रदत अनमोल वर्षा जल का संचय नहीं किया और वह व्यर्थ बह कर दूषित जल बन गया और वहीं दूसरी और मानवीय लालसा के परिणाम स्वरूप भूजल को अंधाधुंध दोहन किया गया परंतु धरती से निकाले गए इस जल को वापस धरती में नहीं लौटाया गया. इससे भूजल स्तर गिरा और भीषण जल संकट पैदा हो गया लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए गंभीरता से सोचना होगा और इस पर काम करना होगा.

हालांकि राजस्थान में सरकारी तंत्र की तरफ से इसको लेकर बहुत पहले ही पहल की जा चुकी है कि प्रदेश के सभी सरकारी बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने के नियम बने हुए हैं. प्रदेश की करीब सभी बड़ी वीडियो में जो सरकारी है. उनमें वर्षा के जल को संचय करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हुए हैं. राजधानी जयपुर में सचिवालय केंद्र रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया हुआ है. सचिवालय के समूचे परिसर का पानी नालियों के जरिए एकत्रित होता हुआ पंचायती राज विभाग के पास बने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में जाकर एकत्रित होता है. यहां पर बड़ा सा टैंक बनाया हुआ है जिसमें वर्षा के समूचे पानी का संचय किया जाता है.

ऐसा नहीं है कि सचिवालय में ही वाटर वेस्टिंग सिस्टम है. राजधानी जयपुर की सभी सरकारी बड़ी बिल्डिंग फिर राजस्थान हाई कोर्ट हो या फिर सचिवालय हो या विधानसभा हो ये वो बड़े भवन है जो बड़े क्षेत्र फल में बने हुए. यहां पर वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये वर्षा के जल को बचाने के तमाम प्रयास किए गए हैं. सरकार ने नियम बनाया है कि 300 वर्ग से ज्यादा बड़े भूखंडों में बने भवनों पर वाटर हार्वेस्ट इन स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य है.

प्रदेश में पिछले करीब डेढ़ दशक में भूजल स्तर में चिंताजनक गिरावट आई है. प्रदेश के 204 ब्लॉक भूजल के लिए से डार्क जोन में शामिल हैं. इन हालातों में राज्य सरकार कुछ समय पहले बड़े भवनों में बरसात का पानी सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य करते हुए बिल्डिंग बाइलॉज मस्तान दिया था.

वर्षा जल संचयन के लिए कानून तो बने पर पालना नहीं हो रही

राज्य सरकार ने सरकारी बिल्डिंगों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ साथ गैर सरकारी भवनों के निर्माण पर भी नियम बनाए थे कि जिसका भी मकान या भूखंड 300 वर्ग गज से ऊपर है अगर कोई व्यक्ति अपनी 300 वर्ग गज से बड़े प्लॉट में निर्माण कर रहा है मकान बना रहा है तो उसको उस मकान की छत के पानी को संचय यानी एकत्रित करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना पड़ेगा. अगर कोई भी व्यक्ति अपने 300 गज से बड़े मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाता है तो उसको बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं मिलेगा. उसको कनेक्शन लेने के लिए पहले इस बात का सत्यापन देना होगा कि उसने अपने 300 से बड़े मकान के अंदर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया हुआ है. विभाग उसकी सत्यापन करेगा और उसके बाद ही उसे कनेक्शन की अनुमति दी जाएगी हालांकि ये अलग बात है कि राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई बड़े शहरों में इस नियम की पालना नहीं हो रही है.

ऐसा नहीं कि वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का नियम अभी लागू किया हो. पानी बचाने उसका संचयन को लेकर हमारे परंपरागत विधियां गांव में पानी व्यर्थ ना वह इसको लेकर गांव के आसपास तालाब, नाड़े, एनीकट बनाए जाते थे ताकि खेतों या गांव में से एकत्रित होकर बहने वाला पानी बर्बाद न हों. उसका एक जगह पर संचयन हो सके. उस पानी से गांव के मवेशियों, गांव के लोगों के पीने और कृषि सिंचाई के लिए काम में लिया जाता है.

