जयपुर. 2014 के लोकसभा चुनाव से 2019 का लोकसभा चुनाव काफी मायने में अलग और खास है. इस बार 8 करोड़ से ज्यादा वोटर ऐसे हैं जो कि पहली बार अपने मतदान करेंगे. इनको अगर 543 सीटों में बांटा जाए तो करीब डेढ़ लाख वोटर प्रति सीट आएंगे. 2014 के चुनावों में 297 सीटों पर हार का अंतर करीब इतने का ही था. ये नए वोटर करीब 282 सीटों पर अपना प्रभाव छोड़ेंगे. जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 272 सीटों की जरूरत होती है.
ये वोटर इसलिए खास हैं क्योंकि इनकी उम्र 18 से 22 साल के बीच होगी. जन्म करीब 1997 के बाद हुआ होगा. इसलिए इन्हें बाबरी विध्वंस और मंडल कमीशन के बारे में सिर्फ जानकारी किताबों और इंटरनेट के जरिए हुआ होगा. मतलब ये खुद को इन घटनाओं से ज्यादा कनेक्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही ये वोटर पुराने वोटर्स की अपेक्षा ज्यादा जागरूक है. तो पुराने वोटर्स को भी ये प्रभावित करेंगे.
बात करें चुनावी परिस्थियों की तो इस बार बहुत अगल माहौल है. जहां 2014 में जो पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ थी. वो आज गठबंधन कर चुकी हैं. ऐसे में ये 8 करोड़ से ज्यादा फर्स्ट टाइम वोटर सबसे ज्यादा समझदार है. और यही इस बार के चुनाव में पार्टियों का भविष्य तय करेंगे.