जयपुर. सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार ने अपने पहले बजट में निशुल्क दवा योजना में 100 से अधिक दवाओं को और शामिल किया है. इसके अलावा जो दवाएं महंगी होती है. जिन बीमारियों का इलाज महंगा है. चाहे वो कैंसर हो, किडनी का इलाज हो या फिर हार्ट का उपचार, राजस्थान की गहलोत सरकार ने इन सभी को निशुल्क कराने की घोषणा कर दी है.
सीएम गहलोत ने कहा कि राइट टू हेल्थ का अधिकार हर आम और खास व्यक्ति को है. इसको लेकर राज्य सरकार पूरी तरीके से गंभीर है. जिस तरीके से पिछले शासनकाल में कांग्रेस सरकार ने निशुल्क दवा और जांच योजना शुरू की थी. उसकी पूरी दुनिया में तारीफ हुई थी. यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार की तर्ज पर आयुष्मान योजना लेकर आई थी. राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार भी हमारे निशुल्क योजना की तर्ज पर भामाशाह कार्ड योजना लेकर आई थी यानि कांग्रेस सरकार के समय जो हेल्थ पर काम किए गए उनको ना केवल दुनिया ने सराहा बल्कि विपक्ष ने भी उसका अनुसरण किया.
सीएम गहलोत ने कहा कि जिस तरीके से यूपीए सरकार के समय मनरेगा ने लोगों को काम का अधिकार मिला. उसके अलावा खाद्य सामग्री योजना जिसमें 2 रुपए किलो गेहूं और 5 रुपए किलो चावल दिया जा रहा है. इतना ही नहीं बीपीएल परिवारों को एक रुपए किलो गेहूं देने की घोषणा भी इसी कांग्रेस सरकार ने करी है. खाद्य सुरक्षा कानून हो, सूचना का अधिकार हो या मनरेगा के तहत काम का अधिकार हो इन सभी अधिकारों की युग की शुरुआत यूपीए सरकार के वक्त हुई है.
शिक्षा का अधिकार हर बच्चे को मिले इसको लेकर भी शिक्षा का अधिकार कानून लाया गया. इसी तरह से राइट टू हेल्थ का भी अधिकार मिले यह कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता पर है. सीएम गहलोत ने कहा कि हम चाहते हैं कि स्वास्थ्य का अधिकार भी लोगों को मिले यह जरूरी है.
दरअसल स्वास्थ्य के अधिकार कानून को लेकर लगातार के कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश की गहलोत सरकार अपने पहले बजट में इस कानून को लेकर को घोषणा करेगी और इसी विधानसभा सत्र के दौरान राइट टू हेल्थ बिल सदन में रखा जाएगा. इसको लेकर विपक्ष ने बजट घोषणा होने के ठीक बाद सवाल भी खड़े किए थे. कहा था कि सरकार राइट टू हेल्थ अधिकारों की बात करती है लेकिन स्वास्थ्य को लेकर कोई बड़ी घोषणा सरकार की तरफ से नहीं करी गई. विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सहकारिता विभाग की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जवाब दिया.