शहरों में बनी विकराल समस्या
पानी की सबसे ज्यादा किल्लत शहरों में है. राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के सभी बड़े शहरों में पानी को लेकर किल्लत लगातार बढ़ती जा रही है. इतना ही नहीं शहरों के कई इलाकों को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है क्योंकि वहां पर लगातार भूजल स्तर में गिरावट आई है और इसी भूजल स्तर की गिरावट को कम करने के लिए सरकार ने नियम बनाए थे कि शहरों में बढ़ने वाले बड़ी बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए ताकि बारिश के पानी को बेवजह बढ़ने से रोका जा सके और उसका एक जगह संचयन किया जाए ताकि गिरते भूजल स्तर को रोका जा सके.

गिरते भूजल और पानी की किल्लत से बचाने के लिए सरकारी स्तर पर नियम तो बना दिए गए लेकिन उनकी कड़ाई से पालना नहीं होने की वजह से आज भी लगातार भूजल में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. सरकार की तरफ से सरकारी बड़ी बिल्डिंगों में तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अच्छे से बना दिया गया ताकि वर्षा के पानी को व्यर्थ बहने से रोका जा सके लेकिन जिस तरीके से गैर सरकारी बिल्डिंगों के लिए जो नियम बनाए अगर उन पर भी कड़ाई से पालना की जाए तो जिस उद्देश्य से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नियम लाया गया है वह सार्थक हो.

जयपुर. मानसून सक्रिय होने वाला है. 2 साल से हुई कम बारिश ने प्रदेश की भूगर्भीय जलस्तर को रसातल की तरफ ढकेल दिया है. कई शहरों में वार्ड और मोहल्ले में लोग बूंद-बूंद के लिए परेशान हो रहे हैं. पानी को लेकर हाहाकार मचा है. लगातार भूजल का स्तर गिर रहा है लेकिन इसको लेकर अगर गंभीरता नहीं दिखाई गई और समय पर सावधानी नहीं बरती गई तो वह दिन दूर नहीं जब समूचे राजस्थान में पानी को लेकर बड़ी त्राहि-त्राहि मच जाएगी. लेकिन इसके बीच बड़ा सवाल ये कि आखिर कैसे भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है. आज हमारी खास रिपोर्ट में हम आपको यह बताएंगे कि किस तरीके से बारिश के पानी का संचयन कर जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है. यानि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही एकमात्र उपाय है जिसके जरिए गिरते भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है.

राजस्थान में यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि वर्षा के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है जबकि दूसरे क्षेत्र में भयंकर सूखा होता है. पर्याप्त वर्षा के बावजूद लोग पानी की एक-एक बूंद को तरसते हैं. कई जगह संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है. इसका प्रमुख कारण यह है कि हम प्रकृति प्रदत अनमोल वर्षा जल का संचय नहीं किया और वह व्यर्थ बह कर दूषित जल बन गया और वहीं दूसरी और मानवीय लालसा के परिणाम स्वरूप भूजल को अंधाधुंध दोहन किया गया परंतु धरती से निकाले गए इस जल को वापस धरती में नहीं लौटाया गया. इससे भूजल स्तर गिरा और भीषण जल संकट पैदा हो गया लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए गंभीरता से सोचना होगा और इस पर काम करना होगा.

हालांकि राजस्थान में सरकारी तंत्र की तरफ से इसको लेकर बहुत पहले ही पहल की जा चुकी है कि प्रदेश के सभी सरकारी बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने के नियम बने हुए हैं. प्रदेश की करीब सभी बड़ी वीडियो में जो सरकारी है. उनमें वर्षा के जल को संचय करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हुए हैं. राजधानी जयपुर में सचिवालय केंद्र रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया हुआ है. सचिवालय के समूचे परिसर का पानी नालियों के जरिए एकत्रित होता हुआ पंचायती राज विभाग के पास बने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में जाकर एकत्रित होता है. यहां पर बड़ा सा टैंक बनाया हुआ है जिसमें वर्षा के समूचे पानी का संचय किया जाता है.

