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वसुंधरा राजे के गढ़ झालावाड़ को नहीं ढहा पाई कांग्रेस...30 साल से जारी है कोशिश

कहते हैं गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया. लेकिन बात जब राजनीति के गढ़ आती है तो सबका ध्यान गांधी परिवार की अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर जाता है. जहां से देश को दो प्रधानमंत्री मिले लेकिन अब की बार कांग्रेस का यह गढ़ भी स्मृति ईरानी ने ढहा दिया. लेकिन राजस्थान में एक ऐसा गढ़ भी है जिसे अभी तक कांग्रेस नहीं ढहा पाई है.

वसुंधरा राजे के गढ़ झालावाड़ को नहीं ढहा पाई कांग्रेस
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Published : May 25, 2019, 1:18 PM IST

झालावाड़. राहुल गांधी के अमेठी से हारने के बाद कई तरह की चीजे सामने आ रही हैं. अमेठी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. लेकिन राहुल गांधी की हार के बाद अमेठी भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है. वहीं राजस्थान में भी ऐसा ही एक राजनीति का गढ़ है. जिसे कांग्रेस ढहाने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक ढहा नहीं पाई है.

हम बात कर रहे हैं झालावाड़-बारां लोकसभा सीट की. जहां पिछले 30 सालों से बीजेपी या फिर यूं कहें वसुंधरा राजे का कब्जा है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि हर बार यहां पर जीत का अंतर बढ़ता ही गया है. इस बार वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने इस सीट से जीत का चौका मारते हुए रिकॉर्ड 4 लाख 53 हजार 928 वोटो से जीत हासिल की.

वसुंधरा राजे के गढ़ झालावाड़ को नहीं ढहा पाई कांग्रेस

बता दें कि दुष्यंत सिंह ने इस बार पिछले 30 सालों में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की है. सबसे पहले 1989 में इस सीट पर वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के शिवनारायण को 1 लाख 46 हजार 541 वोटों से शिकस्त दी थी. उसके बाद वसुंधरा राजे ने लगातार चार बार जीत हासिल करते हुए 1999 तक इस क्षेत्र का सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया.

गौरतलब है कि इसके बाद राजे झालरापाटन विधानसभा से विधायक चुनी गई और राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी लेकिन उन्होंने अपनी विरासत अपने पुत्र दुष्यंत सिंह को सौंपी. जिन्होंने 2004 में कांग्रेस के संजय गुर्जर को हराया. इसके बाद दुष्यंत सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए 2009 में उर्मिला भाया को , 2014 में प्रमोद भाया को और 2019 में प्रमोद शर्मा को रिकॉर्ड मतों से पराजित किया है.

झालावाड़. राहुल गांधी के अमेठी से हारने के बाद कई तरह की चीजे सामने आ रही हैं. अमेठी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. लेकिन राहुल गांधी की हार के बाद अमेठी भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है. वहीं राजस्थान में भी ऐसा ही एक राजनीति का गढ़ है. जिसे कांग्रेस ढहाने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक ढहा नहीं पाई है.

हम बात कर रहे हैं झालावाड़-बारां लोकसभा सीट की. जहां पिछले 30 सालों से बीजेपी या फिर यूं कहें वसुंधरा राजे का कब्जा है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि हर बार यहां पर जीत का अंतर बढ़ता ही गया है. इस बार वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने इस सीट से जीत का चौका मारते हुए रिकॉर्ड 4 लाख 53 हजार 928 वोटो से जीत हासिल की.

वसुंधरा राजे के गढ़ झालावाड़ को नहीं ढहा पाई कांग्रेस

बता दें कि दुष्यंत सिंह ने इस बार पिछले 30 सालों में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की है. सबसे पहले 1989 में इस सीट पर वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के शिवनारायण को 1 लाख 46 हजार 541 वोटों से शिकस्त दी थी. उसके बाद वसुंधरा राजे ने लगातार चार बार जीत हासिल करते हुए 1999 तक इस क्षेत्र का सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया.

गौरतलब है कि इसके बाद राजे झालरापाटन विधानसभा से विधायक चुनी गई और राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी लेकिन उन्होंने अपनी विरासत अपने पुत्र दुष्यंत सिंह को सौंपी. जिन्होंने 2004 में कांग्रेस के संजय गुर्जर को हराया. इसके बाद दुष्यंत सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए 2009 में उर्मिला भाया को , 2014 में प्रमोद भाया को और 2019 में प्रमोद शर्मा को रिकॉर्ड मतों से पराजित किया है.

Intro:अमेठी जैसे गढ़ ढह गई लेकिन कांग्रेस वसुंधरा राजे के गढ़ को नही ढहा पायी ,

गढ़ हो तो ऐसा - झालावाड़-बारां में 30 साल से लगातार बढ़ रहा है बीजेपी की जीत का अंतर



Body:कहते हैं गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया. लेकिन बात जब राजनीति के गढ़ की हो तो सबका ध्यान गांधी परिवार की अमेठी व रायबरेली लोकसभा सीट पर जाता है. जहां से देश को दो प्रधानमंत्री मिले लेकिन अब की बार कांग्रेस का यह गढ़ भी स्मृति ईरानी ने ढहा दिया. वहीं राजस्थान में एक राजनीतिके गढ़ ऐसा भी है जिसे कांग्रेस वर्षों से ढहाने की कोशिश कर रही है लेकिन कामयाब नहीं हो पाई. हम बात कर रहे हैं झालावाड़-बारां लोकसभा सीट की जहां पिछले 30 सालों से बीजेपी या फिर यूं कहें वसुंधरा राजे का कब्जा है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि हर बार यहां पर जीत का अंतर बढ़ता ही गया है. इस बार वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने इस सीट से जीत का चौका मारते हुए रिकॉर्ड 4 लाख 53 हजार 928 वोटो से जीत हासिल की. दुष्यंत सिंह ने इस बार पिछले 30 सालों में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की है. सबसे पहले 1989 में इस सीट पर वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के शिवनारायण को 1 लाख 46 हजार 541 वोटों से शिकस्त दी थी. उसके बाद वसुंधरा राजे ने लगातार चार बार जीत हासिल करते हुए 1999 तक इस क्षेत्र का सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया.


Conclusion:हालांकि इसके बाद राजे झालरापाटन विधानसभा से विधायक चुनी गई और राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी लेकिन उन्होंने अपनी विरासत अपने पुत्र दुष्यंत सिंह को सौंपी जिन्होंने 2004 में कांग्रेस के संजय गुर्जर को हराया इसके बाद दुष्यंत सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए 2009 में उर्मिला भाया को , 2014 में प्रमोद भाया को व 2019 में प्रमोद शर्मा को रिकॉर्ड मतों से पराजित किया है.
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