जयपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. इस दौरान सीएम गहलोत ने प्रदेश की विभिन्न वित्तीय मामलों पर चर्चा की. उन्होंने विभिन्न पेयजल योजनाओं के वित्तीय प्रस्ताव के अनुमति देने और राज्य हित में केंद्रीय योजनाओं की राशि समय पर जारी करने का आग्रह किया.
इस मुलाकात में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि केंद्र करों में राज्य का हिस्सा पहले की तरह हर माह की 1 तारीख को दिया जाए. केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में इस व्यवस्था को बदल दिया है. इससे राज्यों की वित्तीय व्यवस्था में परेशानी आ रही है. राज्य को महीने के पहले दिवस पर वेतन एवं पेंशन का भुगतान करना होता है. लेकिन, केंद्र से मिलने वाली राज्यांश में देरी के कारण वेतन और पेंशन के समय पर भुगतान में कठिनाई होती है.
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Met the Union Minister of Finance Smt. @nsitharaman in Delhi today to discuss various financial issues related to #Rajasthan. Requested centre to give approval to proposals of several pending drinking water projects n ensure timely release of funds of centrally-sponsored schemes. pic.twitter.com/p1Vzr2Fe5J
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— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) June 15, 2019
कृषि ऋण माफी में मदद करें केंद्र सरकार
मुख्यमंत्री केंद्रीय वित्त मंत्री से राज्य में किसानों को वित्तीय संकट से उभरने के लिए की गई कर्ज माफी योजना के लिए केंद्र से अपेक्षित सहयोग मांगा. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंकों के करीब 24 लाख किसानों के फसली ऋण माफ किए हैं. जिनसे राज्य सरकार पर 15 हजार 679 करोड़ रुपए से अधिक का वित्तीय भार आया है. इसके साथ ही राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से फसली ऋण लेने वाले किसानों के एनपीए श्रेणी के फसली ऋण को 2 लाख की सीमा तक राज्य सरकार माफ कर रही है, चूंकि वित्तीय संस्थाएं भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है. ऐसे में बैंकों के साथ ऋण माफी के लिए एकमुश्त समझौता के निर्धारण में केंद्र सहयोग करें.
राज्यों के लिए बाजार ऋण लेने की निर्धारित प्रक्रिया को स्थाई बनाएं
सीएम गहलोत ने कहा कि राज्य में विकास योजनाएं समय पर पूरी हो और उनके लिए धन की कमी नहीं हो, इसलिए राज्य सकल घरेलू उत्पाद जीएसडीपी का 3% के स्थान पर 4% तक शुद्ध ऋण लेने की अनुमति प्रदान की जाए. केंद्र सरकार राज्यों के लिए बाजार ऋण लेने की निर्धारित प्रक्रिया को स्थाई बनाएं. इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2019-20 में बाजार इन के लिए निर्धारित सीमा 36161 करोड़ रुपए की तुलना में केंद्र सरकार के केवल 7495 करोड़ रुपए का बाजार से लेने की स्वीकृति प्रदान किए जो राज्य की विकास परियोजना को दृष्टिगत रखते हुए नाकाफी है.
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ऋण लेने की सहमति प्रदान नहीं की जाने से राज्य के विकास प्रभावित हो रहे हैं. इस मौके पर राज्य के प्रमुख सचिव डीबी गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन कुमार आर्य , प्रमुख सचिव राजन विशाल भी बैठक में मौजूद थे.