ऐसा नहीं है कि सचिवालय में ही वाटर वेस्टिंग सिस्टम है. राजधानी जयपुर की सभी सरकारी बड़ी बिल्डिंग फिर राजस्थान हाई कोर्ट हो या फिर सचिवालय हो या विधानसभा हो ये वो बड़े भवन है जो बड़े क्षेत्र फल में बने हुए. यहां पर वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये वर्षा के जल को बचाने के तमाम प्रयास किए गए हैं. सरकार ने नियम बनाया है कि 300 वर्ग से ज्यादा बड़े भूखंडों में बने भवनों पर वाटर हार्वेस्ट इन स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य है.

प्रदेश में पिछले करीब डेढ़ दशक में भूजल स्तर में चिंताजनक गिरावट आई है. प्रदेश के 204 ब्लॉक भूजल के लिए से डार्क जोन में शामिल हैं. इन हालातों में राज्य सरकार कुछ समय पहले बड़े भवनों में बरसात का पानी सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य करते हुए बिल्डिंग बाइलॉज मस्तान दिया था.

वर्षा जल संचयन के लिए कानून तो बने पर पालना नहीं हो रही

राज्य सरकार ने सरकारी बिल्डिंगों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ साथ गैर सरकारी भवनों के निर्माण पर भी नियम बनाए थे कि जिसका भी मकान या भूखंड 300 वर्ग गज से ऊपर है अगर कोई व्यक्ति अपनी 300 वर्ग गज से बड़े प्लॉट में निर्माण कर रहा है मकान बना रहा है तो उसको उस मकान की छत के पानी को संचय यानी एकत्रित करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना पड़ेगा. अगर कोई भी व्यक्ति अपने 300 गज से बड़े मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाता है तो उसको बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं मिलेगा. उसको कनेक्शन लेने के लिए पहले इस बात का सत्यापन देना होगा कि उसने अपने 300 से बड़े मकान के अंदर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया हुआ है. विभाग उसकी सत्यापन करेगा और उसके बाद ही उसे कनेक्शन की अनुमति दी जाएगी हालांकि ये अलग बात है कि राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई बड़े शहरों में इस नियम की पालना नहीं हो रही है.

ऐसा नहीं कि वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का नियम अभी लागू किया हो. पानी बचाने उसका संचयन को लेकर हमारे परंपरागत विधियां गांव में पानी व्यर्थ ना वह इसको लेकर गांव के आसपास तालाब, नाड़े, एनीकट बनाए जाते थे ताकि खेतों या गांव में से एकत्रित होकर बहने वाला पानी बर्बाद न हों. उसका एक जगह पर संचयन हो सके. उस पानी से गांव के मवेशियों, गांव के लोगों के पीने और कृषि सिंचाई के लिए काम में लिया जाता है.

शहरों में बनी विकराल समस्या
पानी की सबसे ज्यादा किल्लत शहरों में है. राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के सभी बड़े शहरों में पानी को लेकर किल्लत लगातार बढ़ती जा रही है. इतना ही नहीं शहरों के कई इलाकों को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है क्योंकि वहां पर लगातार भूजल स्तर में गिरावट आई है और इसी भूजल स्तर की गिरावट को कम करने के लिए सरकार ने नियम बनाए थे कि शहरों में बढ़ने वाले बड़ी बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए ताकि बारिश के पानी को बेवजह बढ़ने से रोका जा सके और उसका एक जगह संचयन किया जाए ताकि गिरते भूजल स्तर को रोका जा सके.

