जयपुर. कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद अब बगावत के सुर बुलंद हो रहे हैं. ब्राह्मण समाज के बाद अब बैरवा समाज ने भी खुलकर नाराजगी जता दी है. समाज के जनप्रतिनिधि ने भी अब बगावती तेवर अपना लिए हैं. दरअसल बैरवा समाज की नाराजगी खासतौर पर करौली-धौलपुर लोकसभा सीट को लेकर है. जहां समाज की प्रमुख दावेदारी थी और हर बार बैरवा समाज को करौली धौलपुर सीट मिलती भी रही है लेकिन इस बार पार्टी ने यहां से जाटव समाज को प्रतिनिधित्व दे दिया है जिसके बाद ही बैरवा समाज के नेताओं ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है.
इस मामले को लेकर देर रात बसेड़ी के कांग्रेस विधायक और धौलपुर करौली के पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने मुख्यमंत्री से मिलकर उनसे अपनी नाराजगी प्रकट की. इस दौरान खिलाड़ी लाल बैरवा ने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री से साफ शब्दों में कह दिया है कि इस सीट पर कांग्रेस पार्टी बदलाव करें नहीं तो अगर उन्हें समाज कहेगा तो वह पार्टी से इस्तीफा भी दे सकते हैं.
खिलाड़ी लाल बैरवा ने आज मुख्यमंत्री के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी एक लेटर भिजवा दिया है जिसमें खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस बारे में मार्गदर्शन मांगा है. बैरवा ने कहा की बैरवा समाज शुरू से ही कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है लेकिन इस बार टिकट वितरण में समाज की पूरी तरीके से उपेक्षा की गई है. उपेक्षा होने के बाद समाज का उन पर भी दबाव है और उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि समाज है तो ही वह है ऐसे में अगर करौली-धौलपुर का टिकट नहीं बदला जाता है तो बैरवा समाज 14 अप्रैल को यह निर्णय लेगा कि उन्हें आगे क्या करना है.
कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बैरवा समाज को आश्वासन दिया है कि वह आलाकमान तक उनकी बात को पहुंचाएंगे. बताया जा रहा है कि ब्राह्मण समाज के बाद बैरवा समाज के प्रति नाराजगी को आला नेताओं ने गंभीरता से लिया है. इस मामले को लेकर आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच भी चर्चा हो सकती है.
दरअसल परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले बैरवा समाज की नाराजगी पार्टी मोल नहीं लेना चाहती है लेकिन इसके लिए अब कांग्रेस पार्टी को करौली-धौलपुर की सीट में बदलाव करना होगा. बैरवा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बैरवा समाज प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर सीधा असर डालता है. ऐसे में अगर समाज को उसका प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है और वह समाज के साथ ही रहेंगे.