गिरते भूजल और पानी की किल्लत से बचाने के लिए सरकारी स्तर पर नियम तो बना दिए गए लेकिन उनकी कड़ाई से पालना नहीं होने की वजह से आज भी लगातार भूजल में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. सरकार की तरफ से सरकारी बड़ी बिल्डिंगों में तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अच्छे से बना दिया गया ताकि वर्षा के पानी को व्यर्थ बहने से रोका जा सके लेकिन जिस तरीके से गैर सरकारी बिल्डिंगों के लिए जो नियम बनाए अगर उन पर भी कड़ाई से पालना की जाए तो जिस उद्देश्य से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नियम लाया गया है वह सार्थक हो.

Intro:
जयपुर -


एंकर:- मानसून सक्रिय होने वाला है , 2 साल से हुई कम बारिश ने प्रदेश की भूगर्भीय जलस्तर को रसातल की तरफ ढकेल दिया है , कई शहरों में वार्ड और मोहल्ले में लोग बूंद-बूंद के लिए परेशान हो रहे हैं , पानी को लेकर हाहाकार मचा है , लगातार भूजल का स्तर गिर रहा है लेकिन इसको लेकर अगर गंभीरता नहीं दिखाई गई और समय पर सावधानी नहीं बरती गई तो वह दिन दूर नहीं जब समूचे राजस्थान में पानी को लेकर बड़ी त्राहि-त्राहि मच जाएगी , लेकिन इसके बीच बड़ा सवाल ये कि आखिर कैसे भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है , आज हमारी खास रिपोर्ट में हम आपको यह बताएंगे कि किस तरीके से बारिश के पानी का संचयन कर जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है , यानी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही एकमात्र उपाय है जिसके जरिए गिरते भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है ।


Body:vo:- राजस्थान में यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि वर्षा के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है , जबकि दूसरे क्षेत्र में भयंकर सूखा होता है , पर्याप्त वर्षा के बावजूद लोग पानी की एक-एक बूंद को तरसते हैं , कई जगह संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है इसका प्रमुख कारण यह है कि हम प्रकृति प्रदत अनमोल वर्षा जल का संचय नहीं किया और वह व्यर्थ बह कर दूषित जल बन गया और वहीं दूसरी और मानवीय लालसा के परिणाम स्वरूप भूजल को अंधाधुंध दोहन किया गया परंतु धरती से निकाले गए इस जल को वापस धरती में नहीं लौटाया गया , इससे भूजल स्तर गिरा और भीषण जल संकट पैदा हो गया , लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए गंभीरता से सोचना होगा और इस पर काम करना होगा , हालांकि राजस्थान में सरकारी तंत्र की तरफ से इसको लेकर बहुत पहले ही पहल की जा चुकी है कि प्रदेश के सभी सरकारी बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने के नियम बने हुए हैं , प्रदेश की करीब सभी बड़ी वीडियो में जो सरकारी है उनमें वर्षा के जल को संचय करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हुए हैं , राजधानी जयपुर में सचिवालय केंद्र रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया हुआ है सचिवालय के समूचे परिसर का पानी नालियों के जरिए एकत्रित होता हुआ पंचायती राज विभाग के पास बने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में जाकर एकत्रित होता है , यहां पर बड़ा सा टैंक बनाया हुआ है जिसमें वर्षा के समूचे पानी का संचय किया जाता है , ऐसा नहीं है कि सचिवालय में ही वाटर वेस्टिंग सिस्टम है राजधानी जयपुर की सभी सरकारी बड़ी बिल्डिंग फिर राजस्थान हाई कोर्ट हो या फिर सचिवालय हो या विधानसभा हो ये वो बड़े भवन है जो बड़े क्षेत्र फल में बने हुए , यहां पर वाटर हार्वेस्टिंग जरिये वर्षा के लज को बचाने के तमाम प्रयास किये गए है , सरकार के नियम बनाया है कि 300 वर्ग से ज्यादा बड़े भूखंडों में बने भवनों पर वाटर हार्वेस्ट इन स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य है ,

बाइट:- आईडी खान - मुख्य अभियंता जलदाय विभाग

- प्रदेश में पिछले करीब डेढ़ दशक में भूजल स्तर में चिंताजनक गिरावट आई है , प्रदेश के 204 ब्लॉक भूजल के लिए से डार्क जोन में शामिल है इन हालातों में राज्य सरकार कुछ समय पहले बड़े भवनों में बरसात का पानी सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य करते हुए बिल्डिंग बाइलॉज मस्तान दिया था ,
राज्य सरकार ने सरकारी बिल्डिंगों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ साथ गैर सरकारी भवनों के निर्माण पर भी नियम बनाए थे कि जिसका भी मकान या भूखंड 300 वर्ग गज से ऊपर है अगर कोई व्यक्ति अपनी 300 वर्ग गज से बड़े प्लॉट में निर्माण कर रहा है मकान बना रहा है तो उसको उस मकान की छत के पानी को संचय यानी एकत्रित करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना पड़ेगा , अगर कोई भी व्यक्ति अपने 300 गज से बड़े मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाता है तो उसको बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं मिलेगा उसको कनेक्शन लेने के लिए पहले इस बात का सत्यापन देना होगा कि उसने अपने 300 से बड़े मकान के अंदर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया हुआ है , विभाग उसकी सत्यापन करेगा और उसके बाद ही उसे कनेक्शन की अनुमति दी जाएगी , हालांकि ये अलग बात है कि राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई बड़े शहरों में इस नियम की पालना नहीं हो रही है ।

बाइट:- आईडी खान - मुख्य अभियंता जलदाय विभाग

- ऐसा नहीं कि वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का नियम अभी लागू किया हो पानी बचाने उसका संचयन को लेकर हमारे परंपरागत विधियां गांव में पानी व्यर्थ ना वह इसको लेकर गांव के आसपास तालाब , नाड़े , एनीकट बनाए जाते थे ताकि खेतों या गांव में से एकत्रित होकर बहने वाला पानी बर्बाद नहीं हूं उसका एक जगह पर संचयन हो सके उस पानी से गांव के मवेशियों गांव के लोगों के पीने और कृषि सिंचाई के लिए काम में लिया जाता है ।

शहरों में बनी विक्राल समस्या - पानी की सबसे ज्यादा किल्लत शहरों में बड़ी है राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के सभी बड़े शहरों में पानी को लेकर तिलक लगातार बढ़ती जा रही है इतना ही नहीं शहरों के कई इलाकों को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है क्योंकि वहां पर लगातार भूजल स्तर में गिरावट आई है और इसी भूजल स्तर की गिरावट को कम करने के लिए सरकार ने नियम बनाए थे कि शेरों में बढ़ने वाले बड़ी बिल्डिंग मैं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए ताकि बारिश के पानी को वेट बढ़ने से रोका जा सके और उसका एक जगह संचयन किया जाए ताकि गिरते भूजल स्तर को रोका जा सके

बाइट:- आईडी खान - मुख्य अभियंता जलदाय विभाग



Conclusion:vo:- गिरते भूजल और पानी की किल्लत से बचाने के लिए सरकारी स्तर पर नियम तो बना दिए गए लेकिन उनकी कड़ाई से पालना नहीं होने की वजह से आज भी लगातार भूजल मैं लगातार गिरावट दर्ज हो रही है सरकार की तरफ से सरकारी बड़ी बिल्डिंगों में तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अच्छे से बना दिया गया ताकि वर्षा के पानी को व्यर्थ बहने से रोका जा सके लेकिन जिस तरीके से गैर सरकारी बिल्डिंगों के लिए जो नियम बनाए अगर उन पर भी कड़ाई से पालना की जाए तो जिस उद्देश्य से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नियम लाया गया है वह सार्थक हो ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.